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Honda Cars: कार निर्माता कंपनी होंडा कार्स ने ग्रेटर नोएडा प्लांट में उत्पादन रोका

प्रमुख कार निर्माता कंपनी होंडा कार्स (Honda Cars) इंडिया लिमिटेड (HCIL) ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में स्थित प्लांट से उत्पादन बंद कर दिया है। इंडस्ट्री सूत्रों ने यह जानकारी दी है। HCIL जापान की होंडा मोटर कंपनी की सब्सिडियरी है। कंपनी ने 1997 में ग्रेटर नोएडा प्लांट की स्थापना की थी।

प्लांट में कॉरपोरेट ऑफिस चलता रहेगा

इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा प्लांट में HCIL का कॉरपोरेट हेड ऑफिस पहले की तरह चलता रहेगा। इसके अलावा स्पेयर पार्ट्स डिविजन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) सेंटर भी कार्य करते रहेंगे। हालांकि, कंपनी ने इस संबंध में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी है। अब कंपनी अपनी कारों (Honda Cars) की पूरी रेंज के उत्पादन के लिए राजस्थान की तापूकारा प्लांट पर निर्भर हो गई है।

इस साल की शुरुआत में लॉन्च की थी VRS स्कीम

HCIL ने अपने मैन्युफैक्चरिंग लाइन एसोसिएट्स के लिए इस साल की शुरुआत में वॉलेंट्री रिटायरमेंट स्कीम (VRS) लॉन्च की थी। इस स्कीम का मकसद प्रोडक्टिविटी और कार्यक्षमता में बढ़ावा लाना था। कंपनी होंडा सिटी, होंडा CR-V और होंडा सिविक जैसी कारों (Honda Cars) का उत्पादन ग्रेटर नोएडा प्लांट में करती थी। इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 1 लाख यूनिट सालाना थी।

तापूकारा प्लांट की क्षमता 1.8 लाख यूनिट सालाना

राजस्थान के तापूकारा में स्थित प्लांट की क्षमता 1.8 लाख यूनिट सालाना है। इसके अलावा इस प्लांट में दूसरे देशों को निर्यात किए जाने वाले इंजनों का उत्पादन भी होता है। नवंबर 2020 में HCIL ने घरेलू बाजार में 9,990 यूनिट्स की बिक्री की है। नवंबर 2019 की 6,459 यूनिट्स के मुकाबले इस साल 55% की ग्रोथ रही है।

Farmers Protest: किसान आंदोलन की आवाज़ बना अख़बार Trolly Times

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New Delhi: किसान आंदोलन (Farmers Protest) के चलते सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली की कतारें कई किलोमीटर दूर तक लगी हुई हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर टिकरी बॉर्डर पर भी है. किसान आंदोलन (Farmers Protest) के मंच से किसान नेताओं की कही बात हर ट्रैक्टर ट्रॉली तक पहुँचाने के लिये अब आंदोलन के अपने अखबार (Trolly Times) का इस्तेमाल किया जायेगा. चूंकि एक-एक ट्रॉली तक खबर पहुंचाने का ज़रिया ये अखबार होगा और इसे शुरू करने की योजना भी एक ट्रॉली में ही बनाई गई थी इसलिये इस अखबार का नाम रखा गया है ‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times)

शुक्रवार को अखबार का पहला एडिशन प्रकाशित किया गया. फिलहाल इसे सप्ताह में दो बार निकालने की योजना है. अखबार के पहले एडिशन की लीड स्टोरी का शीर्षक है ‘जुड़ेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे’. 4 पन्नों के इस अखबार में पंजाबी और हिंदी दोनों भाषाओं के लेखों को छापा गया है. कविता और कार्टून से लेकर आंदोलन की अलग अलग तस्वीरों को अख़बार में जगह दी गई है.

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) को शुरू करने का विचार सुरमीत मावी ने दिया था जो कि पेशे से एक कथाकार हैं और फिल्मों के लिये स्क्रिप्ट लिखते हैं. सुरमीत ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है और इसी के चलते किसान आंदोलन (Farmers Protest) की आवाज़ किसानों तक पहुंचाने के लिये उन्होंने अखबार का माध्यम चुना.

सुरमीत मावी ने कहा “मैं पेशे से एक फ़िल्म राइटर हूं, मेरी पढ़ाई पत्रकारिता की है लेकिन मावी जो मेरा सरनेम है इस गोत्र का मतलब होता है वो लोग जिनका पुश्तैनी काम ही खेती है. ये सिर्फ तीन काले कानूनों की लड़ाई नहीं है उससे बड़ी लड़ाई है. भारत का लोकतंत्र खत्म हो चुका है, उसकी बहाली की लड़ाई है. लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता है. मेरे मन में आया कि इस क्रांति में अगर मुझे अपना योगदान देना है इस लड़ाई को लड़ने का मेरा तरीका चौथा स्तंभ है. हमारे किसान नेताओं ने इस किसान आंदोलन को 2020 की किसान क्रांति बनाया है.”

ट्रॉली टाइम्स (Trolly Times) के बारे बताते हुए सुरमीत मावी ने कहा, ‘सिंघू बॉर्डर पर आज 10 किलोमीटर दूर तक ट्रॉली खड़ी हैं, टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह 14-15 किलोमीटर दूर तक ट्रॉली खड़ी हैं. किसी एक व्यक्ति को ट्रॉली में रहना ही पड़ता है. कई बार हर किसी तक हमारे नेताओं की बात नहीं पहुंच पाती. किसान नेताओं की बात स्पष्ट रूप से हर व्यक्ति तक पहुंचे इस विचार के साथ अखबार की शुरुआत की गई ताकि किसी को भी गुमराह नहीं किया जा सके. हमारे अखबार का फ्रंट पेज हमारे नेताओं का माउथपीस होगा.”

अखबार के पहले एडिशन की लीड स्टोरी का ज़िक्र करते हुए सुरमीत मावी ने कहा, “जुड़ेंगे लड़ेंगे जीतेंगे की हेडलाइन हमारे नेताओं के साथ हर व्यक्ति जो जुड़े हुआ है, उन सबके लिए यह लिखी गई है. इस आंदोलन (Farmers Protest) में सरकार एक झूठा नरेटिव देने की कोशिश कर रही है कि ये सिर्फ पंजाब और हरियाणा की लड़ाई है, जबकि यहां पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश के किसान जुड़े हैं. इसलिए हमने हिंदी में भी पेज पब्लिश किया है ताकि सभी तक हमारी आवाज़ पहुंच सके.”

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) के पहले एडिशन की 2000 कॉपियां पब्लिश की गई हैं. करीब 20 लोगों की टीम अखबार की राइटिंग, प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के लिये काम कर रही है. अखबार की एक एडिटोरियल पॉलिसी भी है, जो भी राइटिंग अखबार में प्रकाशित होगी वो मोर्चे पर बैठे लोगों की ही होंगी.

सुरमीत मावी ने बताया, “पद्मश्री सुरजीत पात्रा पंजाब के बहुत बड़े शायर हैं उन्होंने कविता लिखकर दी है. जितने भी लोगों ने इसमें आर्टिकल लिखे हैं वह मोर्चे पर बैठे हुए लोग हैं. मोर्चे पर बैठे हुए लोग इसकी रिपोर्टिंग कर रहे हैं, मोर्चे पर बैठे लोग ही इसको एडिट कर रहे हैं और मोर्चे के लोग ही इसको डिस्ट्रीब्यूट कर रहे हैं. छपाई छोड़कर बाकी हर व्यवस्था मोर्चे पर बैठे लोगों की ही है. छपाई के लिए हमने अपनी पॉकेट से भी पैसे इकट्ठे किए और कुछ लोगों से दान के ज़रिए भी मदद मिली है. जब तब्दीलियां होनी होती हैं तो रास्ता बन ही जाता है.”

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) को ट्रॉली तक पहुंचाने का ज़िम्मा टीम के ही कुछ वॉलिंटियर्स के पास है. जो पैदल जा कर ट्रॉली-ट्रॉली इन अखबारों को बांटते हैं. एक गाड़ी में अखबार के गठ्ठर रखकर ले जाये जाते हैं जो वॉलिंटियर्स को रास्ते में उतार देती है और फिर वॉलिंटियर्स पेपर बांटने का काम करते हैं. टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह की व्यवस्था की गई है. किसी को अगर अपना आर्टिकल पेपर में छपवाना है तो अख़बार की ईमेल आईडी timestrolley@gmail.com पर वह आर्टिकल भेज सकता है. अख़बार की कॉपियों की संख्या 2000 से बढ़ाकर 2500 तक करने पर विचार किया जा रहा है. इसके साथ ही एक ही अखबार की दो अलग-अलग भाषाओं में प्रति छाप दी जाए इन सारी चीजों पर भी फिलहाल ‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) की टीम विचार-विमर्श कर रही है.

Rajasthan: सरकारी स्कूल के शिक्षक के खिलाफ नाबालिग से दुष्कर्म (Misdeed) का मामला दर्ज

Kota: राजस्थान (Rajasthan)में बूंदी जिले के एक गांव में एक स्कूल अध्यापक के खिलाफ नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म (Misdeed) करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि स्कूल में कक्षा तीन को पढ़ाने वाले एक शिक्षक ने कक्षा नौ में पढ़ने वाली एक छात्रा के साथ कई बार दुष्कर्म (Misdeed) किया.

सूत्रों ने कहा कि छात्रा की चिकित्सकीय जांच कराई जा रही है और मामले की जांच की जा रही है. आरोपी को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है. हिंडोली के पुलिस उपाधीक्षक श्याम सुंदर विश्नोई ने बताया कि बच्ची के माता-पिता ने शुक्रवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और कहा कि घटना का वीडियो भी बनाया गया है.

शिकायत में छात्रा ने कहा है कि शिक्षक ने दो बार स्कूल में और एक बार एक होटल में भी उससे दुष्कर्म (Misdeed) किया तथा किसी को इस बारे में बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी. अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को बच्ची ने हिम्मत कर अपने घरवालों को इस बारे में बताया, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया.

Bhagavad Gita : मानवता के लिए जरुरी है गीता ज्ञान, कब मनाई जाएगी गीता जयंती, जानें

प्रत्येक साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन इसे मनाया जाता है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता (Bhagavad Gita) का उपदेश दिया था. इस साल 25 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी. गीता (Bhagavad Gita) को हिंदू धर्म सार ग्रंथ माना जा सकता है. धर्म, कर्म, अध्यात्म, ब्रह्म, जीवसभी विषयों पर इसमें चर्चा की गई है. गीता (Bhagavad Gita) की शिक्षाएं युगों युगों से मानवता को सत्य की राह दिखाती आ रही हैं.

महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र और भक्त अर्जुन को भगवत गीता (Bhagavad Gita) का उपदेश दिया था. श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. इन श्लोकों में कर्म, धर्म, कर्मफल, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य आदि जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं. श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) में ऐसी अनेक बातें हैं जिन्हें हम जीवन में अपनाकर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं.

आत्मा अमर है शरीर नश्वर


गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मृत्यु एक अटल सत्य है. यह शरीर नश्वर है. आत्मा अजर अमर है, आत्मा को कोई काट नहीं सकता अग्नि जला नहीं सकती और पानी गीला नहीं कर सकता. जिस प्रकार से एक वस्त्र बदलकर दूसरे वस्त्र धारण किए जाते हैं उसी प्रकार आत्मा एक शरीर का त्याग करके दूसरे जीव में प्रवेश करती है.

कर्मों के अनुसार मिलता है फल


भगवान श्रीकृष्ण गीता (Bhagavad Gita) में कहते हैं कि मनुष्य को उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही फल प्राप्त होता है. इसलिए मनुष्य को सदैव सत्कर्म करने चाहिए. गीता में कही गई इन बातों को प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में मानना चाहिए.

परमात्मा के साथ रहने के लिए देनी होती है जीवनरूपी परीक्षा


भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आत्मा को परमात्मा के साथ हमेशा रहने के लिए इस जीवनरूपी परीक्षा को देना ही होगा. वह कहते हैं कि 88 हजार करोड़ योनियों में भ्रमण करने के बाद व्यक्ति को मर्यादित जीवन जीने का मौका देने के लिए मनुष्य रूपी जन्म लेने का अवसर मिलता है. इस जीवन में गुणों के आधार पर परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है.

Corona virus: एक ही मास्क (Mask) का बार-बार इस्तेमाल है खतरनाक, रिसर्च में ख़ुलासा।

Coronavirus: महामारी (Corona Virus) के दौरान खुद को सुरक्षित रखने का एक बेहतरीन तरीका मास्क (Mask) है. अच्छी गुणवत्ता का मास्क संक्रमण की आशंका को 70 फीसद तक कम कर सकता है. मास्क (Mask) की कई किस्मों जैसे सर्जिकल मास्क, N95 मास्क, डिस्पोजेबल मास्क में सर्जिकल मास्क अत्यंत मुफीद है. दोबारा इस्तेमाल योग्य कपड़े का मास्क किफायती और पर्यावरण के अनुकूल होता है.

वास्तव में मास्क को इस्तेमाल करना और कोविड-19 संक्रमण (Corona Virus) के खतरे से बचना सबसे अच्छा विकल्प है. मगर एक नए रिसर्च में बताया गया है कि महामारी (Corona Virus) में मास्क (Mask) का ज्यादा देर तक इस्तेमाल करना मास्क इस्तेमाल नहीं करने के मुकाबले ज्यादा खराब और ज्यादा खतरनाक हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि दोबारा इस्तेमाल पर सर्जिकल मास्क के नाकाम होने का एक प्रमुख कारण फैब्रिक और आकार है. बार-बार उपयोग और जोखिम के बाद मास्क (Mask) अपनी असल शक्ल पर ढीले हो जाता है.

शोषक परत की एक किस्म का इस्तेमाल कर बनाए फैब्रिक भी ज्यादा समय होने से सुराखदार और कम प्रभावी हो सकता है. कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल कर शोधकर्ताओं ने बताया कि मास्क का फैब्रिक मुंह और नाक के छेद में दाखिल होनेवाली हवा का ना सिर्फ रास्ता बदल देता है बल्कि मास्क (Mask) की स्थिति और प्रकार भी संक्रमण के खतरे को प्रभावित करता है. इसके मुकाबले, नया, ताजा मास्क अधिक सुरक्षा और असर मुहैया कराता है. पहले से इस्तेमाल किए गए मास्क का बहुत कम प्रभाव होता है यानी सिर्फ 60 फीसद से भी कम वायरस (Corona Virus) को छान पाता है.

मास्क का फैब्रिक भी प्रभाव को निर्धारित करता है

दोबारा इस्तेमाल योग्य या सर्जिकल मास्क (Mask) का चुनाव करते वक्त दूसरा पहलू विचार करने का है कि इसमें इस्तेमाल फैब्रिक (Fabric) के प्रकार की जांच की जाए. पर्यावरण की स्थिति और लंबे समय तक उपयोग से फैब्रिक बहुत पहनने और आंसू से गुजरता है. इससे मास्क के फैब्रिक की गुणवत्ता ज्यादा घटिया हो जाती है. ऐसे में स्वाभाविक है कि ज्यादा इस्तेमाल से इसका प्रभाव कम होगा. अधिक फैंसी और चलन में कपड़े के मास्क (Mask) का इस्तेमाल करते वक्त भी ध्यान रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक फैब्रिक की खराब गुणवत्ता भी मास्क को प्रभावित करती है. एक अच्छा मास्क चेहरा ढंकने के उद्देश्य को हासिल करनेवाला होना चाहिए. कीटाणुओं को दाखिल होने के लिए उसमें कोई सुराख या छेद न हो और पूरी तरह आपके मुंह और नाक को ढंक सके.

दोबारा इस्तेमाल योग्य मास्क की अच्छी गुणवत्ता जरूरी

डिस्पोजेबल मास्क (Disposable Mask) का इस्तेमाल कभी देर तक नहीं करना चाहिए. दोबारा इस्तेमाल योग्य मास्क की भी एक्सपायरी डेट हो सकती है. इसको बदलने या एक नया मास्क लाने का सबसे बेहतर समय कई बातों पर निर्भर करता है. ज्यादा यात्रा करनेवाले या नियमित तौर पर लोगों से घुलने-मिलने वाले या मेडिकल समुदाय को बार-बार मास्क बदलने की जरूरत होगी.

दोबारा इस्तेमाल के योग्य मास्क को कब बदलना चाहिए?

आपकी स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक अच्छा उपाय अपने पास कई मास्क का रखना है. कुछ संकेत आपको समझने में मदद कर सकते हैं कि बेहतर और सुरक्षित समय कब होगा जिससे आप दोबारा इस्तेमाल योग्य मास्क को हटाकर नया ला सकें. अगर फैब्रिक बार-बार धोने के बाद छिद्रदार, हल्का और पतला हो जाए, अगर आपको किसी तरह का छेद या मास्क पर फटन दिखाई दे. इसलिए, जैसे ही कमी नजर आए फौरन मास्क को बदल दें चाहे सुराख कितना छोटा या बड़ा क्यों न हो. अगर आप सुरक्षित होना चाहते हैं और संदेह भी है कि मास्क से आपको किसी तरह की असुविधा हो सकती है, तो उसे बदलकर नया मास्क लाएं.

TMC को झटकाः बीजेपी में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी, अमित शाह ने किया स्वागत

पश्चिम बंगाल में शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की रैली के दौरान टीएमसी (TMC) के पूर्व नेता सुवेंदु अधिकारी (suvendu adhikari) ने बीजेपी (BJP) का दामन थाम लिया। कई दिनों से अधिकारी के बीजेपी में जाने की अटकले थीं। शाह ने सुवेंदु अधिकारी का बीजेपी में स्वागत किया. शाह ने टीएमसी (TMC) प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा, “क्यों इतने सारे लोग तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़ रहे हैं. इसके पीछे ममता का कुशासन, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद है. दीदी यह तो सिर्फ आगाज है, चुनाव आने तक आप अलग-थलग पड़ जाएंगी.” 

ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के करीबी और प्रदेश के परिवहन मंत्री अधिकारी ने कुछ दिन पहले टीएमसी से इस्तीफा दिया था। अधिकारी के पिता और भाई भी टीएमसी से सांसद हैं। हालांकि, उन्होंने सुवेंदु के पार्टी छोड़ने पर चुप्पी साध रखी है लेकिन माना जा रहा है कि जल्दी ही वे भी पार्टी का साथ छोड़ देंगे।

संकीर्ण राजनीति बंद करें ममता

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्षेत्रवाद की “संकीर्ण” राजनीति करने वालों की आलोचना की. शाह ने कहा, “जो लोग बंगाल में संकीर्ण राजनीति कर रहे हैं, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि खुदीराम बोस पर जितना गर्व बंगाल को है उतना ही पूरे देश को है.” भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जो लोग क्षेत्रवाद की राजनीति कर रहे हैं उन्हें इससे बाज आना चाहिए.बोस के पैतृक निवास पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए शाह ने कहा कि जब बोस को 1908 में अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटकाया जा रहा था तब उन्होंने ‘वंदे मातरम’ का उद्घोष कर देश के युवाओं को प्रेरित किया था.

ममता से क्यों नाराज हैं सुवेंदु?

सुवेंदु ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की सरकार में परिवहन मंत्री थे। उन्होंने 27 नवंबर को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अटकलें थीं कि बीजेपी (BJP) के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क होने के बाद सुवेंदु ने अपना पद छोड़ा था। सुवेंदु की नाराजगी की वजह पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में ममता बनर्जी का अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को अधिक अहमियत देना माना जा रहा है। ममता अघोषित रूप से अभिषेक बनर्जी को अपना उत्तराधिकारी बना चुकी हैं। सुवेंदु जैसे पार्टी के कद्दावर नेता इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। शुभेंदु ने खुल कर कभी भी पार्टी प्रमुख के खिलाफ कुछ नहीं कहा है लेकिन तृणमूल के अंदर वह लगातार निशाने पर रहे हैं।