शिंगल्स (Shingles), जिसे हर्पीज ज़ोस्टर (Herpes Zoster) भी कहा जाता है, वैरिकैला-जोस्टर वायरस (VZV) के कारण होता है। यह वही वायरस है जो चिकनपॉक्स (Chickenpox) का कारण बनता है। चिकनपॉक्स से उबरने के बाद यह वायरस शरीर की तंत्रिकाओं में निष्क्रिय रहता है और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने पर पुनः सक्रिय होकर शिंगल्स का कारण बनता है।
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भारत में शिंगल्स के बढ़ते मामलों के पीछे के प्रमुख कारण:
उम्र बढ़ने के कारण जोखिम में वृद्धि:
Shingles का खतरा 50 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में अधिक होता है।
भारत में बढ़ती वृद्ध जनसंख्या के कारण शिंगल्स के मामले बढ़ रहे हैं।
प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी:
एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS), कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामलों में वृद्धि के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
तनाव और जीवनशैली:
मानसिक तनाव, नींद की कमी और असंतुलित आहार प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं, जिससे वायरस के पुनः सक्रिय होने की संभावना बढ़ जाती है।
चिकनपॉक्स के मामले:
जिन व्यक्तियों को बचपन में चिकनपॉक्स हुआ है, उनमें शिंगल्स होने की संभावना अधिक होती है।
वैक्सीनेशन से समाधान:
✅ शिंग्रिक्स (Shingrix):
- यह टीका 90% तक प्रभावी है और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को दिया जाता है।
- यह शिंगल्स की गंभीरता और पोस्ट-हर्पेटिक न्यूराल्जिया (PHN) के खतरे को कम करता है।
✅ जोस्टावैक्स (Zostavax):
- यह टीका 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए उपयोगी है।
- हालांकि इसकी प्रभावशीलता शिंग्रिक्स की तुलना में कम है।
शुरुआती उपचार से Shingles संक्रमण की गंभीरता और जटिलताओं को कम किया जा सकता है।