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NewsnowदेशFarmers Protest: किसान आंदोलन की आवाज़ बना अख़बार Trolly Times

Farmers Protest: किसान आंदोलन की आवाज़ बना अख़बार Trolly Times

किसान नेताओं की बात स्पष्ट रूप से हर व्यक्ति तक पहुंचे इस विचार के साथ अखबार टरॉली टाइम्स (Trolly Times) की शुरुआत की गई

New Delhi: किसान आंदोलन (Farmers Protest) के चलते सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली की कतारें कई किलोमीटर दूर तक लगी हुई हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर टिकरी बॉर्डर पर भी है. किसान आंदोलन (Farmers Protest) के मंच से किसान नेताओं की कही बात हर ट्रैक्टर ट्रॉली तक पहुँचाने के लिये अब आंदोलन के अपने अखबार (Trolly Times) का इस्तेमाल किया जायेगा. चूंकि एक-एक ट्रॉली तक खबर पहुंचाने का ज़रिया ये अखबार होगा और इसे शुरू करने की योजना भी एक ट्रॉली में ही बनाई गई थी इसलिये इस अखबार का नाम रखा गया है ‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times)

शुक्रवार को अखबार का पहला एडिशन प्रकाशित किया गया. फिलहाल इसे सप्ताह में दो बार निकालने की योजना है. अखबार के पहले एडिशन की लीड स्टोरी का शीर्षक है ‘जुड़ेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे’. 4 पन्नों के इस अखबार में पंजाबी और हिंदी दोनों भाषाओं के लेखों को छापा गया है. कविता और कार्टून से लेकर आंदोलन की अलग अलग तस्वीरों को अख़बार में जगह दी गई है.

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) को शुरू करने का विचार सुरमीत मावी ने दिया था जो कि पेशे से एक कथाकार हैं और फिल्मों के लिये स्क्रिप्ट लिखते हैं. सुरमीत ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है और इसी के चलते किसान आंदोलन (Farmers Protest) की आवाज़ किसानों तक पहुंचाने के लिये उन्होंने अखबार का माध्यम चुना.

सुरमीत मावी ने कहा “मैं पेशे से एक फ़िल्म राइटर हूं, मेरी पढ़ाई पत्रकारिता की है लेकिन मावी जो मेरा सरनेम है इस गोत्र का मतलब होता है वो लोग जिनका पुश्तैनी काम ही खेती है. ये सिर्फ तीन काले कानूनों की लड़ाई नहीं है उससे बड़ी लड़ाई है. भारत का लोकतंत्र खत्म हो चुका है, उसकी बहाली की लड़ाई है. लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता है. मेरे मन में आया कि इस क्रांति में अगर मुझे अपना योगदान देना है इस लड़ाई को लड़ने का मेरा तरीका चौथा स्तंभ है. हमारे किसान नेताओं ने इस किसान आंदोलन को 2020 की किसान क्रांति बनाया है.”

ट्रॉली टाइम्स (Trolly Times) के बारे बताते हुए सुरमीत मावी ने कहा, ‘सिंघू बॉर्डर पर आज 10 किलोमीटर दूर तक ट्रॉली खड़ी हैं, टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह 14-15 किलोमीटर दूर तक ट्रॉली खड़ी हैं. किसी एक व्यक्ति को ट्रॉली में रहना ही पड़ता है. कई बार हर किसी तक हमारे नेताओं की बात नहीं पहुंच पाती. किसान नेताओं की बात स्पष्ट रूप से हर व्यक्ति तक पहुंचे इस विचार के साथ अखबार की शुरुआत की गई ताकि किसी को भी गुमराह नहीं किया जा सके. हमारे अखबार का फ्रंट पेज हमारे नेताओं का माउथपीस होगा.”

अखबार के पहले एडिशन की लीड स्टोरी का ज़िक्र करते हुए सुरमीत मावी ने कहा, “जुड़ेंगे लड़ेंगे जीतेंगे की हेडलाइन हमारे नेताओं के साथ हर व्यक्ति जो जुड़े हुआ है, उन सबके लिए यह लिखी गई है. इस आंदोलन (Farmers Protest) में सरकार एक झूठा नरेटिव देने की कोशिश कर रही है कि ये सिर्फ पंजाब और हरियाणा की लड़ाई है, जबकि यहां पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश के किसान जुड़े हैं. इसलिए हमने हिंदी में भी पेज पब्लिश किया है ताकि सभी तक हमारी आवाज़ पहुंच सके.”

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) के पहले एडिशन की 2000 कॉपियां पब्लिश की गई हैं. करीब 20 लोगों की टीम अखबार की राइटिंग, प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के लिये काम कर रही है. अखबार की एक एडिटोरियल पॉलिसी भी है, जो भी राइटिंग अखबार में प्रकाशित होगी वो मोर्चे पर बैठे लोगों की ही होंगी.

सुरमीत मावी ने बताया, “पद्मश्री सुरजीत पात्रा पंजाब के बहुत बड़े शायर हैं उन्होंने कविता लिखकर दी है. जितने भी लोगों ने इसमें आर्टिकल लिखे हैं वह मोर्चे पर बैठे हुए लोग हैं. मोर्चे पर बैठे हुए लोग इसकी रिपोर्टिंग कर रहे हैं, मोर्चे पर बैठे लोग ही इसको एडिट कर रहे हैं और मोर्चे के लोग ही इसको डिस्ट्रीब्यूट कर रहे हैं. छपाई छोड़कर बाकी हर व्यवस्था मोर्चे पर बैठे लोगों की ही है. छपाई के लिए हमने अपनी पॉकेट से भी पैसे इकट्ठे किए और कुछ लोगों से दान के ज़रिए भी मदद मिली है. जब तब्दीलियां होनी होती हैं तो रास्ता बन ही जाता है.”

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) को ट्रॉली तक पहुंचाने का ज़िम्मा टीम के ही कुछ वॉलिंटियर्स के पास है. जो पैदल जा कर ट्रॉली-ट्रॉली इन अखबारों को बांटते हैं. एक गाड़ी में अखबार के गठ्ठर रखकर ले जाये जाते हैं जो वॉलिंटियर्स को रास्ते में उतार देती है और फिर वॉलिंटियर्स पेपर बांटने का काम करते हैं. टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह की व्यवस्था की गई है. किसी को अगर अपना आर्टिकल पेपर में छपवाना है तो अख़बार की ईमेल आईडी timestrolley@gmail.com पर वह आर्टिकल भेज सकता है. अख़बार की कॉपियों की संख्या 2000 से बढ़ाकर 2500 तक करने पर विचार किया जा रहा है. इसके साथ ही एक ही अखबार की दो अलग-अलग भाषाओं में प्रति छाप दी जाए इन सारी चीजों पर भी फिलहाल ‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) की टीम विचार-विमर्श कर रही है.

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