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Joe Biden: जीत पर मुहर लगाने के बाद बोले- लोकतंत्र बरकरार रहा

अमेरिका (America) के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने निर्वाचक मंडल द्वारा उनकी जीत पर मुहर लगाने के बाद अमेरिका के लोगों से कहा कि देश में ‘‘लोकतंत्र बरकरार रहा’’. उन्होंने कहा कि देश को दिशा निर्देशित करने वाले सिद्धांतों की अवहेलना का प्रयास किया गया लेकिन यह कमजोर नहीं पड़ा.

अमेरिकी लोगों की सेवा करने का वक्त है

डेलावेयर के विलमिंगटन में बाइडन (Joe Biden) ने अपने संबोधन में कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान के आरोपों-प्रत्यारोपों और निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के अपनी हार नहीं स्वीकारने को भूलकर अब अमेरिकी लोगों की सेवा करने का वक्त है. उन्होंने कहा, ‘‘पहले जो नहीं जानते थे , अब वे भी इससे वाकिफ हैं. अमेरिकी लोगों के दिलों में यह बात गहराई से बैठी है कि ‘लोकतंत्र बरकरार रहा है.’’ बाइडन (Joe Biden) ने कहा, ‘‘सच की जीत हुई. आपके मतों की गणना हुई और आपके द्वारा चुने हुए नेता ही देश का नेतृत्व करेंगे.’’

20 जनवरी को संभालेंगे राष्ट्रपति पद

बाइडन (Joe Biden) 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने वाले हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप की कार्रवाई ने अमेरिका के मूल लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना की, यहां तक कि सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण भी प्रभावित हुआ. उन्होंने कहा कि अमेरिका को दिशा निर्देशित करने वाले सिद्धांत हमेशा अक्षुण्ण बने रहेंगे. वहीं बाइडन ने कहा, ‘‘अमेरिका में जनता का शासन होता है और जनता ही किसी नेता को सत्ता की बागडोर संभालने का अधिकार देती है. अब हम जान चुके हैं कि सत्ता का दुरुपयोग करने वाले लोकतंत्र की रोशनी को बुझा नहीं सकते हैं.’’

Corona Vaccine को लेकर केंद्र की गाइडलाइंस जारी, जानें वैक्‍सीन आपको कब और कैसे मिलेगी?

भारत में कोरोना वायरस की वैक्‍सीन (Corona Vaccine) को मंजूरी मिलते ही टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्‍यों के लिए कोविड-19 टीकाकरण (Corona Vaccine) से जुड़ी गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इसके मुताबिक, पहले चरण के अभियान में सरकार करीब 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की तैयारी कर रही है। इनमें हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 साल से ज्‍यादा उम्र वाले लोग और को-मॉर्बिडिटीज वाले 50 साल से कम उम्र वाले लोग शामिल होंगे। डॉक्‍युमेंट के अनुसार, वैक्‍सीन (Corona Vaccine) लगने के बाद 30 मिनट तक लोगों को मॉनिटर किया जाएगा। आइए जानते हैं कि केंद्र सरकार ने कोरोना टीकाकरण के लिए कैसा प्‍लान बनाया है।

किसे पहले मिलेगी वैक्‍सीन?

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अनुसार, पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को टीका लगेगा। इनमें एक करोड़ हेल्‍थवर्कर्स, 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 साल से ज्‍यादा उम्र वाले 26 करोड़ लोग और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 50 साल से कम उम्र वाले लोग (1 करोड़) शामिल होंगे। हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को अस्‍पताल या क्लिनिक जैसी जगहों पर टीका लगेगा। बाकी ग्रुप्‍स के लिए अलग से इंतजाम किए जा सकते हैं। मोबाइल साइट्स भी ऑपरेट करने की तैयारी है।

कैसे होगी वैक्‍सीन पाने वालों की पहचान? कहां लगेगा टीका?

कोरोना वैक्‍सीन (Corona Vaccine) पहले चरण में किन्‍हें दी जानी है, इसके लिए सरकार मतदाता सूची खंगालेगी। इससे 50 साल से ज्‍यादा उम्र वाले आसानी से आइडेंटिफाई किए जा सकते हैं। गंभीर बीमारियों वाले लोगों का डेटा नैशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे या फिर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय से मिल जाएगा। टीकाकरण के लिए पोलिंग बूथों, कॉलेजों और कम्‍युनिटी हॉल्‍स का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा नगर निगम भवनों, पंचायत बिल्डिंग, कैंट हॉस्पिटल, रेलवे अस्‍पतालों, पैरामिलिट्री फोर्सेज के कैंपों को भी टीकाकरण साइट की तरह यूज कर सकते हैं।

कोविड वैक्‍सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Co-WIN) सिस्‍टम तैयार किया गया है। इस डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर वैक्‍सीन के स्‍टॉक और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन की रियल-टाइम अपडेट्स तो मिलेंगी ही। वैक्‍सीन के लिए किन्‍होंने रजिस्‍टर किया है और उन्‍हें कब वैक्‍सीन दी जानी है या टीका लगा या नहीं, ये सब Co-WIN में अपडेट होता रहेगा। वैक्‍सीन पाने के लिए आपको पहले से रजिस्‍टर करना होगा। ऑन-द-स्‍पॉट रजिस्‍ट्रेशन नहीं हो जाएगा। सरकार ने 12 तरह के पहचान-पत्रों को मान्‍यता दी है जिनके जरिए आप Co-WIN वेबसाइट पर रजिस्‍टर कर पाएंगे। इसके लिए वोटर आईडी, आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पेंशन डॉक्‍युमेंट जैसे दस्‍तावेज मान्‍य होंगे।

5 लोगों की टीम देगी वैक्‍सीन, अधिकतम सीमा तय

जहां कोविड वैक्‍सीन (Corona Vaccine) दी जाएगी, वहां तीन कमरे होना जरूरी है। एक वेटिंग रूम होगा, एक वैक्सीनेशन रूम और तीसरा ऑब्‍जर्वेशन रूम। तीनों जगह सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करना होगा। वैक्‍सीनेशन रूम में किसी महिला को वैक्‍सीन मिलते वक्‍त एक महिला स्‍टाफ मेंबर की मौजूदगी अनिवार्य होगी। गाइडलाइंस के अनुसार, टीकाकरण की एक साइट पर दिनभर में केवल 100 लोगों को टीका लगेगा। अगर लॉजिस्टिक्‍स की सुविधा अच्‍छी है तो इसे बढ़ाकर 200 भी किया जा सकता है। किसी भी केस में एक दिन में एक जगह पर 200 से ज्‍यादा लोगों को टीका नहीं लगेगा। वैक्‍सीन देने वाली टीम में एक वैक्‍सीन ऑफिसर और चार वैक्‍सीनेशन ऑफिसर्स होंगे।

वैक्‍सीन की सेफ्टी के लिए क्‍या हैं इंतजाम?

कोरोना वैक्‍सीन (Corona Vaccine) का टीकाकरण देश का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शामिल होने वाला है। राज्‍यों को एक जिले में एक मैनुफैक्‍चरर की वैक्‍सीन ही सप्‍लाई करने को कहा गया है ताकि अलग-अलग वैक्‍सीन मिक्‍स होने से बचा जा सके। वैक्‍सीन कैरियर, वायल्‍स और आइस पैक्‍स को सूरज की सीधी रोशनी से बचाने के सभी इंतजाम किए जाएंगी। जब तक कोई टीका लगवाने नहीं आता, तब तक वैक्सीन और डाइलुएंट्स को वैक्‍सीन कैरियर के भीतर लिड बंद करके रखा जाएगा।

Farms Law: कृषि कानून में सिविल कोर्ट जाने का रास्ता नहीं होना संवैधानिक अधिकार में दखल

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New Delhi: कृषि बिल (Farms Law) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) हो रहा है और इससे संबंधित तीनों कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है जिस पर अभी सुनवाई होनी है। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उस कानूनी प्रावधान को लेकर है जिसमें प्रावधान किया गया है कि मामले में सिविल कोर्ट (Civil Court) जाने का प्रावधान नहीं है। इस मामले में हालांकि सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह कोर्ट जाने का प्रावधान करने पर विचार कर रही है लेकिन फिलहाल जो कानून है उसमें कोर्ट का जूरिडिक्शन नहीं है और ये विवाद का बहुत बड़ा कारण बना है कानूनी जानकारों के मुताबिक कोर्ट जाने का अधिकार संवैधानिक अधिकार है।

कृषि कानून के जान लें प्रावधान

कृषि बिल (Farms Law) से संबंधित तीन कानून हैं। इनमें कृषक उपज ट्रेड और कॉमर्स (प्रोमोशन और सरलीकरण) क़ानून, 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (अमेंडमेंट) कानून 2020 है। इनमें कृषक उपज ट्रेड और कॉमर्स (प्रोमोशन और सरलीकरण) कानून, 2020 की धारा-13 को सबसे पहले देखना जरूरी है। इस धारा के तहत प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार या उनके अधिकारी या फिर राज्य सरकार या फिर उनके किसी अधिकारी या किसी और के खिलाफ इस कानून के तहत बेहतर मंशा से की गई कार्रवाई के मामले में कोई भी सूट, मुकदमा और अन्य कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाएगी। वहीं धारा-15 में प्रावधान किया गया है कि किसी भी सिविल कोर्ट का इस कानून के तहत जूडिरिडिक्शन नहीं होगा और इस कएक्ट के तहत जिस अथॉरिटी को अधिकृत किया जाएगा वही मामले में संज्ञान ले सकेगा। कानूनी जानकार बताते हैं कि इस मामले में एसडीएम और अडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के यहां अर्जी दाखिल किया जा सकेगा।

तो न्याय मिलना होगी दूर की कौड़ी

बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चेयरमैन रमेश गुप्ता ने बताया कि कानून में सिविल कोर्ट के जूरिडिक्शन को खत्म करना मुख्य परेशानी का सबब है और इसके लिए पीएम को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने लेटर भी लिखा है कृषि कानून (Farms Law) के तहत सिविल कोर्ट के जूरिडिक्शन को एसडीएम और एडीएम को सौंपा जा रहा है। कैसे सिविल कोर्ट के कार्यवाही के जूरिडिक्शन को एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंसी को सौंपा जा सकता है। क्योंकि एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंसी तो कार्यपालिका के कंट्रोल में होता है। संविधान का जो प्रावधान है उसके तहत जूडिशियरी को कार्यपालिका से अलग किया गया है। लेकिन इस कानून के तहत जो प्रावधान किया गया है वह संविधान के तहत मान्य नहीं है। इससे आम लोगों के हितों के साथ समझौता हो जाए और ब्यूरोक्रेसी के सामने न्याय मिलना दूर की कौड़ी होगी।

तो कृषि कानून से CPC हो गया निष्प्रभावी?

इस कानून (Farms Law) पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि ये नहीं भूलना चाहिए कि जूडिशियरी आम लोगों के अधिकार का रक्षक है। कार्यों के बंटवारे के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है। वैसे सरकार ने इस मामले में प्रस्ताव दिया है कि सिविल कोर्ट जाने का विकल्प दिया जा सकता है। किसानों के विरोध के बीच जो बातचीत चल रही है उसी के तहत केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि विवाद के संदर्भ में जो माजूदा व्यवस्था की गई है उसके अतिरिक्त सिविल कोर्ट जाने का विकल्प दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानून को चुनौती देने वाले एपी सिंह बताते हैं कि इस कानून ने सीपीसी के प्रावधान को ही इस कानून में निष्प्रभावी कर दिया गया। दरअसल जब जमीन विवाद या संपत्ति विवाद होता है तो सिविल प्रक्रिया की धारा यानी सीपीसी अप्लाई होता है और सिविल कोर्ट का जूरिडिक्शन बनता है लेकिन इस कानून में सिविल कोर्ट का दरवाजा ही बंद कर दिया गया है जो गैर संवैधानिक है।

यहां फंस रहा है पेच

कोई भी कानून संविधान के प्रावधान से ऊपर नहीं हो सकता। कानून बनाकर कोर्ट का जूरिडिक्शन या विकल्प को खत्म नहीं किया जा सकता। इस मामले में कोर्ट का जूरिडिक्शन खत्म किया गया है। संविधान के तहत हर नागरिक को न्याय पाने का अधिकार है उससे कैसे वंचित किया जा सकता है। कोर्ट का अधिकार एसडीएम को नहीं दिया जा सकता क्योंकि एसडीएम न्यायिक अधिकारी नहीं बल्कि प्रशासनिक अधिकारी है। इस तरह से देखा जाए तो हर व्यक्ति को न्याय पाने का जो मौलिक अधिकार है उससे वंचित किया जा रहा है और ये संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ है।

विकल्प के तौर पर न तो ट्रिब्यूनल और न ही रिवेन्यू कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी बताते हैं कि इस मामले में केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है उसमें कई ऐसे मुद्दे हैं जो संवैधानिक है। संविधान के तहत कृषि राज्य का विषय है और राज्य सरकार इस पर कानून बना सकती है। लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार ने संसद के जरिये कानून बनाया जो सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनौती का विषय हो सकता है क्योंकि ये संविधान के प्रावधान के खिलाफ है। कृषक उपज ट्रेड और कॉमर्स (प्रोमोशन और सरलीकरण) क़ानून, 2020 की धारा-13 व 15 आदि को देखने से साफ है कि न्यायिक जूरिडिक्शन को ही खत्म कर दिया गया है। कानून में सिविल कोर्ट का रास्ता बंद किया गया है लेकिन उसके विकल्प के तौर पर न तो ट्रिब्यूनल बनाया गया और न ही रिवेन्यू कोर्ट आदि का जूरिडिक्शन दिया गया। बल्कि कहा गया है कि एसडीएम या ए़डीएम का जूरिडिक्शन होगा।

संविधान का बेसिक स्ट्रेक्चर जान लीजिए

संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट है कि हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है उससे किसी को वंचित नहीं किया जा सकता। यहां जो कानून बनाया गया है उसमें सिविल कोर्ट का जूरिडिक्शन खत्म कर कोई वैकल्पिक ट्रिब्यूनल का ऑप्शन नहीं है और ये देखा जाए तो संविधान के तहत हर नागरिक को न्याय पाने का जो अधिकार है उससे वंचित करने जैसा है। वैसे ही कोई भी प्रावधान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिट के अधिकार में दखल नहीं दे सकता। ये तमाम ऐसे मद्दे हैं जो संवैधानिक व्यवस्था में दखल जैसा है और सुप्रीम कोर्ट के सामने ये मसला उठना चाहिए और उठेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट संविधान का गार्जियन होता है।

Farmers Protest: दिल्ली के सभी नाकों पर आज किसानों का अनशन, कल करेंगे हाईवे जाम

New Delhi : दिल्ली के बॉर्डर पर लगातार 19वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) जारी है। कृषि सुधार वाले तीनों नए कानूनों (Farms Law) को वापस लेने की जिद पर अड़े किसानों ने भारत बंद (Bharat Band) और सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद अपने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है। इसके तहत किसान आज देशभर के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने करेंगे। साथ ही किसान अपनी मांगें पूरी कराने के लिए भूख हड़ताल(Hunger Strike) भी करेंगे। सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर आंदोलन में शामिल हर संगठन से एक-एक नेता सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन पर बैठेगा। आंदोलन (Farmers Protest) की अगली रणनीति का एलान शाम को किया जाएगा। 

किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता बंदोबस्त किए जा रहे हैं। इंटेलिजेंस इनपुट्स के मुताबिक टीकरी और सिघु बॉर्डर पर भीड़ बढ़ती जा रही है। किसानों की संख्या बढ़ने के साथ ही सुरक्षा बल के जवानों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। टीकरी बॉर्डर पर फ्रंट लाइन ड्यूटी पर आरएएफ, उसके बाद आईटीबीपी और उसके बाद सीआरपीएफ की टुकड़ी लगाई गई है। साथ में दिल्ली पुलिस को भी तैनात किया गया है।

हाईवे अब मंगलवार को बंद होगा


राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार कक्काजी ने कहा कि एक दिन के अनशन की वजह से किसानों ने दिल्ली जयपुर हाईवे बंद करने का निर्णय एक दिन आगे बढ़ा दिया है। हाईवे अब मंगलवार को बंद होगा। जयपुर-दिल्ली हाईवे जाम करने के लिए राजस्थान, हरियाणा बॉर्डर पर रविवार को बड़ी संख्या में किसान पहुंच गए हैं। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को अपने आवास पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सोम प्रकाश के साथ किसानों को मनाने पर मंथन किया। इसके अलावा गृहमंत्री ने पंजाब के भाजपा नेताओं के साथ भी एक अलग बैठक की। 

उधर, सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि सोमवार को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन रहेगा। इसके अलावा सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन होंगे और दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जैसा चल रहा है जारी रहेगा। 

पंजाब के डीआईजी (कारागार) ने किसानों के समर्थन में दिया इस्तीफा 


पंजाब के उपमहानिरीक्षक (कारागार) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने किसानों के समर्थन में इस्तीफा दे दिया है। जाखड़ ने रविवार को कहा, मैं अपने भाइयों के लिए लड़ूंगा। उन्होंने बताया कि शनिवार को राज्य सरकार के पास इस्तीफा भेज दिया है। 

अगले दौर की वार्ता जल्द 


केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के अपना प्रदर्शन तेज करने के बीच केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को कहा कि सरकार जल्द ही एक तारीख तय कर किसान संघ के नेताओं को अगले दौर की वार्ता के लिए बुलाएगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और 40 किसान संघों के प्रतिनिधियों के बीच पहले हुई पांच दौर की वार्ता बेनतीजा रही थीं।

केंद्र सिर्फ कॉरपोरेट के लिए काम कर रही: राकेश टिकैत


भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार सिर्फ उद्योगपतियों की हितैषी है और कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए ही काम कर रही है। जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, कानून से पहले गोडाउन निर्माण पूरा होना इस बात का संकेत है कि सरकार की योजना कुछ और ही है।

Jammu & Kashmir: सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में दो आतंकी ढेर, एक जिंदा पकड़ा गया

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जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन तेज कर रखा है. कश्मीर (Kashmir) में सुरक्षाबलों ने आतंकियों की साजिश को नाकाम कर दिया. सुरक्षाबलों ने संयुक्त ऑपरेशन में दो आतंकियों को मार गिराया जबकि एक आतंकी को गिरफ्तार किया है. आतंकियों के पास से हथियार और गोलाबारूद बरामद हुआ है. सुरक्षाबलों को आतंकियों के पास एक एके -47 रायफल, 300 राउंड एम्युनेशन, 6 मैगजीन, एक यूबीजीएल, 12 ग्रेनेड, दो मोबाइल सेट और एक सैटेलाइट फोन बरामद हुआ है. 

Farmers Protest: आंदोलन तेज करने के लिए किसानों की एक दिन की भूख हड़ताल।

Farmers Protest: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आंदोलन (Farmers Protest) तेज कर दिया है. पिछले महीने के अंत से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हजारों किसान एक दिन की भूख हड़ताल (Hunger Strike) पर बैठे हैं.

किसानों का कहना है कि जब तक नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. 

केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) सोमवार और तेज होगा. नवंबर महीने के अंत से दिल्ली के बॉर्डर पर डेट हजारों किसानों की एक दिन की भूख हड़ताल (Hunger Strike) शुरू हो गई है. टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर समेत अन्य जगहों पर किसान नेताओं के साथ भारी संख्या में किसान अनशन पर हैं. भूख हड़ताल (Hunger Strike) के साथ किसान देशभर के जिला मुख्यालयों का घेराव भी करेंगे. सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बावजूद, किसानों का कहना है कि जब तक नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. वहीं, केंद्रीय मंत्री कैलाश शर्मा का कहना है कि किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत की तैयारी हो रही है. इस मसले का हल बातचीत से ही निकलेगा.  

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