Newsnowशिक्षाUGC ने संस्थानों को परिसर में रैगिंग विरोधी गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश...

UGC ने संस्थानों को परिसर में रैगिंग विरोधी गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया

UGC का यह कदम भारतीय कैंपसों में रगिंग की समस्या के समाधान के लिए समय पर और आवश्यक कदम है। रगिंग, किसी भी रूप में, शैक्षिक संस्थानों में जगह नहीं बना सकती, और यह हम सभी की जिम्मेदारी है

भारत में उच्च शिक्षा की निगरानी करने वाली सर्वोच्च संस्था, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), ने हाल ही में शैक्षिक संस्थानों को अपने परिसर में रगिंग की घटनाओं को रोकने और काबू करने के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है। यह कदम छात्रों, विशेषकर नए छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंता के मद्देनजर उठाया गया है, जो अक्सर रगिंग के शिकार होते हैं। UGC ने इस पहल के तहत संस्थानों से कई प्रमुख कदम उठाने का आग्रह किया है, ताकि सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ और सहायक वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। आयोग के इस निर्देश में केवल दंडात्मक कार्रवाई नहीं, बल्कि प्रासंगिक और निवारक उपायों पर भी जोर दिया गया है, जो एक समावेशी और सम्मानजनक कैंपस संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।

रगिंग की प्रकृति और उसका प्रभाव

रगिंग, जो जूनियर छात्रों के साथ वरिष्ठ छात्रों द्वारा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने के रूप में सामने आती है, एक गंभीर समस्या रही है। पहले इसे नए छात्रों को “स्वागत” करने का एक तरीका माना जाता था, लेकिन समय के साथ यह एक प्रकार के शोषण में बदल गया है, जो कभी-कभी मानसिक और शारीरिक आघात का कारण बनता है। कुछ मामलों में तो रगिंग के कारण छात्र आत्महत्या तक कर लेते हैं। इसके अलावा, रगिंग के शिकार छात्रों को अक्सर समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जिससे एक विषाक्त कैंपस वातावरण का निर्माण होता है।

UGC के इस कदम का उद्देश्य न केवल रगिंग से जुड़े मामलों को नियंत्रित करना है, बल्कि छात्रों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की रक्षा करना भी है। यह बात अब स्पष्ट हो चुकी है कि रगिंग का प्रभाव छात्रों पर दीर्घकालिक मानसिक समस्याओं के रूप में भी हो सकता है, जैसे चिंता, अवसाद, और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)। ऐसे मामलों में कई बार छात्र जीवन से निराश होकर गंभीर कदम उठा लेते हैं। इसलिए UGC यह सुनिश्चित करना चाहता है कि संस्थान सिर्फ दंडात्मक कार्रवाई न करें, बल्कि ऐसे उपायों को लागू करें जो रगिंग को शुरू होने से पहले ही रोकने में सक्षम हों।

UGC के निर्देश

UGC द्वारा जारी किए गए निर्देशों में कई ऐसे उपाय शामिल हैं, जिनका उद्देश्य संस्थानों में रगिंग की घटनाओं को रोकना और एक सुरक्षित शैक्षिक वातावरण सुनिश्चित करना है। इन निर्देशों में से कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • एंटी-रगिंग कमेटियों को मजबूत करना: सभी शैक्षिक संस्थानों से यह आग्रह किया गया है कि वे प्रभावी एंटी-रगिंग कमेटियां बनाएं, जिनमें वरिष्ठ शिक्षक, छात्र प्रतिनिधि और काउंसलर्स शामिल हों। इन समितियों का काम रगिंग की घटनाओं की निगरानी करना, शिकायतों की जांच करना और उचित दंडात्मक कार्रवाई करना होगा। नियमित रूप से बैठकें आयोजित करनी चाहिए ताकि संस्थान अपने रगिंग विरोधी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता की समीक्षा कर सकें।
  • छात्रों में जागरूकता बढ़ाना: संस्थानों से यह भी कहा गया है कि वे व्यापक जागरूकता अभियान चलाएं, जिससे छात्रों को रगिंग के गंभीर परिणामों के बारे में जानकारी हो। नए छात्रों को उनके अधिकारों और उपलब्ध सहायता संरचनाओं के बारे में बताया जाए। वरिष्ठ छात्रों को भी प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे एक सकारात्मक और सहायक कैंपस वातावरण बनाने में भूमिका निभा सकें।

कठोर रगिंग विरोधी नियमों को लागू करना: UGC ने संस्थानों से अनुरोध किया है कि वे रगिंग के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति अपनाएं। संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि रगिंग की कोई भी घटना अस्वीकार्य हो, और इसके लिए स्पष्ट नियम और दंडात्मक प्रावधान हों। इन नियमों को छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षकों के साथ साझा किया जाना चाहिए।

  • नए छात्रों के लिए न डरने वाला माहौल बनाना: रगिंग को शुरू होने से रोकने के लिए संस्थानों को ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिसमें नए छात्र डर के बजाय आत्मविश्वास के साथ शैक्षिक जीवन में प्रवेश करें। इसके लिए संस्थान छात्र-परामर्श कार्यक्रम, मेंटरशिप प्रोग्राम और ओरिएंटेशन सत्र आयोजित कर सकते हैं, ताकि नए छात्र आसानी से और बिना डर के अपनी पहचान बना सकें।
  • सख्त निगरानी और निगरानी तंत्र: रगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए संस्थानों को तकनीकी समाधान, जैसे कि सामान्य क्षेत्रों में निगरानी कैमरों का उपयोग करने और रगिंग की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए मोबाइल ऐप्स का उपयोग करने की सिफारिश की गई है। इससे न केवल निगरानी बढ़ेगी, बल्कि शिकायतों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने में भी मदद मिलेगी।
  • पीड़ितों के लिए पर्याप्त समर्थन: संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रगिंग के शिकार छात्रों को तुरंत मानसिक और कानूनी सहायता प्राप्त हो। काउंसलिंग सेवाएं आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए, और छात्रों को रगिंग की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की प्रतिशोध का डर न हो।
  • छात्रों और उनके अभिभावकों का पंजीकरण अनिवार्य करना: संस्थानों को यह निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों और उनके अभिभावकों का पंजीकरण दाखिले के समय अनिवार्य रूप से करें। इससे संस्थानों को शिकायतों के मामले में जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, अभिभावकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएं, ताकि वे घर पर भी रगिंग के खिलाफ सकारात्मक मूल्य विकसित कर सकें।
  • नियमित निगरानी और मूल्यांकन: UGC ने संस्थानों से यह भी कहा है कि वे रगिंग विरोधी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए नियमित निगरानी तंत्र स्थापित करें। इसके तहत, छात्रों से प्रतिक्रिया और सर्वेक्षणों के जरिए यह मापने की कोशिश की जाए कि कैंपस का वातावरण कितना सुरक्षित और स्वागतपूर्ण है।

कानूनी और नैतिक प्रभाव

UGC के निर्देश में रगिंग के कानूनी पक्ष पर भी जोर दिया गया है। रगिंग भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत एक अपराध है और इसके लिए कड़ी सजा, जैसे कि कारावास और जुर्माना, का प्रावधान है। रगिंग विरोधी अधिनियम, 2009 के तहत संस्थानों को रगिंग विरोधी समितियां बनानी होती हैं, हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करने होते हैं, और अन्य निवारक कदम उठाने होते हैं। इसके बावजूद, कई बार रगिंग के मामले अनदेखे रह जाते हैं, जो इस बात को स्पष्ट करता है कि संस्थानों में संस्कृति की आवश्यकता है।

कानून एक स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करता है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि संस्थान अपने छात्रों में नैतिक जिम्मेदारी का अहसास कराएं। संस्थान केवल दंडात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित न करें, बल्कि एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा दें, जिसमें सभी छात्रों का सम्मान किया जाए, चाहे उनका वरिष्ठता स्तर कुछ भी हो। यह तब संभव होगा जब संस्थान समावेशिता, सहानुभूति और सामूहिकता की भावना को प्रोत्साहित करेंगे।

FMGE स्कोरकार्ड 2025 जल्द ही जारी किया जाएगा

निष्कर्ष

UGC का यह कदम भारतीय कैंपसों में रगिंग की समस्या के समाधान के लिए समय पर और आवश्यक कदम है। रगिंग, किसी भी रूप में, शैक्षिक संस्थानों में जगह नहीं बना सकती, और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इसे समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाएं। संस्थानों को केवल दंडात्मक उपायों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि ऐसे कदम उठाने चाहिए जो रगिंग के शुरू होने से पहले ही इसे रोक सकें। जागरूकता अभियान, प्रभावी निगरानी और छात्रों को सहायक और सुरक्षित माहौल प्रदान करके हम सभी एक बेहतर और सम्मानजनक शैक्षिक वातावरण बना सकते हैं। UGC के निर्देशों के आधार पर, यह संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और रगिंग को अतीत की बात बना दें।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

spot_img

Men Clothing

spot_img

सम्बंधित लेख

Our jewellery is designed to transcend trends and become heirlooms of your personal journey.spot_img
Shop now and celebrate heritage with a fresh twist! 👗🌸✨spot_img
Our collection ensures you carry confidence in every stitch.spot_img
spot_img