खुदकुशी करने वाले किसानों की पत्नियां भी बनेंगी किसान आंदोलन (Farmers Protest) का हिस्‍सा।

Delhi: दिल्‍ली के टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) पर अब उन किसानों की विधवाएं (Farmers Widows) भी किसान आंदोलन (Farmers Protest) में दिखाई देंगी जिन्‍होंने कृषि संकट के चलते अपनी जान दे दी। अब 16 दिसंबर को ये महिलाएं तीन कृषि कानूनों (Farms Law) के विरोध में प्रदर्शन करने वाली हैं। इसका मकसद पंजाब के किसानों की समस्‍याओं की ओर पूरी दुनिया का ध्‍यान दिलाना है।

बीकेयू उग्राहन के प्रमुख जोगिंदर सिंह उग्राहन ने बताया, ‘पंजाब में खराब कृषि मॉडल की वजह से बहुत बड़ी संख्‍या में किसान अपनी जान दे रहे हैं। अफसोस की बात है कि दुनिया का ध्‍यान इस ओर नहीं है क्‍योंकि सभी को लगता है कि पंजाब के किसान बहुत अमीर हैं। अब जब देश में ऐतिहासिक कृषि आंदोलन (Farmers Protest) चल रहा है इन विधवाओं ने फैसला किया है कि पंजाब में खेती की असलियत पूरी दुनिया को बताई जाए।’

उग्राहन का कहना था कि इन विधवाओं (Farmers Widows)में तो कुछ ऐसी हैं जिनके बच्‍चे अभी छोटे हैं लेकिन उनके परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्‍य ने कर्ज के बोझ या खेती से होने वाले आर्थिक नुकसान के चलते आत्‍महत्‍या कर ली। इनके लिए अभी तक की सरकारों की खराब कृषि नीतियां जिम्‍मेदार हैं। वह कहते हैं, ‘हालांकि पंजाब में बहुत से किसानों ने आत्‍महत्‍या की है लेकिन राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इनकी चर्चा नहीं होती। इसलिए इन महिलाओं ने आगे आने का फैसला किया है।’

लेकिन किसानों की विधवाएं के कृषि कानूनों (Farms Law) के विरोध में प्रदर्शन करने से एक बड़ा सवाल ये भी उठता है की अगर पुरानी नीतियाँ सही थी तो उन्हें (किसानों को) खुदकुशी जैसा क़दम उठाने की ज़रूरत ही क्यों पड़ी?

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