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Britain: 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी लगेगा कोरोना का टीका

London: ब्रिटेन (Britain) में अब 70 साल और उससे ज्यादा उम्र तथा कोविड-19 (Covid-19) से ज्यादा जोखिम का सामना कर रहे समूह के लोगों को भी टीके (Covid-19 Vaccine) लगाने का निर्णय लिया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) ने सोमवार को प्राथमिकता दिए जाने वाले समूहों का विस्तार किया. इससे पहले टीकाकरण व प्रतिरक्षण संबंधी संयुक्त समिति ने दो समूहों के लोगों को टीका देने की सिफारिश की थी और इसी पर काम करते हुए एनएचएस 80 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों और स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारियों को टीका लगाने के काम में जुटा हुआ था. 

 ब्रिटेन में मामले तेजी से बढ़े हैं। फरवरी के मध्य तक स्टे-ऑन-होम लॉकडाउन लगा

इस समूह के लोगों को टीका  (Covid-19 Vaccine) लगाना अब भी प्राथमिकता है लेकिन वैसे टीकाकरण स्थल जहां इस समूह से ज्यादा लोगों को भी टीका लगाने की क्षमता है और वहां आपूर्ति भी है तो नए समूह के लोगों को टीकाकरण में शामिल किया जा सकता है.

UK में मिला Coronavirus का नया स्ट्रेन हो सकता है 70% ज्यादा संक्रामक

 ब्रिटेन (Britain) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (PM Boris Johnson) ने कहा, ‘‘आज (सोमवार) हमारे टीकाकरण  (Covid-19 Vaccine) अभियान का अहम दिन है क्योंकि हम अब उन लाखों लोगों के लिए भी टीकाकरण अभियान शुरू कर रहे हैं, जो कोविड-19 के लिहाज से ज्यादा जोखिम वाले दायरे में हैं.” 

जर्मनी में नवंबर से है कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन।

उन्होंने कहा, ‘‘ अब हम एक मिनट में 140 टीके लगा रहे हैं और मैं इस राष्ट्रीय कोशिश में शामिल सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. हमें अभी काफी दूर जाना है और आगे काफी चुनौतियां हैं लेकिन साथ काम करके हम कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ लड़ाई में आगे बढ़ रहे हैं.”

Farm Laws: अधिकांश किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों के पक्ष में हैं, कृषि मंत्री तोमर

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New Delhi: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का 19 जनवरी की बैठक से पहले बयान सामने आया है। तोमर ने कहा, अधिकांश किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों (Farm Laws) के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, कानूनों (Farm Laws) को लागू नहीं किया जा सकता है। अब हम उम्मीद करते हैं कि किसान 19 जनवरी को कानून पर क्लॉज वाइज चर्चा करेंगे और सरकार को बताएंगे कि वे कानूनों को निरस्त करने के अलावा क्या चाहते हैं?

भारी संख्या में किसान कर रहे हैं कृषि कानूनों का समर्थन, बीजेपी सांसद

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर दिल्ली की बॉर्डर पर डटे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का आज आज 53वां दिन है। इसी बीच किसान संगठनों ने NIA के समन भेजे जाने की निंदा की है। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार अत्याचार कर रही है। उसने किसानों का दमन शुरू कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री NIA मामले में देखने की बात कही थी। उनके आश्वासन के बाद भी NIA ने समन भेजा।

किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को NIA का समन

इससे पहले कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, सरकार किसानों के खिलाफ NIA का इस्तेमाल कर रही है। NIA, ED, IT को बीजेपी ने अपना मुखौटा संगठन बना दिया है। खेदजनक बात ये है किसान बीजेपी के लिए आतंकवादी, एंटी नेशनल, पाकिस्तानी, चीनी और अर्बन नक्सल हो गए हैं, लेकिन किसान सरकार के सामने नहीं झुकेंगे। सीबीआई और ईडी नोटिस से किसान चुप नहीं बैठने वाले हैं। 

NIA के जरिए हमें डराने-धमकाने की कोशिश हो रही है

उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से गठित कमेटी के सामने नहीं जाएंगे और सरकार को कृषि कानून (Farm Laws) वापस लेना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) जारी रहेगा। एक अन्य किसान नेता ने कहा, तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ हम 26 जनवरी को दिल्ली के अंदर परेड करेंगे। दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर परेड की जाएगी। किसान शांतिपूर्ण ढंग से परेड करेंगे, उम्मीद है कि दिल्ली, हरियाणा पुलिस रोक नहीं लगाएगी।

बातचीत से पहले किसानों का शक्ति प्रदर्शन

बता दें कि किसान और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत होने के बाद भी ये मसला अब तक नहीं सुलझ पाया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए चार सदस्यीय कमेटी के गठन किया था। इसमें कोर्ट ने अशोक गुलाटी, प्रमोद कुमार जोशी, अनिल घनवंत और भूपेंद्र सिंह मान को शामिल किया था। हालांकि किसानों के विरोध के चलते भूपेंद्र सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया। किसानों का कहना था कि कमेटी के चारों सदस्य पहले से ही कृषि कानूनों (Farm Laws) के समर्थन में है।

Supreme Court: किसानों की ट्रैक्टर रैली के खिलाफ अर्ज़ी पर कल सुनवाई

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New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रेली के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होगी। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने अर्ज़ी दाखिल कर कहा है कि गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रीय गौरव से जुड़ा कार्यक्रम है। आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी की इजाज़त नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से दिल्ली पुलिस ने इस रैली पर रोक लगाने की मांग की है। कोर्ट ने इस अर्ज़ी पर किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।

Farmers Protest With Tractor March: बातचीत से पहले किसानों का शक्ति प्रदर्शन

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में किसान आंदोलन (Farmers Protest) में संदिग्ध संगठनों की सक्रियता पर भी संज्ञान लिया था। एक अर्ज़ी में कोर्ट को बताया गया था कि आंदोलन में कनाडा के संगठन ‘सिख फ़ॉर जस्टिस’ के बैनर लहरा रहे हैं। इस बात की आशंका है कि अलग खालिस्तान का समर्थक यह संगठन आंदोलन के लिए फंड उपलब्ध करवा रहा है। कई देश विरोधी घटनाओं में संदिग्ध PFI भी आंदोलन को भड़काने में लगा है। चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात को गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा था। सुनवाई में इसकी भी चर्चा होगी।

सरकार-किसान संगठनों के बीच 9वें राउंड की बातचीत भी बेनतीजा

बता दें कि पिछले 53 दिनों से दिल्ली से लगी सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जारी है। किसान और सरकार के बीच अब तक नौ दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल पाया। किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वो वापस नहीं जाएंगे। स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन किसान दिल्ली में ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) निकालेंगे। इस दौरान सभी ट्रैक्टरों पर तिरंगा लगा होगा। साथ ही वो आउटर रिंग रोड पर मार्च करेंगे। इसके लिए हजारों ट्रैक्टरों को तैयार किया जा रहा है। योगेंद्र यादव ने साफ किया कि ये रैली राजपथ से बहुत दूर होगी, ऐसे में आधिकारिक गणतंत्र दिवस समारोह में कोई व्यवधान पैदा नहीं होगा।

Farm Laws: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सोमवार को, 19 जनवरी को होगी समिति की बैठक

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New Delhi: शीर्ष अदालत (Supreme Court) तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Farms Law) और दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान प्रदर्शनों संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत गतिरोध को समाप्त करने के लिए बनाई गई समिति के एक सदस्य के स्वयं को अलग कर लेने के मामले पर भी गौर कर सकती है। 

वहीं अदालत दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई केंद्र सरकार की उस याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्रॉली मार्च या किसी अन्य तरह के प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।

Farmers Protest With Tractor March: बातचीत से पहले किसानों का शक्ति प्रदर्शन

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अगुवाई में न्यायालय की एक पीठ ने एक अंतरिम आदेश में अगले आदेश तक नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी और शिकायतों को सुनने तथा गतिरोध के समाधान पर अनुशंसा करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। 

समिति की बैठक 19 जनवरी को  

नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के यहां पूसा परिसर में 19 जनवरी को अपनी पहली बैठक करने का कार्यक्रम है। समिति के सदस्यों में शामिल अनिल घनवट ने रविवार को यह जानकारी दी। 

सरकार-किसान संगठनों के बीच 9वें राउंड की बातचीत भी बेनतीजा

शीर्ष न्यायालय (Supreme Court) ने केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों (Farm Laws) के क्रियान्वयन पर 11 जनवरी को अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी थी। साथ ही, न्यायालय ने गतिरोध का हल निकालने के लिए चार सदस्यीय एक समिति भी नियुक्त की थी। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान पिछले हफ्ते समिति से अलग हो गए थे। 

On Farm Laws Hearing in Supreme Court on Monday and Committee meeting on January 19
समिति से भूपेंद्र सिंह मान ने खुद को अलग किया

SC द्वारा बनाई गयी समिति से भूपेंद्र सिंह मान ने खुद को अलग किया

बता दें कि नए कृषि कानूनों (Farm Laws)  के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब 53 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। घनवट के अलावा, कृषि-अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी समिति के दो अन्य सदस्य हैं। शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के प्रमुख घनवट ने कहा कि हम लोग पूसा परिसर में 19 जनवरी को बैठक कर रहे हैं। भविष्य की रणनीति पर फैसला करने के लिए सिर्फ सदस्य ही बैठक में शामिल होंगे।

Farm Laws: NIA के जरिए हमें डराने-धमकाने की कोशिश हो रही है

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New Delhi: किसान नेताओं ने कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि पंजाब और दूसरी जगह में एनआईए (NIA) ने कुछ केस बनाने शुरू किए है। एनआईए (NIA) हमारी मदद करने वालों पर राजद्रोह का केस बना रही है। उन्होनें कहा कि सरकार के साथ बैठक में हमें सबसे पहले ये बात रखी थी। तब तोमर जी ने वादा किया था की हम संज्ञान लेंगे। आज संयुक्त किसान मोर्चा इस मामले की निंदा करता है। हम हर तरह से इसका मुकाबला करेंगे।

किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को NIA का समन

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान मार्च का आयोजन 26 जनवरी को दिल्ली के अंदर होगा। आऊटर रिंग रोड़ पर दिल्ली की परिक्रम करके ये मार्च किया जाएगा। हम आशा करते है दिल्ली और हरियाणा की पुलिस इसमें कोई बाधा ना करे। उन्होनें कहा कि यह परेड शांति पुण रहेगी, किसी प्रकार का हथियार और भडकाऊ भाषण नही होगें। योगेंद्र यादव ने कहा कि गणतंत्र दिवस की परेड पर कोई विघन नही डाला जाएगा। योगेंद्र यादव ने कहा कि किसी चीज पर कब्जा नही किया जाएगा। लाल किला, संसद भवन पर कब्जे करने की जो बात हो रही है ऐसा कुछ नही होने वाला है। 

Farmers Protest With Tractor March: बातचीत से पहले किसानों का शक्ति प्रदर्शन

किसान नेता ने कहा कि 19 जनवरी को सरकार से साथ बैठक पर कृषि मंत्री का बयान बता रहा है की देश के किसान इस कानून (Farm Laws) से खुश है। जो सरकार की मंशा बताता है। हम 19 को जवाब लेने जरूर जायेंगे। ऐसा बिल्कुल नही लगने देंगे की किसान बातचीत के लिए तैयार नही है।

किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।

Farmers Protest: भारी संख्या में किसान कर रहे हैं कृषि कानूनों का समर्थन, बीजेपी सांसद

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Ballia: उत्तर प्रदेश (UP) के बलिया (Ballia) में बीजेपी सांसद एवं भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर कहा कि देश और दुनिया में जितने भी किसान आंदोलन (Farmers Protest) हुए हैं उसका चुनावी राजनीति से कोई सरोकार नहीं है. उन्होंने कहा कि एक किसान होने के नाते ”मैं कह सकता हूं कि ये जो किसान कानून बना है उसका भारी संख्या में किसानों का समर्थन है. ये पूरे देश के किसानों का आंदोलन नहीं है. किसान आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर बिहार के चुनाव में मिली हार के बाद बंगाल के चुनाव का रिहर्सल है.”

BJP विधायक बोले- दिल्ली में किसान नहीं, खालिस्तान व पाकिस्तान जिंदाबाद वाले बैठे हैं

बता दें हाल ही में बीजेपी सांसद ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि ”कुछ हरामखोरों ने किसानों के मन में शंका पैदा कर दी है. वे आंदोलन (Farmers Protest) करने वाले किसानों को भड़का रहे हैं. किसान कल्याण मिशन के अंतर्गत गाजीपुर जिले के भांवरकोल ब्लॉक मुख्यालय और बाराचवर स्थित रामलीला मैदान में बुधवार को कृषि विभाग की ओर से किसान मेला, गोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था. इसमें सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि था कि ”किसान आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं और कुछ हरामखोरों ने किसानों के मन में शंका पैदा कर दी है, इससे किसान चिंतित हैं.”

बीजेपी ने नए कृषि कानूनों के पक्ष में माहौल बनाने की व्यापक प्लानिंग की

वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा ये भी कहा था कि ”20 हजार लोग मिलकर कानून बदलने की बात कर रहे हैं. इन लोगों को कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका पर भरोसा नहीं है. ये लोग लोकतंत्र की बात कर रहे हैं.”