Tiruvannamalai temple, जो तमिलनाडु में स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है, अपनी अद्वितीय विशेषताओं और गहराई से जुड़े आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में नंदी की मूर्ति (भगवान शिव के वाहन) का मुख आम तौर पर मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग की ओर होने के बजाय पवित्र अन्नमलाई पर्वत की ओर है।
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Tiruvannamalai temple के पीछे की प्रमुख मान्यताएं और कारण:
अन्नमलाई पर्वत को भगवान शिव का रूप मानना:
तिरुवन्नामलाई में अन्नमलाई पर्वत को भगवान शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है। यह पर्वत स्वयं “अरुणाचल” या “ज्योतिर्लिंग” का प्रतीक है, जो शिव के अग्नि तत्व को दर्शाता है। चूंकि शिव स्वयं पर्वत के रूप में माने जाते हैं, इसलिए नंदी का मुख सीधे उस पर्वत की ओर है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
नंदी भगवान शिव के परम भक्त और शाश्वत सेवक माने जाते हैं। शिवलिंग और पर्वत दोनों को शिव का प्रतीक मानने के कारण, नंदी का मुख अन्नमलाई पर्वत की ओर रखना भक्तों के लिए इस बात का प्रतीक है कि शिव हर रूप में पूजनीय हैं।
शिव और प्रकृति का संबंध:
शिव को प्रकृति और ब्रह्मांड की शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाला देवता माना जाता है। अन्नमलाई पर्वत प्रकृति का एक दिव्य प्रतीक है। नंदी का मुख पर्वत की ओर होने से यह दिखाता है कि भगवान शिव केवल गर्भगृह तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हैं।
परंपरा और मान्यताएं:
स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, नंदी ने स्वयं पर्वत की ओर देखने की इच्छा व्यक्त की थी, क्योंकि यह पर्वत शिव का “सर्वव्यापी” रूप है। तिरुवन्नामलाई के ज्योतिर्लिंग के संबंध में जो कहानियां प्रचलित हैं, वे इस दिशा-निर्देशन को सही ठहराती हैं।
आध्यात्मिक महत्व:
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अन्नमलाई पर्वत को प्रदक्षिणा (गिरिवलम) करना, यानी इस पवित्र पर्वत की परिक्रमा करना, Tiruvannamalai temple की सबसे महत्वपूर्ण पूजा मानी जाती है। भक्त यह मानते हैं कि यह परिक्रमा शिव की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम तरीका है। नंदी का मुख पर्वत की ओर होने से यह भी भक्तों को इस पूजा की ओर प्रेरित करता है।