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मुंबई: टीबी अस्‍पताल के मेडिकल सुपरिंटेडेंट को हटाया गया

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मुंबई : बृहनमुंबई म्‍युनिसिपल कार्पोरेशन (BMC) ने कार्रवाई करते हुए सिवरी टीबी अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ ललितकुमार आनंदे को पद से हटा दिया है.18 अक्टूबर को, कोविड -19 और TB से पीड़ित रोगी ग़ायब होने के 14 दिन बाद  अस्पताल के शौचालय में मृत मिला था. वार्ड में मरीज़ों द्वारा बदबू आने की शिकायत के बाद शौचालय में मृत शरीर मिला था. मामले में विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद कार्रवाई शुरू की गई है, जिसमें कई डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय और प्रशासक के ड्यूटी में कई चूक पाई गई थी. BMC ने मामले में 12 नर्सों, एक चिकित्सा अधिकारी और एक वार्ड बॉय के खिलाफ भी विभागीय जांच शुरू की है.

Corona Vaccine:ऑस्ट्रेलिया की सीएसएल लिमिटेड कंपनी ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है.

corona

Australia’s CSL Limited Company has started production of the Corona virus vaccine from Oxford-AstraZeneca.

कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए ऑस्ट्रेलिया (Australia) से बड़ी राहत और उम्मीद भरी खबर आई है. ऑस्ट्रेलिया की सीएसएल लिमिटेड कंपनी ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन (Corona Vaccine) का उत्पादन शुरू कर दिया है. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने दावा किया कि सोमवार तक कंपनी विक्टोरिया में वैक्सीन की तीन करोड़ खुराक के उत्पादन के दायरे में पहुंच गई है. 

सिडनी के 2-जीबी रेडियो के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हुंट ने इसकी पुष्टि की है. हंट ने 2-जीबी रेडियो को कहा, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से टीकाकरण स्वेच्छिक होगा, लेकिन हम अधिक से अधिक लोगों को इसे लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. हमें विश्वास है कि ऑस्ट्रेलियाई जनसंख्या के हिसाब से हमारे पास बहुत अधिक वैक्सीन है. स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक मार्च में आम लोगों को इसकी खुराक मिलनी शुरू हो जाएगी.

वहीं, सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड अखबार ने बताया कि टीके को पूरी तरह से संसाधित करने में सीएसएल को लगभग 50 दिन लगेंगे. अखबार के मुताबिक, वैक्सीन के उत्पादन के लिए कंपनी का एस्ट्राजेनेका और ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ अलग-अलग अनुबंध है.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को अभी भी ऑस्ट्रेलिया के चिकित्सीय प्रशासन द्वारा स्वीकृति दिए जाने की जरूरत है. इस वर्ष के अंत तक वैक्सीन के तीसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण पूरा होने की उम्मीद है

NGT का आदेश पटाखे जलाने पर बैन, कौन से शहर दायरे में जानें।

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 NGT order ban on burning crackers

दिवाली के बाद पटाखों के चलते वायु प्रदूषण कई गुना बढ़ने के ट्रेंड को देखते हुए कई राज्‍यों में प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिल्‍ली, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, ओडिशा, राजस्‍थान, सिक्किम और कर्नाटक जैसे राज्‍यों ने अपने स्‍तर पर पटाखे बैन करने का फैसला किया था। हालांकि इनमें से कुछ ने विरोध के बाद कुछ देर के लिए पटाखे जलाने की छूट दी थी। मगर सोमवार को नैशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल (NGT) का आदेश आ गया। दिल्‍ली-एनसीआर में तो 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक है ही। NGT के मुताबिक, पटाखों की बिक्री उन शहरों/कस्‍बों में भी प्रतिबंधित रहेगी जहां पिछले साल नवंबर में औसत एयर क्‍वालिटी ‘खराब’ या उससे बुरी थी। इस आदेश के बाद कन्‍फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई है कि कहां पटाखे लाने की छूट होगी और कहां नहीं।

NGT ने अपने आदेश में साफ कहा है कि दिल्‍ली-एनसीआर में 9 नवंबर की आधी रात से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री और इस्‍तेमाल पर पाबंदी है। दिल्‍ली की हवा फिलहाल ‘गंभीर’ श्रेणी में है और पटाखों के चलते इसके और खराब होने का पूरा अंदेशा था। एनजीटी का यह आदेश चार राज्‍यों में फैले दो दर्जन से भी ज्‍यादा जिलों पर लागू होगा जो एनसीआर का हिस्‍सा हैं।

यह भी पढ़ें- दिल्ली-एनसीआर की हवा जानलेवा,’बेहद खतरनाक’ की श्रेणी से भी आगे निकला प्रदूषण का स्तर

एनसीआर में यूपी के 8 जिले आते हैं। एनजीटी के आदेश के मुताबिक, यहां पर पटाखे पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे। ये जिले हैं- गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, बागपत, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और शामली।

एनजीटी के आदेश के तहत एनसीआर में आने वाले 14 जिलों में यह प्रतिबंध लागू होगा। एनसीआर में सबसे ज्‍यादा जिले हरियाणा के ही हैं। ये जिले हैं- गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, झज्‍जर, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़, नूह, पानीपत, पलवल, रेवाड़ी, रोहतक और सोनीपत।

राजस्‍थान सरकार ने 2 नवंबर को ही पूरे राज्‍य में पटाखों की बिक्री और इस्‍तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। बहरहाल, एनजीटी का यह आदेश एनसीआर में आने वाले राजस्‍थान के दो जिलों- अलवर और भरतपुर पर सीधे-सीधे लागू होगा।

एनजीटी के अनुसार, पिछले साल नवंबर में जिन-जिन शहरों और कस्‍बों में हवा की गुणवत्‍ता ‘खराब’ या उससे नीचे रही थी, वहां यह प्रतिबंध लागू होगा। अगर कहीं पर इससे भी सख्‍त आदेश है तो वह लागू होगा। इससे कन्‍फ्यूजन की स्थिति बन गई है। एनजीटी ने डेटा पॉइंट नवंबर 2019 रखा है। ऐसे में पिछले साल AQI का डेटा देखने के बाद ही तय होगा कि बाकी देश में कहां-कहां पटाखों पर प्रतिबंध है। एनजीटी ने यह भी कहा है जिन राज्‍यों ने बैन लगा रखा है, वह जारी रहेगा। पिछले साल 1 नवंबर को किन-किन शहरों का AQI खराब या उससे नीचे की कैटेगरी में था,

एनजीटी ने वर्तमान में जिन शहरों/कस्‍बों की एयर क्‍वालिटी ‘मॉडरेट’ या उससे बेहतर है, वहां केवल ग्रीन पटाखे जलाने की छूट दी है। यह छूट भी केवल दो घंटे के लिए मिलेगी। और ये दो घंटे कौन से होंगे, यह राज्‍य सरकारें तय कर सकेंगी। अगर वे कोई समय नहीं तय करतीं तो एनजीटी ने ये टाइमिंग रखी है:

दिवाली और गुरुपर्व: रात 8 से 10 बजे

छठ: सुबह 6 से 8 बजे

क्रिसमस, न्‍यूईयर रात 11.55 से 12.30 बजे

एनजीटी ने बाकी जगहों के लिए प्रतिबंध/सीमाएं तय करने का फैसला वहां के अधिकारियों पर छोड़ा है। हालांकि एनजीटी का कहना है कि अगर पहले से ही इससे सख्‍त प्रावधान लागू हैं तो वे जारी रहेंगे। मतलब राज्‍यों में जिन जिलों की हवा ठीक है लेकिन वहां पर पटाखे बैन तो बैन ही रहेंगे। उन्‍हें छूट नहीं मिल पाएगी।

चंडीगढ़ में सभी तरह के पटाखों की बिक्री और इस्‍तेमाल पर रोक लगाई जा चुकी है। मुंबई में बीएमसी ने ऑर्डर जारी किया है कि सार्वजनिक जगहों पर पटाखा जलाना प्रतिबंधित रहेगा। सिर्फ 14 नवंबर को प्राइवेट सोसायटी में रहने वाले लोगों को फुलझड़ी और अनार जैसे पटाखे का उपयोग करने की छूट दी गई है। उत्‍तर प्रदेश ने पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर अभी तक कोइ फैसला नहीं किया है। पिछले साल लखनऊ में बैन लगाना पड़ा था।

एनजीटी ने सभी राज्‍यों से कहा है कि वे कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वायु प्रदूषण को रोकने के लिए खास अभियान चलाएं। मुख्‍य सचिवों से इस संबंध में जिलाधिकारियों, एसपी और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड्स को ‘उचित आदेश’ जारी करने को कहा गया है।

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अलावा राज्‍य प्रदूषण बोर्ड्स और समितियों से भी इस दौरान एयर क्‍वालिटी पर नजर रखने को कहा है। CPCB से सारा डेटा कम्‍पाइल कर एनजीटी को एक रिपोर्ट भेजने का निर्देश भी दिया गया है।

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख माँगे राज्य के पुराने अधिकार

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(Mamata Banerjee) ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर आवश्यक सामान की बढ़ती कीमतों में कमी लाने, जमाखोरी को नियंत्रित करने और आपूर्ति बढ़ाने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की.उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि आलू और प्याज जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों पर राज्य सरकार के नियंत्रण की शक्ति को फिर से बहाल किया जाए.

प्रधानमंत्री को चार पन्ने के पत्र में ममता ने लिखा, ‘‘मामले की गंभीरता को देखते हुए मैं केंद्र सरकार से आग्रह करती हूं कि जमाखोरी को नियंत्रित करने, आपूर्ति को बढ़ाने तथा आवश्यक खाद्य पदार्थें की कीमतों में कमी लाने के लिए तुरंत कदम उठाए क्योंकि जनता को बेहद किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. अन्यथा राज्य सरकार की शक्ति को बहाल किया जाए कि वह कृषि उत्पाद, आपूर्ति, वितरण और बिक्री पर नियंत्रण कर सके.”बनर्जी ने मोदी से आग्रह किया कि राज्यों को कृषि उत्पाद, आपूर्ति, वितरण और बिक्री पर नियंत्रण करने के लिए उपयुक्त कानून लाने की अनुमति दी जाए.

पत्र में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार को इसकी शक्तियों से वंचित कर दिया गया है और वह आम जनता की दिक्कतों को देखते हुए मूकदर्शक बनी नहीं रह सकती है क्योंकि आलू और प्याज जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें आसामन छू रही हैं.”

संसद ने 23 सितम्बर को आवश्यक खाद्य पदार्थ (संशोधन) विधेयक पारित कर अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर कर दिया था.

देश में कोरोना के एक दिन में 45,903 नए मरीज मिले हैं. इनमें से 7745 मरीज दिल्ली के, महाराष्ट्र दूसरी पायदान पर

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दिल्ली कोरोना (Corona Cases)  के नए मरीजों के मामले में सबसे आगे आ गई है. महाराष्ट्र (Maharashtra) और केरल (Kerala) क्रमशः दूसरे और तीसरे पायदान पर खिसक गए हैं. दिल्ली(Delhi) में सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 7745 मिले हैं, जो राजधानी में किसी भी दिन सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या है. वहीं महाराष्ट्र में 5585 और केरल में 5440 मरीज मिले हैं.

पूरे देश में कोरोना के एक दिन में 45,903 नए मरीज मिले हैं. इनमें से 17 फीसदी नए केस अकेले दिल्ली में मिले. वहीं 70 प्रतिशत नए मरीज 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सामने आए हैं. दिल्ली में महाराष्ट्र और केरल से अधिक नए मामले सामने आने से चिंता बढ़ गई है. पिछले 24 घंटे में यहां कोरोना के नए मरीज नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए.

यह भी पढ़ें-भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 85 लाख के पार

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली में 7 नवम्बर को भी महाराष्ट्र और केरल को पीछे छोड़ सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. हालांकि पूरे देश में कोविड के दौरान चलाए गए जन आंदोलन के कारण नए मामलों में गिरावट दर्ज की गई है. इस कारण सक्रिय मरीजों की संख्या में और गिरावट आएगी, जो अभी 5,09,673 हैं. यह कुल मामलों का 5.96 प्रतिशत ही है.

देश में संक्रमित मामलों की दर में गिरावट के साथ नए मामलों में करीब 50 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. देश में संक्रमण दर गिरकर 7.19 प्रतिशत हो गई है. देश में कोरोना के मरीजों के ठीक होने की दर 92.56 प्रतिशत है. अब तक 79,17,373 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं. देश में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या 85,53,657 हो गई है. वहीं 490 और लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,26,611 हो गई है.

बाजार में प्रकाश पर्व दीपावली के लिए भारत में बनने वाली लाइट और दूसरे सामान, चीनी सामानों का सामना नहीं कर पा रहे हैं

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मुंबई : प्रकाश पर्व दीपावली (Deepawali) से पहले बाज़ार में भारतीय सामानों की मांग ज़रूर बढ़ी है, लेकिन अब भी भारत में बनने वाली लाइट और दूसरे सामान, चीनी सामानों (Chinese Products) का सामना नहीं कर पा रहे हैं. चीन के सामान की तुलना में भारतीय सामान महंगा है और डिज़ाइन भी सीमित है. महानगर मुंबई के लोहार चॉल में लाइट की खरीदारी के लिए फिर से ग्राहक आते नज़र आ रहे हैं. सीमा विवाद के चलते चीनी सामान का बहिष्कार करने की लगातार उठ रही रही मांग के चलते ज्‍यादातर लोग भारतीय सामान की माँग कर रहे हैं.. लेकिन न तो भारतीय लाइट की डिज़ाइन अच्छी है. उल्‍टे भारतीय सामान का दाम भी चीनी सामानों से ज़्यादा है.

लाइट विक्रेता गुड्डू कहते हैं,’कस्टमर को फैंसी डिजाइन चाहिए, वे इंडियन सामान में नहीं बन रहा है. वो नॉर्मल डिजाइन में आता है. लोग कहते हैं कि इंडियन सामान चाहिए, लेकिन उसका दाम भी ज़्यादा है, ऐसे में लोग चले जाते हैं. 90 फीसदी लोग चीनी सामान ही लेकर जा रहे हैं.’ विक्रेताओं का भी कहना है कि गरीब व्यक्ति अधिक दामों में लाइट लेने में सक्षम नहीं है.. इसलिए न चाहते हुए भी उन्‍हें चीनी सामान रखना पड़ रहा है..

लाइट विक्रेता मंगेश पवार बताते है, ‘भारतीय सामान का दाम चीनी सामान से ज्‍यादा है, ज्‍यादातर गरीब लोग इसे खरीद नहीं पाएंगे. इसलिए वे चीनी प्रोडक्‍ट ही ले रहे हैं. हम भी चीनी सामान रखना नहीं चाहते हैं, लेकिन क्या करें..व्यापार करना है. वैसे मार्केट में ऐसे लोग भी हैं जो भारतीय कंपनियों की ओर बना सामान बेच रहे हैं.उनका कहना है कि धीरे-धीरे लोग इसे खरीदने लगे हैं. एक लाइट विक्रेता एजाज़ अहमद के अनुसार, ‘हमसे लोग पूछते हैं यह मेड इन इंडिया है या चाइना…. हम बताते हैं कि इंडियन है. लोग पूछते हैं और अच्छे दाम में लेते हैं.

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