Dhanteras दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘धन’ धन को दर्शाता है और ‘तेरस’ कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन को दर्शाता है। इस दिन पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी, गणेश, धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है।
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धन का बदलता स्वरूप
आदिकाल से धन (संपदा) के अनेक रूप रहे है। अलग-अलग काल मे धन का रूपांतरण होता रहा है। एक समय में धर्म और मन वचन काया को धन प्रधान माना गया। एक समय में अस्त्र-शस्त्र, धातु को ‘धन’ माना गया। एक समय में कृषि, अनाज एवं पालतु पशु को धन माना गया।
कुछ अर्से पूर्व निरोगी काया को धन माना गया और करीब-करीब 100-150 वर्ष पूर्व से वस्तुविनिमय के स्थान पर रुपयों का चलन शुरू हुआ तब से अब तक धन के रूप चल-अचल सम्पति (जमीन-जायदाद, सोना, चांदी, और सिक्को) को धन प्रधान माना गया।
Dhanteras का सही अर्थ
धन तेरस पर हमको चयन करना है कि हमारे लिये धन कौन सा है- धर्म, निरोगी काया, अनाज, स्वास्थ्य, मन वचन काया या पैसा? ऐसे परम धन की प्राप्ति हो। जब कोई बेटा या बेटी ये कहे कि मेरे माँ बाप ही मेरे भगवान् है ये धन है।
जब कोई माँ बाप अपने बच्चों के लिए ये कहे कि ये हमारे कलेजे की कोर हैं ये धन है। शादी के 20 साल बाद भी अगर पति पत्नी एक दूसरे के साथ स्नेह से रहे ये धन है। कोई सास अपनी बहु के लिए कहे कि ये मेरी बहु नहीं बेटी है और कोई बहु अपनी सास के लिए कहे कि ये मेरी सास नहीं मेरी माँ है ये धन है।
जिस घर में बड़ो को मान और छोटो को प्यार भरी नज़रो से देखा जाता है ये धन है। जब कोई अतिथि कुछ दिन आपके घर रहने के पश्चात जाते समय दिल से कहे की आपका घर, घर नहीं मंदिर है ये धन है।
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इन्हीं शुभ भावनाओं के साथ आप सभी को Dhanteras की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं मंगलकामना!
प्रदीप छाजेड़