India ने हाल ही में अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस कदम के पीछे कई आर्थिक और रणनीतिक कारण हैं, जो निम्नलिखित आंकड़ों से स्पष्ट होते हैं:
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India द्वारा अधिक अमेरिकी तेल खरीदने के कारण
- रूस से तेल आयात में कमी
फरवरी 2025 में गिरावट: India ने फरवरी में रूस से प्रतिदिन 1.48 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जो जनवरी में 1.67 मिलियन बैरल प्रतिदिन था। यह 11% की कमी को दर्शाता है।
अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव: अमेरिका द्वारा रूस के तेल उत्पादकों और शिपिंग नेटवर्क पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के कारण भारतीय रिफाइनरियों के लिए रूसी तेल की आपूर्ति में चुनौतियाँ बढ़ी हैं।
- अमेरिका से तेल आयात में वृद्धि
जनवरी 2025 में वृद्धि: भारत ने जनवरी में अमेरिका से 218,400 बैरल प्रतिदिन तेल आयात किया, जो दिसंबर में 70,600 बैरल प्रतिदिन था। इस वृद्धि ने अमेरिका को भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना दिया।
बीपीसीएल की योजना: भारत की सरकारी रिफाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने मई या जून से शुरू होने वाले चार महीनों के लिए प्रति माह 1 मिलियन बैरल अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) कच्चे तेल की खरीद के लिए निविदा जारी करने की योजना बनाई है।
- ऊर्जा आपूर्ति का विविधीकरण
मध्य पूर्व से आयात में वृद्धि: नवंबर में, India ने इराक और सऊदी अरब से कच्चे तेल का आयात 10.8% बढ़ाकर 2.28 मिलियन बैरल प्रतिदिन किया, जबकि अक्टूबर में यह 2.058 मिलियन बैरल प्रतिदिन था।
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कुल आयात में वृद्धि: वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में, भारत का कुल कच्चे तेल का आयात 22.3% बढ़कर $40.2 बिलियन हो गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में $33 बिलियन था।