spot_img
Newsnowप्रमुख ख़बरेंकिसानों ने KMP Expressway की ट्रैक्टर रैली को एक दिन आगे बढ़ाया

किसानों ने KMP Expressway की ट्रैक्टर रैली को एक दिन आगे बढ़ाया

किसानों की सरकार से अगली वार्ता आठ जनवरी को प्रस्तावित है। उससे एक दिन पहले ट्रैक्टर मार्च कर किसान संगठनों ने शक्ति प्रदर्शन का फैसला लिया है।

सरकार से सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को पंजाब के 31 किसान संगठनों की संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बैठक हुई। इसमें KMP Expressway ट्रैक्टर मार्च को एक दिन आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया। जाहिर है, सरकार के साथ आठ जनवरी को होने वाली बातचीत से ठीक एक दिन पहले KMP Expressway ट्रैक्टर मार्च के जरिए किसान संगठनों ने शक्ति प्रदर्शन के साथ-साथ दबाव बढ़ाने की रणनीति बनाई है।

पूर्व घोषित आंदोलन कार्यक्रम में बदलाव नहीं 

किसान मोर्चे ने पूर्व घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। 13 जनवरी को लोहड़ी के दिन कृषि कानूनों (Farm Laws) की प्रतियां जलाने, 18 जनवरी को महिलाओं को जोड़ने, 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान फौज दिवस और 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड का एलान यथावत है। 

इस बीच छह से 20 जनवरी तक जागरूकता पखवाड़े के अंतर्गत किसानों को जुटाया जाएगा। देशभर में जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे और सभी राज्यों में राजभवन का घेराव किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि 26 जनवरी को राजपथ पर सरकारी आयोजन के बाद किसान दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करेंगे। पंजाब के किसानों की आंदोलन (Farmers Protest) में भागीदारी है ही, अब इस सप्ताह हरियाणा-राजस्थान के साथ-साथ देश के हर घर से एक किसान को आंदोलन में जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। 

आठ जनवरी की वार्ता निर्णायक 

संयुक्त किसान मोर्चा ने आठ जनवरी को सरकार से निर्णायक बात करने का मन बना लिया है। सरकार को बिंदुवार खामियां गिनाते हुए तीनों कानूनों (Farm Laws) की वापसी से कम कुछ भी नहीं का संदेश देने की तैयारी है। कानून वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया पर ही फिर बात होगी। 

जाहिर है, सरकार के साथ-साथ अब किसान संगठनों ने भी लंबी लड़ाई की तैयारी कर ली है। राजस्थान.हरियाणा सीमा पर दिल्ली के काफी करीब कई किलोमीटर तक आंदोलनकारी किसानों (Farmers Protest) के साथ महिलाएं जुट रही हैं। मौसम खराब होने की वजह से आंदोलन स्थलों पर किसानों के तंबुओं में जलभराव हो गया है। वाटर प्रूफ पंडाल आदि मंगाकर लंबे संघर्ष की व्यवस्था की जा रही है। आंदोलनकारी किसान नेताओं ने फिर देश भर के किसानों से निजी कंपनी के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की है।

spot_img