SC ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि डीएनडी फ्लाईवे टोल फ्री रहेगा। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2016 के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें ब्रिज कंपनी को टोल शुल्क नहीं वसूलने का निर्देश दिया गया था और कहा गया था कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एनटीबीसीएल) को सार्वजनिक निविदा जारी किए बिना अनुबंध दिया गया था, जो पूरी तरह से मनमाना और गलत निर्णय था।
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SC ने नोएडा प्राधिकरण की खिंचाई की
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SC ने उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को बरकरार रखा कि कंपनी ने 8-लेन डीएनडी फ्लाईवे के निर्माण पर हुए रिटर्न, ब्याज और लागत की वसूली कर ली है और वह अधिक धन की हकदार नहीं है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, “कंपनी की अपील में कोई दम नहीं है।”
उच्चतम न्यायालय ने निजी कंपनी एनटीबीसीएल को टोल संग्रहण का काम सौंपने के लिए नोएडा प्राधिकरण की भी खिंचाई की और कहा कि इससे अन्यायपूर्ण संवर्धन हुआ है।
2016 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला क्या था?
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2016 में एक आदेश में कहा था कि डीएनडी फ्लाईवे का उपयोग करने वालों से कोई टोल नहीं लिया जाएगा। उच्च न्यायालय ने कंपनी से कहा था कि 2001 में इसे जनता के लिए खोले जाने के बाद से उन्होंने दस वर्षों में पर्याप्त टोल एकत्र किया है। यह आदेश तब पारित किया गया था जब उच्च न्यायालय ने फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा एक जनहित याचिका की अनुमति दी थी। एनटीबीसीएल द्वारा प्रबंधित, 9.2 किलोमीटर लंबी सड़क नोएडा को दक्षिण दिल्ली से जोड़ती है। यहां से प्रतिदिन लगभग 1 लाख वाहन गुजरते हैं।