Gene-Edited Banana: भोजन की बर्बादी कम करने में इसकी भूमिका

Banana दुनिया में सबसे अधिक खाए जाने वाले फलों में से एक है, लेकिन यह बहुत जल्दी खराब हो जाता है, जिससे बड़ी मात्रा में बर्बादी होती है। वैज्ञानिकों ने CRISPR और अन्य जीन-संपादन तकनीकों का उपयोग करके ऐसे केले विकसित किए हैं जो अधिक समय तक ताजे रह सकते हैं और रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं।

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Gene-Edited द्वारा Banana कैसे बेहतर बनाया गया?

ऑक्सीडेशन (Oxidation) को धीमा करना:

How Bananas Were Improved by Gene-Editing

जब केला छिलने या काटने के बाद भूरे रंग का हो जाता है, तो यह पॉलीफेनॉल ऑक्सीडेज (PPO) नामक एंजाइम के कारण होता है।

वैज्ञानिकों ने PPO जीन को संशोधित करके केले के भूरे होने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया है, जिससे इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।

देर से पकने वाले केले:

केले में एथिलीन गैस पकने की प्रक्रिया को तेज करती है।

जीन-संपादन से एथिलीन उत्पादन को नियंत्रित किया गया, जिससे केले लंबे समय तक हरे रहते हैं और धीरे-धीरे पकते हैं।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना:

केले फ्यूसैरियम विल्ट (Fusarium Wilt) जैसी बीमारियों से प्रभावित होते हैं, जिससे फसल नष्ट हो जाती है।

वैज्ञानिकों ने केले के PR (Pathogenesis-Related) जीन को संशोधित करके उन्हें इन रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाया है।

भोजन की बर्बादी कैसे कम होगी?

How Bananas Were Improved by Gene-Editing

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✔ लंबे समय तक ताजा रहने से फेंकने की जरूरत कम होगी।

✔ परिवहन और भंडारण के दौरान खराब होने की संभावना घटेगी।

सुपरमार्केट और उपभोक्ताओं के लिए फूड लॉस कम होगा।

कम खराब होने वाले केले गरीब और खाद्य-अभावग्रस्त क्षेत्रों में अधिक उपयोगी होंगे।

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