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H-1B वीज़ा विवाद पर भारत की प्रतिक्रिया: भारतीय पेशेवरों के लिए एक अहम मुद्दा

30 सितंबर, 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष में अमेरिका द्वारा जारी 265,777 एच-1बी वीजा में से लगभग 78% भारत को प्राप्त हुए। यह अमेरिकी तकनीकी उद्योग में भारतीय पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

H-1B वीज़ा विवाद पर भारत की प्रतिक्रिया एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह सीधे तौर पर भारतीय पेशेवरों और अमेरिका में काम करने की संभावनाओं से जुड़ा हुआ है। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं:

यह भी पढ़ें: H-1B Visa पर अमेरिकी कोर्ट का फ़ैसला हज़ारों भारतीय Techies को फ़ायदा पहुँचाएगा

H-1B वीज़ा विवाद क्या है?

India Breaks Silence On The H-1B Visa

H-1B वीज़ा एक नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। खासकर आईटी और तकनीकी क्षेत्रों में यह वीज़ा काफी लोकप्रिय है। हाल के वर्षों में इस वीज़ा को लेकर अमेरिका में कई नियम और नीतियां बदली गई हैं, जिनका उद्देश्य स्थानीय कामगारों को प्राथमिकता देना है।

विवाद की जड़:

  1. नियमों में सख्ती: H-1B वीज़ा की संख्या सीमित है, और ट्रम्प प्रशासन के दौरान इस वीज़ा के लिए पात्रता शर्तों को कड़ा किया गया।
  2. भारतीय पेशेवरों पर असर: अधिकांश H-1B वीज़ा धारक भारतीय हैं, और इस सख्ती ने भारतीय आईटी कंपनियों और पेशेवरों को सीधे प्रभावित किया।
  3. ग्रीन कार्ड बैकलॉग: वीज़ा धारकों को ग्रीन कार्ड (स्थायी निवास) मिलने में देरी हो रही है, जिससे उनका भविष्य अनिश्चित हो जाता है।

भारत की प्रतिक्रिया

India Breaks Silence On The H-1B Visa

भारत सरकार ने इस विवाद को कई बार द्विपक्षीय बैठकों और मंचों पर उठाया है। हाल ही में, भारत ने जोर देकर कहा है:

  • भारतीय पेशेवरों का योगदान: भारतीय पेशेवर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। वे टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, और अन्य क्षेत्रों में नवाचार ला रहे हैं।
  • निष्पक्षता की मांग: भारत ने अमेरिका से वीज़ा नीतियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की है।
  • प्रभाव का विश्लेषण: भारत ने सुझाव दिया है कि सख्त वीज़ा नीतियों से अमेरिकी कंपनियों और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

भारतीय पेशेवरों के लिए संदेश

  1. विकल्पों की तलाश: H-1B वीज़ा पर अत्यधिक निर्भरता से बचने के लिए अन्य देशों में अवसर तलाशें।
  2. स्किल अपग्रेडेशन: अपनी तकनीकी और पेशेवर क्षमताओं को बढ़ाएं ताकि आप वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
  3. नए सेक्टर्स में प्रवेश: हेल्थटेक, फिनटेक, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उभरते क्षेत्रों में संभावनाएं देखें।

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