Rangbhari Ekadashi हिंदू संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र दिन है, जिसे भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली यह एकादशी धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह विशेष रूप से वाराणसी में महत्वपूर्ण मानी जाती है, जहाँ भक्त इसे भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपरांत उनके दिव्य गृह प्रवेश के रूप में मनाते हैं। इस दिन पूजा-अर्चना करने से सुख, शांति, समृद्धि और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
सामग्री की तालिका
Rangbhari Ekadashi का महत्व
एकादशी उपवास, भक्ति और आध्यात्मिक जागरण का दिन माना जाता है। वर्ष भर में आने वाली सभी एकादशियों में रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह होली के पूर्व उत्सव के साथ जुड़ी होती है। भक्तों का मानना है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
पौराणिक महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, Rangbhari Ekadashi के दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह के सभी रीति-रिवाज पूर्ण किए और अपने गणों तथा भक्तों के साथ काशी में गृह प्रवेश किया। इस शुभ अवसर को मनाने के लिए भक्त शिव और पार्वती की मूर्तियों पर गुलाल लगाते हैं और हर्षोल्लास से पूजा करते हैं। इस दिन शिव पूजा करने से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पूजा विधि और अनुष्ठान
1. Rangbhari Ekadashi का उपवास
इस दिन उपवास रखना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। भक्त अपनी क्षमता के अनुसार निर्जल उपवास या फलाहार व्रत रख सकते हैं। उपवास से शरीर और मन की शुद्धि होती है, जिससे आध्यात्मिक जागरण संभव होता है।
2. सुबह की पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र स्नान करें, गंगा स्नान विशेष फलदायी माना जाता है।
- स्वच्छ और पारंपरिक वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ कर पूजा की तैयारी करें।
3. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा
- शिवलिंग अथवा भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को मंदिर में स्थापित करें।
- शिवलिंग का जल, दूध, शहद, दही, घी और शक्कर से अभिषेक करें।
- मूर्ति पर चंदन, बेलपत्र और फूल चढ़ाएं।
- दीपक और धूप जलाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- Rangbhari Ekadashi की कथा सुनें या पढ़ें।
- फल, मेवा और पंचामृत का भोग अर्पित करें।
4. गुलाल और रंगों के साथ होली उत्सव
- रंगभरी एकादशी होली से जुड़ी होती है, इसलिए भक्त भगवान शिव और माता पार्वती को गुलाल लगाकर उत्सव मनाते हैं।
- विशेष रूप से वाराणसी में मंदिरों में बड़े स्तर पर Rangbhari Ekadashi का उत्सव मनाया जाता है।
- भक्त भजन-कीर्तन करते हैं और नृत्य-संगीत के माध्यम से अपनी भक्ति प्रकट करते हैं।
5. दान और सेवा
- इस दिन अन्न, वस्त्र और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- शिव मंदिरों में दान करना या भंडारे का आयोजन करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।
6. रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन
- भक्त रात्रि जागरण (जागरण) करते हैं और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान शिव की आराधना करते हैं।
- निरंतर भक्ति भाव से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
Rangbhari Ekadashi पर पूजा करने के लाभ
इस दिन पूजा करने से अनेक आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं:
1. सुख और शांति
भगवान शिव की पूजा करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
2. धन और समृद्धि
भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है और समृद्धि आती है।
3. बाधाओं से मुक्ति
Rangbhari Ekadashi के दिन की गई पूजा से जीवन की बाधाएँ और कष्ट दूर होते हैं।
4. वैवाहिक सुख और पारिवारिक सामंजस्य
इस दिन की गई पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
5. आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष
रंगभरी एकादशी पर की गई पूजा से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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वाराणसी में रंगभरी एकादशी का उत्सव
वाराणसी में रंगभरी एकादशी पर भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में हजारों श्रद्धालु भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए एकत्रित होते हैं। भजन-कीर्तन, रंगों से खेलना और विशाल शोभायात्रा इस उत्सव के मुख्य आकर्षण होते हैं। इस दिन वाराणसी का वातावरण पूरी तरह भक्ति और आनंद में डूब जाता है।
निष्कर्ष
रंगभरी एकादशी केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का एक दिव्य अवसर है। इस दिन उपवास, पूजा-अर्चना, रंगों के उत्सव और दान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति आती है। भगवान शिव और माता पार्वती सभी भक्तों को अनंत सुख और सफलता प्रदान करें।
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