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Farmers Protest: BJP विधायक बोले- दिल्ली में किसान नहीं, खालिस्तान व पाकिस्तान जिंदाबाद वाले बैठे हैं

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नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं. किसानों को मनाने की सरकार की अब तक की सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं. इस बीच, हरियाणा के कैथल के भाजपा (BJP) विधायक लीलाराम (Leela Ram) के एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. बीजेपी विधायक ने दिल्ली बॉर्डर पर जारी विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) को लेकर कहा, “दिल्ली में किसान नहीं… खालिस्तान और पाकिस्तान जिंदाबाद वाले लोग बैठे हैं, जिन्होंने इंदिरा गांधी को ठोक दिया, मोदी को ठोक देंगे.” 

बीजेपी विधायक लीलाराम ने कहा, “वहां इमरान खान जिंदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद व भारत माता मुर्दाबाद के नारे लगते हैं. जिसने बेअंत सिंह की हत्या की, वो भी 20 फुट का कट आउट लगाकर वहां बैठा है.” सतलज यमुना लिंक (SYL) को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या तेरे बाप का है पानी… पंजाब की इतनी हिम्मत नहीं कि हमारा पानी ना दे.” 

कैथल से बीजेपी विधायक लीलाराम इससे पहले भी विवादित बोल को लेकर चर्चा में रहे हैं. संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को लेकर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था. विधायक ने एक समुदाय विशेष पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो लोग संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं उनका ‘सफाया’ एक घंटे में किया जा सकता है.

Farmers Protest: किसान संगठन का पीएम और कृषि मंत्री को खत- हमारा आंदोलन अराजनीतिक

New Delhi: ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमिटी (AIKSCC) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम खत लिखकर दो टूक कहा है कि उनका आंदोलन (Farmers Protest) अराजनीतिक है। खत में कमिटी ने जोर दिया है कि किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा है।

पीएम मोदी और तोमर को अलग-अलग हिंदी में लिखे खत में AIKSCC ने कहा है कि सरकार का यह मानना गलत है कि किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) के पीछ विपक्षी पार्टियों का हाथ है। यह पत्र ऐसे वक्त में लिखा गया है जब एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर किसानों को तीन कृषि कानूनों (Farms Law) को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाया था।

कृषि कानूनों (Farms Law) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले करीब 40 किसान यूनियनों में से एक AIKSCC ने पीएम के नाम अपने खत में लिखा है, ‘सच्चाई तो यह है कि किसान आंदोलन (Farmers Protest) ने राजनीतिक दलों को अपने विचार बदलने पर मजबूर किया है और आपका (प्रधानमंत्री मोदी) यह दावा कि राजनीतिक दलों ने इसे हवा दी है, गलत है।’

AIKSCC ने अपने खत में लिखा है, ‘आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे किसान संगठनों और समूहों में से किसी की भी कोई भी मांग किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी हुई है।’ वहीं, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखे खुले खत में किसान संगठन ने आरोप लगाया है कि तीनों कृषि कानूनों (Farms Law) में गड़बड़ियां हैं। AIKSCC ने आरोप लगाया है कि कृषि मंत्री बातचीत में मुख्य मुद्दे से ध्यान भटका रहे थे।

इससे पहले गुरुवार को किसानों को लिखे एक खुले खत में कृषि मंत्री तोमर ने कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों पर नए कृषि कानूनों (Farms Law) को लेकर झूठ फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने किसानों से इन झूठ के चक्कर में न आने की अपील की और कहा कि केंद्र उनकी हर चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है।

Kangana Ranaut: वीडियो शेयर कर कहा, मिल रही है रेप और जान से मारने की धमकी।

Mumbai: बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) अक्सर ही अपने बयानों के चलते सुर्खियों में छाई रहती हैं. इन दिनों एक्ट्रेस किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर अपने विचारों और बयानों के चलते चर्चा में हैं. कंगना की किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर दी राय के बाद वह कई सेलिब्रिटीज के निशाने पर भी आ चुकी हैं. अब, कंगना ने सोशल मीडिया (Social Media) पर अपना एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें रेप (Rape) और जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. एक्ट्रेस (Kangana Ranaut) ने किसान आंदोलन (Farmers. Protest) को राजनीति से प्रेरित बताया है और कहा कि किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर अपने विचार रखे जाने पर उन्हें जान से मारने और रेप की धमकियां मिल रही हैं.

कंगना (Kangana Ranaut) ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन लिंचिंग का सामना करना पड़ रहा है. एक्ट्रेस का कहना है कि बीते 10-15 दिनों से ऑनलाइन लिंचिंग का सामना करना पड़ रहा है, यह मेरा हक बनता है कि मैं इस देश से कुछ सवाल करूं. जब प्रधानमंत्री जी ने कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ी तो यह साफ है कि यह आंदोलन पॉलिटिक्स से प्रेरित है. कहीं ना कहीं इसमें आतंकवादियों ने भी हिस्सा लिया. मैं भी पंजाब में रही हूं और मैं जानती हूं कि वह देश में दूसरा खालिस्तान नहीं चाहते.

मैं देशवासियों से पूछना चाहती हूं, मुझे उन लोगों से शिकायत नहीं है जो देश को तोड़ना चाहते हैं, लेकिन मुझे आप लोगो से शिकायत है कि आप इतनी आसानी से उन लोगों के बहकावे में कैसे आ जाते हैं. आप अपने आपको कैसे उनकी उंगलियों पर नचाने दे सकते हैं. इन आतंकियों के लिए हम अपने आपको इतना कमजोर कैसे कर सकते हैं. मुझे शिकायत है कि मुझे हर दिन अपने इरादों को क्यों बताना पड़ता है.

इसके अलावा इस वीडियो में कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) और प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) पर भी निशाना साधा है. एक्ट्रेस ने कहा कि ये लोग मुझपर आरोप लगाते हैं कि मैं राजनीति कर रही हूं, इनसे भी तो पूछिये ये किस तरह की नीति कर रहे हैं.

Farooq abdullah की 12 करोड़ की संपत्तियां ED ने अटैच कीं, मनी लॉन्ड्रिंग केस में कार्रवाई

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जम्मू और श्रीनगर में अब्दुल्ला (farooq abdullah) की संपत्तियां अटैच की गई हैं। इनमें 2 रिहायशी, एक कमर्शियल प्रॉपर्टी और 3 प्लॉट शामिल हैं। इनकी बुक वैल्यू 11.86 करोड़ दिखाई गई है, लेकिन मार्केट वैल्यू 60-70 करोड़ है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED अब्दुल्ला (farooq abdullah) से कई बार पूछताछ कर चुका है। आखिरी बार अक्टूबर में श्रीनगर में उनसे सवाल-जवाब हुए थे।

अब्दुल्ला पर पद के गलत इस्तेमाल का आरोप


2005 से 2011 के बीच JKCA को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से 109.78 करोड़ रुपए मिले थे। अब्दुल्ला (farooq abdullah) 2006 से 2012 तक JKCA के अध्यक्ष थे। उन पर पद का गलत इस्तेमाल करने, अवैध नियुक्तियां करने और मनी लॉन्ड्रिंग के मकसद से JKCA के पदाधिकारियों को वित्तीय अधिकार देने के आरोप हैं।

उमर अब्दुल्ला बोले- अटैच की गई संपत्तियां पुश्तैनी हैं


फारुख अब्दुल्ला (farooq abdullah) के बेटे उमर अब्दुल्ला (Umar abdullah) ने कहा है कि जो संपत्तियां जब्त की गई हैं वे पुश्तैनी हैं। इसमें के कई 1970 के समय की हैं। फारुख अब्दुल्ला (farooq abdullah) अपने वकीलों के संपर्क में हैं, वे इन बेबुनियाद आरोपों के खिलाफ कोर्ट में लड़ेंगे, जहां हर किसी को न्याय की उम्मीद रहती है। जबकि मीडिया कोर्ट या भाजपा प्रायोजित सोशल मीडिया कोर्ट की बात अलग है।

Honda Cars: कार निर्माता कंपनी होंडा कार्स ने ग्रेटर नोएडा प्लांट में उत्पादन रोका

प्रमुख कार निर्माता कंपनी होंडा कार्स (Honda Cars) इंडिया लिमिटेड (HCIL) ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में स्थित प्लांट से उत्पादन बंद कर दिया है। इंडस्ट्री सूत्रों ने यह जानकारी दी है। HCIL जापान की होंडा मोटर कंपनी की सब्सिडियरी है। कंपनी ने 1997 में ग्रेटर नोएडा प्लांट की स्थापना की थी।

प्लांट में कॉरपोरेट ऑफिस चलता रहेगा

इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा प्लांट में HCIL का कॉरपोरेट हेड ऑफिस पहले की तरह चलता रहेगा। इसके अलावा स्पेयर पार्ट्स डिविजन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) सेंटर भी कार्य करते रहेंगे। हालांकि, कंपनी ने इस संबंध में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी है। अब कंपनी अपनी कारों (Honda Cars) की पूरी रेंज के उत्पादन के लिए राजस्थान की तापूकारा प्लांट पर निर्भर हो गई है।

इस साल की शुरुआत में लॉन्च की थी VRS स्कीम

HCIL ने अपने मैन्युफैक्चरिंग लाइन एसोसिएट्स के लिए इस साल की शुरुआत में वॉलेंट्री रिटायरमेंट स्कीम (VRS) लॉन्च की थी। इस स्कीम का मकसद प्रोडक्टिविटी और कार्यक्षमता में बढ़ावा लाना था। कंपनी होंडा सिटी, होंडा CR-V और होंडा सिविक जैसी कारों (Honda Cars) का उत्पादन ग्रेटर नोएडा प्लांट में करती थी। इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 1 लाख यूनिट सालाना थी।

तापूकारा प्लांट की क्षमता 1.8 लाख यूनिट सालाना

राजस्थान के तापूकारा में स्थित प्लांट की क्षमता 1.8 लाख यूनिट सालाना है। इसके अलावा इस प्लांट में दूसरे देशों को निर्यात किए जाने वाले इंजनों का उत्पादन भी होता है। नवंबर 2020 में HCIL ने घरेलू बाजार में 9,990 यूनिट्स की बिक्री की है। नवंबर 2019 की 6,459 यूनिट्स के मुकाबले इस साल 55% की ग्रोथ रही है।

Farmers Protest: किसान आंदोलन की आवाज़ बना अख़बार Trolly Times

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New Delhi: किसान आंदोलन (Farmers Protest) के चलते सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली की कतारें कई किलोमीटर दूर तक लगी हुई हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर टिकरी बॉर्डर पर भी है. किसान आंदोलन (Farmers Protest) के मंच से किसान नेताओं की कही बात हर ट्रैक्टर ट्रॉली तक पहुँचाने के लिये अब आंदोलन के अपने अखबार (Trolly Times) का इस्तेमाल किया जायेगा. चूंकि एक-एक ट्रॉली तक खबर पहुंचाने का ज़रिया ये अखबार होगा और इसे शुरू करने की योजना भी एक ट्रॉली में ही बनाई गई थी इसलिये इस अखबार का नाम रखा गया है ‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times)

शुक्रवार को अखबार का पहला एडिशन प्रकाशित किया गया. फिलहाल इसे सप्ताह में दो बार निकालने की योजना है. अखबार के पहले एडिशन की लीड स्टोरी का शीर्षक है ‘जुड़ेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे’. 4 पन्नों के इस अखबार में पंजाबी और हिंदी दोनों भाषाओं के लेखों को छापा गया है. कविता और कार्टून से लेकर आंदोलन की अलग अलग तस्वीरों को अख़बार में जगह दी गई है.

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) को शुरू करने का विचार सुरमीत मावी ने दिया था जो कि पेशे से एक कथाकार हैं और फिल्मों के लिये स्क्रिप्ट लिखते हैं. सुरमीत ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है और इसी के चलते किसान आंदोलन (Farmers Protest) की आवाज़ किसानों तक पहुंचाने के लिये उन्होंने अखबार का माध्यम चुना.

सुरमीत मावी ने कहा “मैं पेशे से एक फ़िल्म राइटर हूं, मेरी पढ़ाई पत्रकारिता की है लेकिन मावी जो मेरा सरनेम है इस गोत्र का मतलब होता है वो लोग जिनका पुश्तैनी काम ही खेती है. ये सिर्फ तीन काले कानूनों की लड़ाई नहीं है उससे बड़ी लड़ाई है. भारत का लोकतंत्र खत्म हो चुका है, उसकी बहाली की लड़ाई है. लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता है. मेरे मन में आया कि इस क्रांति में अगर मुझे अपना योगदान देना है इस लड़ाई को लड़ने का मेरा तरीका चौथा स्तंभ है. हमारे किसान नेताओं ने इस किसान आंदोलन को 2020 की किसान क्रांति बनाया है.”

ट्रॉली टाइम्स (Trolly Times) के बारे बताते हुए सुरमीत मावी ने कहा, ‘सिंघू बॉर्डर पर आज 10 किलोमीटर दूर तक ट्रॉली खड़ी हैं, टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह 14-15 किलोमीटर दूर तक ट्रॉली खड़ी हैं. किसी एक व्यक्ति को ट्रॉली में रहना ही पड़ता है. कई बार हर किसी तक हमारे नेताओं की बात नहीं पहुंच पाती. किसान नेताओं की बात स्पष्ट रूप से हर व्यक्ति तक पहुंचे इस विचार के साथ अखबार की शुरुआत की गई ताकि किसी को भी गुमराह नहीं किया जा सके. हमारे अखबार का फ्रंट पेज हमारे नेताओं का माउथपीस होगा.”

अखबार के पहले एडिशन की लीड स्टोरी का ज़िक्र करते हुए सुरमीत मावी ने कहा, “जुड़ेंगे लड़ेंगे जीतेंगे की हेडलाइन हमारे नेताओं के साथ हर व्यक्ति जो जुड़े हुआ है, उन सबके लिए यह लिखी गई है. इस आंदोलन (Farmers Protest) में सरकार एक झूठा नरेटिव देने की कोशिश कर रही है कि ये सिर्फ पंजाब और हरियाणा की लड़ाई है, जबकि यहां पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश के किसान जुड़े हैं. इसलिए हमने हिंदी में भी पेज पब्लिश किया है ताकि सभी तक हमारी आवाज़ पहुंच सके.”

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) के पहले एडिशन की 2000 कॉपियां पब्लिश की गई हैं. करीब 20 लोगों की टीम अखबार की राइटिंग, प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के लिये काम कर रही है. अखबार की एक एडिटोरियल पॉलिसी भी है, जो भी राइटिंग अखबार में प्रकाशित होगी वो मोर्चे पर बैठे लोगों की ही होंगी.

सुरमीत मावी ने बताया, “पद्मश्री सुरजीत पात्रा पंजाब के बहुत बड़े शायर हैं उन्होंने कविता लिखकर दी है. जितने भी लोगों ने इसमें आर्टिकल लिखे हैं वह मोर्चे पर बैठे हुए लोग हैं. मोर्चे पर बैठे हुए लोग इसकी रिपोर्टिंग कर रहे हैं, मोर्चे पर बैठे लोग ही इसको एडिट कर रहे हैं और मोर्चे के लोग ही इसको डिस्ट्रीब्यूट कर रहे हैं. छपाई छोड़कर बाकी हर व्यवस्था मोर्चे पर बैठे लोगों की ही है. छपाई के लिए हमने अपनी पॉकेट से भी पैसे इकट्ठे किए और कुछ लोगों से दान के ज़रिए भी मदद मिली है. जब तब्दीलियां होनी होती हैं तो रास्ता बन ही जाता है.”

‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) को ट्रॉली तक पहुंचाने का ज़िम्मा टीम के ही कुछ वॉलिंटियर्स के पास है. जो पैदल जा कर ट्रॉली-ट्रॉली इन अखबारों को बांटते हैं. एक गाड़ी में अखबार के गठ्ठर रखकर ले जाये जाते हैं जो वॉलिंटियर्स को रास्ते में उतार देती है और फिर वॉलिंटियर्स पेपर बांटने का काम करते हैं. टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह की व्यवस्था की गई है. किसी को अगर अपना आर्टिकल पेपर में छपवाना है तो अख़बार की ईमेल आईडी timestrolley@gmail.com पर वह आर्टिकल भेज सकता है. अख़बार की कॉपियों की संख्या 2000 से बढ़ाकर 2500 तक करने पर विचार किया जा रहा है. इसके साथ ही एक ही अखबार की दो अलग-अलग भाषाओं में प्रति छाप दी जाए इन सारी चीजों पर भी फिलहाल ‘ट्रॉली टाइम्स’ (Trolly Times) की टीम विचार-विमर्श कर रही है.

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