Delhi AIIMS में 250 किलो के व्यक्ति का वजन घटाने का सफल ऑपरेशन, जानें पूरी जानकारी
वन-एनास्टोमोसिस गैस्ट्रिक बाईपास नामक एक बैरिएट्रिक (वजन घटाने) उपचार मोटे व्यक्तियों को उनके कैलोरी सेवन और अवशोषण को कम करने में मदद करता है।
Delhi AIIMS: 31 वर्षीय एक व्यक्ति जिसका वजन 250 किलोग्राम था, ने अपना मोटापा कम करने के लिए एम्स में बैरिएट्रिक सर्जरी करवाई। 30 मई को एनास्टोमोसिस गैस्ट्रिक बाईपास (ओएजीबी) सर्जरी से पेट में एक छोटी थैली बनाई गई और उसे ढाई घंटे में आंत से जोड़ दिया गया। इसके परिणामस्वरूप पेट सिकुड़ गया।
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भोजन की लालसा न होने के कारण युवक का वजन धीरे-धीरे कम होता गया। उसे सोमवार को एम्स से छुट्टी दे दी गई और सर्जरी के बाद उसकी हालत ठीक है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रहने वाला यह युवक एम्स में बैरिएट्रिक सर्जरी करवाने वाला सबसे भारी व्यक्ति है। वह भारतीय रेलवे में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है।
वन-एनास्टोमोसिस गैस्ट्रिक बाईपास (OAGB) क्या है?
वन-एनास्टोमोसिस गैस्ट्रिक बाईपास नामक एक बैरिएट्रिक (वजन घटाने) उपचार मोटे व्यक्तियों को उनके कैलोरी सेवन और अवशोषण को कम करने में मदद करता है। OAGB से भूख और कैलोरी अवशोषण दोनों कम हो जाते हैं। एक सामान्य पेट में एक लीटर या उससे ज़्यादा खाना समा सकता है। OAGB जैसी बैरिएट्रिक सर्जरी के ज़रिए एक छोटी थैली बनाई जाती है, जो पेट के चौड़े, बाहरी वक्र के साथ एक हिस्से को हटा देती है। आप जल्दी ही भरा हुआ महसूस करते हैं क्योंकि जब यह हिस्सा हटा दिया जाता है तो पेट कम जमा कर सकता है
AIIMS के डॉक्टर ने क्या कहा?
AIIMS के सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर और बैरिएट्रिक सर्जन डॉ. मंजूनाथ मूर्ति की देखरेख में यह सर्जरी की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. मंजूनाथ ने बताया कि जब मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब उसका वजन 250 किलो, लंबाई 182 सेमी (करीब छह फीट) और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 75.5 था।
इस वजह से मरीज सुपर ओबेसिटी से पीड़ित था। बीएमआई 60 से ज्यादा होने पर उसे सुपर ओबेसिटी माना जाता है। अत्यधिक मोटापे की वजह से युवक को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इस वजह से वह जोर-जोर से खर्राटे लेता था। बचपन से ही उसका वजन बढ़ने लगा था।
करीब दस साल पहले इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (आईईएस) की परीक्षा और इंटरव्यू से पहले उसने नियमित व्यायाम, खान-पान पर नियंत्रण और अपनी जीवनशैली में बदलाव करके 90 किलो वजन कम किया था। लेकिन पिछले तीन साल से उसका वजन फिर से बढ़ने लगा। इसकी वजह से उसके प्रोफेशनल लाइफ में मोटापा दिक्कतें पैदा करने लगा।
उसे खुद की क्षमता पर शक होने लगा और उसे इस बात का तनाव रहने लगा कि कहीं उसका मोटापा उसकी प्रोफेशनल तरक्की को प्रभावित न कर दे। AIIMS के डॉक्टर ने बताया कि लेप्रोस्कोपी तकनीक से गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी में पेट में 60 से 80 एमएल की छोटी थैली बनाकर उसे 200 सेमी की छोटी आंत से जोड़ दिया गया। सर्जरी के दो घंटे के अंदर ही युवक अपने पैरों पर धीरे-धीरे चलने लगा। सर्जरी के दो दिन बाद ही उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी, लेकिन मरीज के अनुरोध पर उसे एक दिन और अस्पताल में रखा गया।
सर्जरी के बाद 10 साल तक वजन बढ़ने का खतरा नहीं रहता
इस सर्जरी के बाद दस साल तक वजन बढ़ने का खतरा नहीं रहता। सर्जरी के बाद डाइटीशियन की सलाह के अनुसार ही खाना खाना होता है। अगर डाइट पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो वजन फिर से बढ़ सकता है।
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