Assembly Elections 2021: अगले कुछ महीनों में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए चुनाव आयोग (Election Commission) आज तारीखों की घोषणा कर रहा है. चुनाव आयोग ने तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम और पुदुच्चेरी के लिए चुनावी तारीखों की ऐलान करने वाला है. इन राज्यों में अप्रैल-मई में चुनाव हो सकते हैं. कोरोना के बीच हुए बिहार चुनावों के बाद एक साथ इतने राज्यों में चुनाव हो रहे हैं. बता दें कि पश्चिम बंगाल की 294, तमिलनाडु की 234, केरल की 140, असम की 126 और पुदुच्चेरी की 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराए जाने हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) ने बंगाल में शानदार प्रदर्शन करते हुए 42 में से 18 लोकसभा सीटें जीतकर सबको चौंका दिया. 2016 से 2021 के बीच बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) के दौरान सफलता हासिलकर बीजेपी ने अपनी सीटों का आंकड़ा 15 तक पहुंचा लिया. कांग्रेस और लेफ्ट एक बार फिर मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.
Election Commission
इन पांच राज्यों में चुनाव आचार संहिता आज से लागू
पश्चिम बंगाल
पुदुच्चेरी
तमिलनाडु
केरल
असम
Corona के मद्देनजर विशेष इंतजाम, बंगाल में एक लाख से ज्यादा मतदान केंद्र
बंगाल में 8 चरणों में चुनाव होंगे। पश्चिम बंगाल में पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होगा.
दूसरा चरण 30 सीट
मतदान 1 अप्रैल
तीसरा चरण 31 सीट
मतदान 6 अप्रैल
चौथा चरण 44 सीट
मतदान 10 अप्रैल
पांचवां चरण 45 सीट
मतदान 17 अप्रैल
छठा चरण 43 सीट
मतदान 22 अप्रैल
सातवां चरण 36 सीट
मतदान 26 अप्रैल
आठवां चरण 35 सीट
मतदान 29 अप्रैल
मतगणना 2 मई
पुदुच्चेरी में भी एक चरण में वोटिंग 6 अप्रैल को होंगे.
तमिलनाडु में भी छह अप्रैल को वोट पड़ेंगे.
केरल सभी 14 जिलों में चुनाव में एक ही चरण में चुनाव, नोटिफिकेशन 12 मार्च और चुनाव की तारीख 6 अप्रैल होगी.
असम में तीन चरण में होंगे चुनाव, पहले चरण का चुनाव 27 मार्च, दूसरे चरण का चुनाव एक अप्रैल और तीसरे चरण को चुनाव 6 अप्रैल को होंगे.
पांचों राज्यों के नतीजे 2 मई को आएंगे : चुनाव आयुक्त
चुनाव आयुक्त ने क्या कहा:
सभी मतदान केंद्र ग्राउंड फ्लोर पर होंगे
चुनाव आयोग ने सीबीएसई के साथ भी बैठक की है. त्योहार वाले दिन और परीक्षा वाले दिन वोटिंग नहीं होगी
सीसीटीवी की निगरानी में होगा मतदान, सभी राज्यों के लिए पुलिस पर्यवेक्षक नियुक्त होगा
पांच राज्यों में 18 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे, केरल और पदुच्चेरी में मतदान केंद्र बढ़ाए गए हैं
सभी संवेदनशील बूथ पर वीडियोग्राफी होगी
पोलिंग अधिकारियों को कोरोना की वैक्सीन दी जाएगी, चुनाव वाले पांच राज्यों में कोरेाना के नियम सख्ती से लागू होंगे
प्रचार के लिए भी पांच से ज्यादा लोग घर पर नहीं जा सकते, जमानत की राशि ऑनलाइन जमा की जा सकती है
बंगाल समेत सभी राज्यों में सीआरपीएफ की तैनाती होगी, संवेदनशील बूथों पर भी सीआरपीएफ तैनात रहेगी
वोट डालने का समय एक घंटा बढ़ाया गया है, नामांकन की प्रकिया ऑनलाइन भी होगी
घर-घर जाकर प्रचार के लिए पांच से अधिक व्यक्तियों पर पाबंदी
टीका कार्यक्रम से मतदान प्रक्रिया को बढ़ावा मिल सकता है, पोल अधिकारी फ्रंट लाइन कार्यकर्ता हैं और उनका टीकाकरण किया जाएगा
Corona के दिशा निर्देशों का पालन करना होगा
बंगाल में 101916 पोलिंग स्टेशन, केरल में 40771 पोलिंग स्टेशन, पुदुच्चेरी में 1559 पोलिंग स्टेशन होंगे
पांच राज्यों में 824 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होना है, जिसमें 18.68 करोड़ वोटर्स हैं. इन पांच राज्यों में 2.7 लाख पोलिंग स्टेशन तैयार किए जाने हैं
हमारी टीम ने चार राज्यों का दौर किया है और मतदान केंद्रों की संख्या बढाई गई है
बिहार में पिछली बार से ज़्यादा मतदान हुआ, गृह मंत्रालय से सुरक्षाबलों के बारे में और रेलवे से ट्रांसपोर्ट के विषय में चर्चा की. चुनाव आयोग कोरोना के चलते भारी चुनौतियों के बीच काम कर रहा है
पश्चिम बंगाल में 2016 का विधानसभा चुनाव 4 अप्रैल से 5 मई 2016 के बीच 6 चरणों में चुनाव संपन्न हुआ था. तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 294 विधानसभा सीटों में से 211 यानी दो तिहाई से ज्यादा सीटें जीतकर दूसरी बार सरकार बनाई थी. तब कांग्रेस (Cngress) को 44, वाम दलों (Left Parties) को 33 और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के साथ चुनाव लड़ने वाली BJP महज 3 सीटें ही जीत पाई थी.
वहीं असम में बीजेपी लगातार चुनावी कैंपेन कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित बीजेपी के कई नेता इन चुनावी राज्यों में लगातार चुनावी जनसभा, रैलियां और रोड शो कर रहे हैं.
बंगाल में बहुमत का जादुई आंकड़ा 148 है. 6 चरणों के 2011 के चुनाव में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था. ममता की अगुवाई वाले इस गठबंधन ने वाम दलों के 34 साल पुराने शासन को उखाड़ फेंका था. टीएमसी को 2011 में 184 और कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं.
Mumbai: अहमदाबाद के सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नाम पर रखने को लेकर शिवसेना (Shiv Sena) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘‘प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं” है. शिवसेना ने कहा कि पिछले पांच साल में आरोप लगाए गए कि कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार ने इतिहास से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नामोनिशान मिटाने का प्रयास किया, लेकिन स्टेडियम का नाम बदले जाने से यह जाहिर हो गया है कि असल में कौन ऐसा प्रयास कर रहा है.
Shiv Sena ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि मोदी-शाह (नरेंद्र मोदी-अमित शाह) सरकार गुजरात में हर बड़ा काम करना चाहती है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि वे भूल गये हैं कि वे देश का नेतृत्व कर रहे हैं…अहमदाबाद (Gujarat) में मोटेरा स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया. अब तक मेलबर्न (Australia) स्टेडियम दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम था. अब मोदी (PM Modi) के नाम वाला यह स्टेडियम सबसे बड़ा होगा.”
संपादकीय में कहा गया, ‘‘इस कदम की आलोचना क्यों हो रही है? इसलिए कि पहले मोटेरा स्टेडियम का नाम सरदार पटेल के नाम पर रखा गया था और अब इसका नाम मोदी के नाम पर रख दिया गया है.”
‘सामना’ में कहा गया है, ‘‘नि:संदेह मोदी महान नेता हैं, लेकिन यदि उनके अंधभक्तों को लगता है कि वह महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल या इंदिरा गांधी से भी महान हैं, तो इसे अंधभक्ति में एक और मुकाम मानना चाहिए.”
संपादकीय में कहा गया कि जिन लोगों ने मोटेरा स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के नाम पर रखा है, दरअसल उन्होंने मोदी का कद घटाने का प्रयास किया है.
शिवसेना ने कहा, ‘‘मोदी लोकप्रिय नेता है. लोगों ने उन्हें प्रचंड जनादेश दिया, लेकिन बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है. सरदार पटेल और नेहरू के पास बहुमत देश के विकास की आधारशिला रखने के लिए था.”
सामना में कहा गया, ‘‘नेहरू ने आईआईटी, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, भाखड़ा नांगल परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया, लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान क्या काम हुआ. सरदार पटेल के नाम पर बने स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया.”
सामना में कहा गया है, ‘‘सरदार पटेल का कल तक गुणगान करने वाले लोग एक स्टेडियम के नाम के लिए सरदार पटेल के विरोधी बन रहे हैं. ऐसा लगता है कि आज की राजनीति में पटेल का महत्व खत्म हो गया है और यही चीज पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद नेताजी (सुभाष चंद्र) बोस के साथ होगी.”
New Delhi: श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता नोदीप कौर (Nodeep Kaur) को जमानत मिल गई है. वह 12 जनवरी से जेल में बंद थी. किसानों का आंदोलन (Farmers Protest), उससे पैदा हुईं कानून एवं व्यवस्था की दिक्कतें, और गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को देश का राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के बाद हुई गिरफ्तारियों से दुनियाभर की निगाहें हिन्दुस्तान पर टिक गईं. खास फोकस पुलिस की कथित ज़्यादतियों पर रहा, जो पिछले कुछ हफ्तों में उन्होंने प्रदर्शनकारियों और असंतुष्टों के खिलाफ कीं. पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) की गिरफ्तारी और उनके तथाकथित सहयोगियों के खिलाफ दर्ज किए गए पुलिस केसों ने निरंकुशता के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर दी.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस उन लोगों में शुमार रहीं, जिन्होंने तथाकथित अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया. मीना हैरिस सहित कई लोगों का कहना है कि श्रमिक अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता Nodeep Kaur उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें प्रशासन ने निशाना बनाया. सरकार द्वारा मनमानी किए जाने के आरोपों के सामने आने से बहुत पहले इस दलित युवती को गिरफ्तार किया गया था, और इसने भी पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
Nodeep Kaur पर हत्या के प्रयास का आरोप है. नोदीप ने भी आरोप लगाया है कि उसकी मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया, जो क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट की धारा 54 का उल्लंघन है.सरकार की ओर से उसके सहयोगी शिवकुमार की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई है, जिस पर वही आरोप हैं, जो Nodeep Kaur पर हैं, सो, नोदीप की ज़मानत अर्ज़ी पर आज सुनवाई हुई और उन्हें जमानत मिल गई.
6 फरवरी तक Nodeep Kaur के बारे में ज़्यादा नहीं सुना गया था, जब पहली बार मीना हैरिस ने ट्वीट किया, “23-वर्षीय श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता Nodeep Kaur को गिरफ्तार किया गया, यातनाएं दी गईं और पुलिस हिरासत में यौन शोषण भी किया गया…” मीना हैरिस के ट्वीट में भीड़ की तस्वीरें थीं, जो उन्हीं की तस्वीर को जलाते हुए दिख रही थी, और एक अन्य तस्वीर में एक नकाबपोश महिला ने नोदीप की रिहाई की मांग करता पोस्टर उठा रखा था.
Nodeep Kaur को 12 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, जब वह दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर कुंडली में श्रमिकों के एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थी. अधिक पारिश्रमिक की मांग करने के लिए आयोजित प्रदर्शन उसी समय हो रहा था, जब तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) भी जारी था. महीनों से जारी किसान आदोलन में शिरकत करने वाले बहुत-से किसान कुंडली में भी डेरा डाले हुए हैं.
Nodeep Kaur की गिरफ्तारी के बाद उस पर बहुत-से आरोप लगाए गए – जिनमें हत्या, जबरन वसूली, चोरी, दंगा-फसाद करने, गैरकानूनी जमावड़े में शामिल होने तथा डराने-धमकाने के आरोप शामिल हैं. हरियाणा में करनाल जेल में बंद नोदीप कौर पंजाब के मुक्तसर की रहने वाली है. उसे बाद में जबरन वसूली और डराने-धमकाने के आरोप वाले दो मामलों में ज़मानत मिल गई.
Nodeep Kaur सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में एक कंपनी में काम करती रही है, और उसका दफ्तर दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर है, जहां दो महीने से भी ज़्यादा वक्त से किसान लगातार कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
Nodeep Kaur की बहन राजवीर कौर ने आरोप लगाया है कि नोदीप को “पुलिस स्टेशन में पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा पीटा गया और यहां तक कि उस पर यौन अपराध भी किए गए… उसके निजी अंगों में चोटें हैं… कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए…” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मज़दूरों और किसानों की एकता से डर गई है.
पुलिस ने सभी आरोपों से इंकार करते हुए उन्हें ‘मनगढ़ंत’ बताया है. उनका आरोप है कि Nodeep Kaur के हमले से पुलिसकर्मी ज़ख्मी हुए, जिनमें एक महिला कॉन्स्टेबल भी शामिल थी. यौन शोषण के आरोप को पुलिस ने ‘बाद में सोचा गया’ करार दिया है.
8 फरवरी को पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) से Nodeep Kaur को राहत सुनिश्चित करने के लिए कहा. नोदीप कौर की कथित गैरकानूनी हिरासत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया.
देशभर के व्यापारिक संगठनों सहित कई परिवहन संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद (Bharat Bandh) का ऐलान किया है. यह बंद आज सुबह 6 बजे से शुरू हो चुकी है और शाम 8 बजे तक लागू रहेगी. बंद शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर कई राज्यों में इसका असर दिख रहा है. कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी (GST) नियमों की समीक्षा की मांग करते हुए यह बंद बुलाया है. वहीं, ई-वे बिल और तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भी उनका विरोध है.
बता दें कि हाल ही में जीएसटी (GST) यानी गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स एक्ट में किए गए संशोधन किए गए हैं, जिनका ये संगठन विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि ये संशोधन व्यापार के प्रतिकूल हैं. परिवहन संगठन बढ़ते पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इस बंद के तहत देशभर के बाजार बंद रहेंगे और कोई भी व्यापारिक गतिविधियां नहीं होंगी. देश के सभी राज्यों के अधिकतर व्यापारिक संगठन बंद में शामिल हो रहे हैं.
#WATCH Bihar: RJD leader Tejashwi Yadav rides a bicycle from his residence to the Secretariat in Patna, as a mark of protest against the fuel price hike. pic.twitter.com/Db9muIwHEw
West Bengal: Confederation of All India Traders has called for a nationwide strike today in protest against rise in fuel prices & new e-way bill & GST; latest visuals from Birbhum. pic.twitter.com/FL0hvkSHKJ
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के भारत बंद (Bharat Bandh) आह्वान का असर दिल्ली के बाजार पर नहीं दिख रहा है. यहां के व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी (GST) के प्रावधान बहुत ही जटिल, कठोर और पीछे ले जाने वाले हैं, लेकिन यहां पर बंद रखने को समाधान न मानते हुए बाजार खुले रखे गए हैं. बता दें कि पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतों में तेजी के विरोध और ई-वे बिल कानूनों को खत्म करने को लेकर ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने भी भारत बंद का समर्थन किया है.
Patna: बिहार विधानसभा के बजट सत्र (Bihar Assembly Budget session) में अब तक दो बात की चर्चा सबसे अधिक हो रही हैं.एक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को ग़ुस्सा क्यों आता हैं जिसके बाद उन्हें खुद सफ़ाई देनी पड़ी कि वो किसी सदस्य को धमकी नहीं देते और दूसरा, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) अपने भाषण में कैसे नीतीश कुमार सरकार के सारे दावों की पोल खोल देते हैं. गुरुवार को बिहार विधानसभा में बजट पर बहस के दौरान में बोलते हुए Tejashwi Yadav ने सरकार से पूछा कि जब कोई कल कारख़ाने नहीं लगे, आर्थिक मोर्चे पर राज्य में कोई उपलब्धि भी सरकार नहीं गिना पाई तब जीडीपी (GDP) में 10 प्रतिशत के दर से आर्थिक वृद्धि कैसे हुई. Tejashwi Yadav ने आंकड़े पेश करके ये साबित करने की कोशिश कि देखिए जब लालू -राबडी शासन था तब भी बजट के आकार में आठ गुना बढ़ोतरी हुई और अब नीतीश कुमार के शासनकाल में भी उतनी ही वृद्धि हुई हैं और केंद्र के बजट के विकास में समान वृद्धि का प्रतिशत हैं .
वैसे, Tejashwi Yadav जब बोल रहे थे तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में मौजूद नहीं थे. इसके बावजूद पूरी तैयारी कर आये तेजस्वी ने सीएम पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सबसे ख़ास बात यह थी कि सत्ता पक्ष के लोग भी उनके भाषण को ध्यानपूर्वक सुन रहे थे. तेजस्वी ने अख़बार की क्लिपिंग लहराते हुए भाजपा के मंत्रियों को कहा कि देखिए आप लोगों की संख्या भले मंत्रिमंडल में अधिक हो, लेकिन बजट के आवंटन में नीतीश और उनके मंत्रियों के पास आपसे दुगुनी राशि है.
विधान सभा सत्र में आज @yadavtejashwi ने एक बार फिर बजट पर चर्चा के अपने भाषण में @NitishKumar को आर्थिक आँकड़ों के जाल में घेरेने की कोशिश की ।दूसरी बार तेजस्वी के भाषण के बारे में विपक्ष और सता पक्ष उनकी परिपक्वता की चर्चा कर रहे थे ।@ndtvindia pic.twitter.com/KRrPjzOlWM
राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा के बाद पिछले तीन दिन के दौरान बिहार विधान सभा में यह दूसरा मौक़ा था जब Tejashwi Yadav अपने भाषण में तथ्यों के आधार पर नीतीश कुमार के दावों की पोल खोलने का प्रयास कर रहे थे. हालांकि पूर्व की तुलना में उनके भाषण में तल्ख़ी कम थी लेकिन पहली बार वो शेरोंशायरी का भी सहारा लेते भी नजर आए
Anti Love Jehad Ordinance: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में गुरुवार को योगी सरकार (Yogi Government) के सबसे महत्वपूर्ण विधेयक उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 यानी एंटी लव जिहाद विधेयक (Anti Love Jehad Ordinance) को पारित कर दिया गया है. इसे अब राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा. उसके बाद यह एक कानून बन जाएगा.
बजट सत्र के छठवें दिन उत्तर प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन विधेयक 2021 (Anti Love Jehad Ordinance) को विधान परिषद में भी पास कर दिया गया. इस दौरान सदन में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए ये मसौदा तैयार किया था. बजट से पहले कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश का प्रस्ताव भी पास किया गया था.
क्या कहता है नियम
दरअसल, यूपी में धर्मांतरण कानून पहले ही बन चुका है. लेकिन, पहले अध्यादेश लाकर बिल को मंजूरी दी गई और फिर राज्यपाल की सहमति के बाद इसे कानून बना दिया गया. लेकिन, अध्यादेश के नियमों के तहत सरकार को 6 महीने के भीतर सदन में बिल पेश करके प्रस्ताव पास कराना होता है. यूपी के दोनों सदनों में सरकार विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन विधेयक 2021 को पास करा चुकी है.
अध्यादेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश में लव जिहाद यानी गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने या धर्म छिपाकर शादी करने के मामले में सख्त सजा का प्रावधान होगा. शादी से पहले धर्म परिवर्तन के लिए 2 माह पहले नोटिस देना होगा. स्थानीय जिलाधिकारी ऐसे मामलों में अनुमति देंगे. नाम और धर्म छिपाकर शादी करने, सामूहिक रूप से अवैध धर्मांतरण पर 10 साल तक की जेल होगी. महिला, एससी/एसटी या वल्नरबल ग्रुप का अवैध रूप से धर्म परिवर्तित कराने पर 2 साल से 10 साल तक की जेल की सजा भुगतनी होगी.
सजा और जुर्माने का है प्रावधान
बुधवार को बजट सत्र में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन विधेयक 2021 (Anti Love Jehad Ordinance) को विधानसभा में ध्वनि मत से पारित कराने के बाद बृहस्पतिवार को इसे विधान परिषद में भी पास करा दिया गया है. इस कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले को एक साल से लेकर 10 साल तक की सजा के साथ-साथ अधिकतम 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
लोकतंत्र की हत्या कर रही है बीजेपी
विधान परिषद में ‘एंटी लव जिहाद’ विधेयक (Anti Love Jehad Ordinance) पास होन के बाद सपा एमएलसी राजेंद्र चौधरी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि बीजेपी (BJP) के लोगों को लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है. बीजेपी रोजाना लोकतंत्र की हत्या कर रही है. उन्होंने कहा कि विधान परिषद में एक बार फिर लोकतंत्र की हत्या की गई है, यहां समाजवादी पार्टी का बहुमत है लेकिन बीजेपी सदन की सारी मान्यताओं को नेस्तनाबूद करने पर लगी हुई है.
नोटिस पर चर्चा नहीं हुई
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि हमारे नोटिस पर चर्चा नहीं हुई, नियम के अनुसार ‘एंटी लव जिहाद’ विधेयक (Anti Love Jehad Ordinance) पास नहीं हुआ है. जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है. सदन में कोई ऐसा काम नहीं बचा है, जिससे लोकतंत्र की हत्या न हुई हो. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव लगातार लोकतंत्र को बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं. चौधरी ने कहा कि हमारे बहुमत की कोई परवाह किए बिना विधेयक पास किए जा रहे हैं, सत्ता का लगातार दुरुपयोग किया जा रहा है.
Amroha: उत्तर प्रदेश (UP) के अमरोहा (Amroha) पहुंचे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने कहा कि हमारी पार्टी विलय नहीं करेगी बल्कि गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरेगी. उन्होंने कहा कि जिला पंचायत चुनाव में हम अपने प्रत्याशी उतारेंगे और गठबंधन के साथ लड़ेंगे. बीजेपी (BJP) के वादे खोखले साबित हो रहे हैं.
Shivpal Yadav ने कहा कि हम 2022 के चुनाव में छोटी-छोटी पार्टियों से गठबंधन करेंगे और सरकार बनाएंगे. हमारी सरकार में हम एक कानून ऐसा भी बनाएंगे जिसमें हर घर के एक बच्चे को सरकारी नौकरी मिलेगी. Shivpal Yadav ने कहा कि मैंने Akhilesh Yadav से भी अपील की है कि वह हम सब के साथ 2022 में चुनाव लड़ें क्योंकि पहले परिवार का एक होना जरूरी है.
मुरादाबाद (Moradabad) मंडल के कार्यकर्ताओं को संबोधित करने पहुंचे शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने मंच से जमकर बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा. उन्होंने कृषि कानून (Farm Laws) को किसान विरोधी बताया और कहा कि जो कानून पास किए गए हैं वह केवल उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं. किसान तो मजदूर बनकर ही रह जाएगा.
शिवपाल यादव ने कहा कि हम हर छोटी-छोटी पार्टियों को एक जगह इकट्ठा कर लड़ेंगे. उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) के राज में जो काम पहले ₹500 में हो जाया करता था आज उस काम के ₹5000 रुपये लेकर भी अधिकारी काम नहीं करते. कानून व्यवस्था बिल्कुल ठप हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अखिलेश अगर अहंकार में रहे तो कुछ नहीं होने वाला. प्रदेश में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है. जो यूरिया खाद पहले ढाई सौ रुपए का आ जाता था आज 350 रुपये मे भी 45 किलो दिया जा रहा है.
New Delhi: Supreme Court ने कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए चयन योग्यता के आधार पर होना चाहिए और अधिक अंक प्राप्त करने वालों को नजर अंदाज कर कम योग्य को नियुक्त करना संविधान का उल्लंघन होगा. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने यह टिप्पणी झारखंड उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखते हुए की, जिसमें उच्च न्यायालय ने प्रशासन द्वारा अनियमितता में सुधार पर तैयार संशोधित चयन सूची के बाद मेरिट के आधार पर 43 व्यक्तियों को पुलिस उपनिरीक्षक पद पर नियुक्ति की अनुमति दी थी.
झारखंड सरकार के गृह विभाग ने वर्ष 2008 में पुलिस उपनिरीक्षक, अटेंडेंट और कंपनी कमांडर के पद के लिए विज्ञापन जारी किया था. अंतिम प्रकाशित सूची में 382 लोगों का चयन हुआ था लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन चयन प्रक्रिया में अनियमितता की जांच करने के लिए की.
असफल अभ्यार्थियों ने झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की. उच्च न्यायालय में याचिका लंबित रहने के दौरान मूल चयन सूची के आधार पर 42 उम्मीदवारों की नियुक्त कर दी गई. वहीं, झारखंड पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता वाली गठित समिति की अनुशंसा के आधार तैयार संशोधित सूची के आधार पर 43 लोगों की भी नियुक्ति की गई.
उच्च न्यायालय ने पाया कि 43 याचिकाकर्ता प्रशासन द्वारा चयन में की गई अनियमितता के लिए जिम्मेदार नहीं हैं और उनके खिलाफ धोखाधड़ी आदि के आरोप नहीं है. Supreme Court ने इस मामले में हस्तक्षेप के लिये कुछ लोगों की अर्जी खारिज कर दी जिसमें कहा गया था कि विज्ञापन से परे जाकर नियुक्त करने का अधिकार नहीं है.
उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले हफ्ते आए फैसले में कहा गया, ‘‘ इसमें कोई शक नहीं है कि सरकारी नौकरी पर नियुक्ति योग्यता के आधार पर होनी चाहिए. उन व्यक्तियों को नजर अंदाज कर जिन्हें अधिक अंक प्राप्त हुए और कम योग्य व्यक्ति की नियुक्ति करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा.”
अदालत ने 43 याचिकाकर्ताओं को मुख्य रूप से इस आधार पर राहत दी कि उनकी नियुक्त पहले ही हो चुकी है और वे राज्य में कुछ समय से सेवा दे रहे हैं और उन्हें इस बात की सजा नहीं दी जा सकती, जिसमें उनकी कोई गलती नहीं है
गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज असम के दौरे पर हैं. यहां अमित शाह ने कहा कि हमें हमें असम को बाढ़ मुक्त, घुसपैठियों और हिंसा से मुक्त बनाना है. असम और पूरे उत्तर-पूर्व को जीडीपी में सबसे ज़्यादा योगदान देने वाला बनाना है. बता दें कि अमित शाह ने नगांव के महामृत्युंजय मंदिर में पूजा की. इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और राज्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद रहे.
New Delhi: नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) को करीब तीन महीने हो गए हैं। धीरे- धीरे मौसम में भी बदलाव होने लगा है। ठंड के बाद गर्मी से बचने के लिए किसानों ने अपनी ट्रालियों और टेंट में पंखे लगाना शुरू कर दिया है। लंगरों में अब चाय के स्थान पर मट्ठा मिलने लगा है। पंडालों को हवादार बनाने के लिए उन्हें दोनो और से खोला जा रहा है। इन तैयारियों को देखकर लगता है कि बदलते मौसम में भी आंदोलन (Farmers Protest) में रहने के लिए किसान पूरी तरह तैयार है।
गाजीपुर बॉर्डर पर किसान एकता मोर्चा के सदस्य बलजिंदर सिंह मान ने बताया कि प्रदर्शनस्थल पर गर्मी से बचने के सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। ठंड के चलते हर जगह से बंद किए गए पंडाल को खोला जा रहा है ताकि ताजी हवा लोगों को मिलती रहे और गर्मी से राहत मिल सके।
किसानों को हर समय ठंडा पानी मिलता रहे इसके लिए हर जत्थे में ठंडे पानी के जार और ठंडे पानी की बोतलें पहुंचाने की व्यवस्था शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि किसानों ने अपने ट्रैक्टर और ट्रालियों में लटकने वाले पंखे लगाना शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में किसान उनके पास कूलर और पंखों की मांग लेकर पहुंच रहे हैं।
पंखे और छोटे कूलर उपलब्ध करवाने के लिए सर्वे करना शुरू कर दिया हैं। सर्वे पूरा होने के बाद किसानों को पंखे और कूलर उनके जत्थों के लिए उपलब्ध करवाएंगे। मान ने कहा कि गांव से अब जो किसान आ रहे हैं वे अपने साथ पंखे, चटाई और खाने का सामान साथ लेकर आ रहे हैं। यह सभी तैयारी इसलिए कि जा रही है ताकि गर्मी के मौसम में कोई परेशानी न आए और आंदोलन (Farmers Protest) लंबा चल सके।
Mumbai: मुंबई में सोमवार को कोरोना (Corona) संक्रमितों के मौत की संख्या शून्य थी। लेकिन मंगलवार को आठ कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई और 643 नए संक्रमित मामले सामने आए।
राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को बीते 24 घंटे में 6,218 नए कोरोना (Corona) संक्रमित सामने आए। जबकि 5,861 मरीज स्वस्थ हुए। इस तरह सूबे में सक्रिय मरीजों की संख्या 53,401 हो गई है। वहीं, 2,79,288 लोग होम क्वारंटीन और 2484 लोग संस्थागत क्वारंटीन हैं।
आंकड़ों के अनुसार मुंबई महानगर क्षेत्र में 1250, नासिक मंडल में 692, पुणे मंडल में 1288, कोल्हापुर मंडल में 115, औरंगाबाद मंडल में 405, लातूर मंडल में 199, अकोला मंडल में 1392 और नागपुर मंडल में 877 सहित अन्य 85 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जिनका विभिन्न अस्पतालों में उपचार जारी है।
Disha Ravi News: अंधेरों की हजार परतें इंसाफ़ की हवा की दिशा नहीं रोक सकती हैं. सत्ता के दम पर 22 साल की एक लड़की को डराने का अहंकार आज एक फैसले की कापी में चूरचूर होकर बिखरा पड़ा है. सत्ता इससे सबक नहीं लेगी लेकिन पुलिस के अफसरों को लगा कर गोदी मीडिया की फौज खड़ी कर इस मुल्क, जिसका नाम भारत है, में एक 22 साल की लड़की को जिस तरह घेरा गया और उसका मुकाबला इस लड़की ने किया है वही दिशा है. सिर्फ उसका नाम दिशा नहीं है बल्कि वाकई वह दिशा है. जब उसने 20 फरवरी को भरी अदालत में कह दिया कि किसानों की बात करना गुनाह है तो वह जेल में रहना चाहेगी. जेल के इसी डर से गांधी ने भारत को आज़ाद कराया था. दिशा गांधी नहीं है न हो सकती है मगर जेल के डर से अपनी पीढ़ी के नौजवानों को आज़ाद करा रही है. गोदी मीडिया के सहारे विश्व गुरु बनने का सपना देखने वाला भारत आज की रात फैसले की कापी पढ़ेगा जिसे जज धर्मेंद्र राणा ने कलमबंद किया है कि गुरु बना जाता है इंसाफ़ से. न्याय से और सत्य के साथ खड़े होकर, न कि झूठ का बाज़ार बिछाकर. सरकार के मंत्री नहीं पढ़ेंगे, गोदी मीडिया के एंकर नहीं पढ़ेंगे लेकिन आप जनता, आप नागरिक जज धर्मेंद्र राणा की लिखी बातों को पढ़ेंगे. आज नहीं पढ़ेंगे, कोई बात नहीं लेकिन जब यही सत्ता आपकी बेटी को दिशा की तरह झूठे मुकदमे में फंसाएगी तब यह फैसला याद आएगा.
जज ने लिखा है कि विचारों में मतभेद, असहमति, विचारों में भिन्नता और यहां तक कि घोर आपत्ति राज्य की नीतियों में वस्तुनिष्ठता लाने के पहचाने हुए और विधिक औज़ार हैं. एक उदासीन और बेहद विनम्र जनता के मुकाबले जागरूक और मुखर जनता एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र का संकेत है.
भारत की 5000 साल पुरानी सभ्यता कभी भी अलग अलग विचारों की विरोधी नहीं रही. इस सिलसिले में फैसले में ऋग्वेद के एक श्लोक को भी उद्धृत किया गया जिसका अर्थ है हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों. सिर्फ़ मौखिक दावे के अलावा मेरे संज्ञान में ऐसा कोई सबूत नहीं लाया गया जो इस दावे की तस्दीक करता हो कि आरोपी या उनके कथित सह साज़िशकर्ताओं की शैतानी साज़िश के बाद किसी भी भारतीय दूतावास में किसी तरह की कोई हिंसा हुई हो.
किसानों को आतंकवादी कहना, किसानों के लिए आवाज़ उठाना आतंकवादी के साथ हो जाना यह कभी नहीं हुआ. किसानों को मिला यह अपमान तमाम चुनावों में हार जीत के बाद भी उनके सीने से चिपका रहेगा. वे भले धर्म के आधार पर बंट जाएं या जाति के आधार पर बिखर जाएं लेकिन उन्हें याद रखेगा कि गोदी मीडिया और सत्ता ने उन्हें आतंकवादी कहा था. जज राणा ने लिखा है कि सरकार की शान में गुस्ताखी पर किसी पर देशद्रोह के आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं. दिशा रवि को ज़मानत मिल गई है. बल्कि जेल में डालकर डराने के खेल को आज नई दिशा मिली है.
सत्ता के दलदल से निकली हर दलील उसी दलदल में जा फंसी है. सात दिनों तक जेल में रहकर दिशा ने उन सभी को आज दिशाहीन कर दिया जो उसे आतंकवादी साबित करने के जुनून में विवेकहीन हो चुके थे. यह इशारा है किसान आंदोलन का. वह कृषि कानूनों के विरोध से कहीं ज़्यादा सरकार और समाज के विवेक का इम्तिहान ले रहा है. किसी को फंसा देना कितना आसान हो गया था कभी पत्रकार, कभी फ़िल्मकार, जिसे मन है उसके खिलाफ गोदी मीडिया को लगा दो, उलूल जुलूल के आरोप गढ़ दो और जेल में पहुंचा दो. यह खेल खत्म नहीं होगा आगे भी जारी रहेगा लेकिन आज इस खेल का भांडा फूट गया है. किसानों के बहकाने के मंत्र का पता लगाने के खेल का भंडा. क्या किसानों को बहकाने के इन दो चार मंत्र को क्या टूल किट कहा जा सकता है? कई महीने से सरकार कृषि कानूनों के फायदे गिना रही है, प्रधानमंत्री कई भाषण दे चुके हैं, और उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ता समझ नहीं पाए कि किसानों को समझाना कैसे है? समझ नहीं रहे तो बहकाना कैसे है? सोमवार को गुरुग्राम में बीजेपी के चिन्तन शिविर में अध्यक्ष ओपी धनखड़ और मंच की तरफ मुखातिब होकर एक जिज्ञासु कार्यकर्ता ने यह कह दिया कि “माननीय अध्यक्ष जी आप वाली बात सही है कि समझाने से नहीं मानेंगे और ना ही समझाने की कोशिश करें, बहकाने पड़ेंगे. बहकाने के 2-4 मंत्र और दे दो, ताकि बहका सकें. इसकी वीडियो रिकार्डिंग कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर दी.
अब इस तरह के वीडियो सामने आएंगे कि किसानों को बहकाने के मंत्र दे दिए जाएं तो किसानों के लिए समझना और मुश्किल हो जाएगा. वे यही पता लगाते रहेंगे कि समझाने के नाम पर बहकाया जा रहा है या बहकाने के नाम पर समझाया जा रहा है. इस वीडियो से पता चलता है कि आम कार्यकर्ता खुद को कितना मुश्किल में पा रहा है. उसे भी बहकाने के टूलकिट की ज़रूरत है. किसान आंदोलन को बहकाने के कितने प्रयास हुए लेकिन बहकाया नहीं जा सका. ऐसा नहीं है कि किसान सचेत नहीं हैं. पश्चिम यूपी की तमाम महापंचायतों में 2013 के दंगों की बात हो रही है और अफसोस ज़ाहिर किया जा रहा है. इसी संदर्भ में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा था कि सभी किसान अपने घरों में बाबा साहब अम्बेडकर की फ़ोटो लगाएं और सभी मजदूर घरों में चौधरी छोटूराम के फोटो लगाएं.
19 फरवरी को हिसार के बरवाला में दलित सम्मेलन हूआ. इस सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा था कि उनकी लड़ाई सरकार से ही नहीं, पूंजीपतियों से है. सरकार जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर लड़वाती आई है, इन साज़िशों को समझना होगा.इन बयानों से लग रहा है कि किसान नेता उन सभी पहलुओं के बारे में सोच रहे हैं जिनसे किसी आंदोलन को खत्म कर दिया जाता है. बहकाने के इन तमाम मंत्रों की काट पहले से पेश कर रहे हैं. गुरनाम सिंह ने मज़दूरों से भी कहा था कि यह देश की आर्थिक आज़ादी बचाने का धर्म युद्ध है. वे भी किसान आंदोलन का साथ दें. 22 फरवरी को सोनीपत के खरखौदा ब्लाक में किसानों की पंचायत में सभी जाति के लोग शामिल हुए. इसका मतलब है कि किसान अपने आंदोलन को हर तरह से जोड़कर रखने के प्रयास में जुटे हैं. किसान आंदोलन में यह भी तय हुआ है कि 27 फरवरी को गुरु रविदास जयंती के मौके पर मज़दूर किसान एकता दिवस मनाया जाएगा. 27 फरवरी को शहीद चंद्रशेखर आज़ाद का शहादत दिवस भी है. इसका मतलब है कि किसान आंदोलन खुद को हर तरह से जोड़ जोड़ कर व्यापक बनाने में लगा हुआ है.
बहकाने के मंत्र से अच्छा होता सम्मान के साथ संवाद का मंत्र खोजा जाता और उसी पर यकीन रखा जाता. सरकार ने बातचीत का प्रस्ताव देकर लगता है कोशिशें छोड़ दी हैं और अपने सांसदों और कार्यकर्ताओं पर यह ज़िम्मेदारी डाल दी है कि वे गांवों में जाकर किसानों को समझाएं. जिस काम में बड़े बड़े नेता फेल हो गए हैं उस काम में कार्यकर्ताओं को पास होने के लिए भेजा जा रहा है. बीजेपी के नेता खाप के प्रधानों से मुलाकात कर रहे हैं.
रविवार को बीजेपी सांसद संजीव बलियान शामली गए. संजीव बलियान खाप के प्रधानों से मुलाकात कर रहे हैं. बुढ़ियान खाप के बाबा सचिन कालखंडे ने मिलने से इनकार कर दिया तो यहां इस गांव में बत्तीसा खाप के प्रधान से चौधरी बाबा सूरजमल से कृषि कानूनों पर बात करने. लेकिन यहां संजीव बलियान को भारी विरोध का सामना करना पड़ा.बीजेपी के विरोध में नारे लगाए गए. जब लोगों को पता चला कि मंत्री आने वाले हैं तो गांव के रास्ते को ट्रैक्टर ट्राली से जाम कर दिया. किसी तरह उन्हें हटाकर सांसदों का काफिला गांव में प्रवेश किया लेकिन बीजेपी के विरोध में नारे लगने लगे. नारेबाज़ी के दौरान संजीव बालियान और ग्रामीणों में नोंकझोंक भी हुई.
पश्चिम यूपी में बीजपी के नेताओं को लेकर नारेबाज़ी कोई दूसरा रूप न ले ले, इससे नुकसान किसान आंदोलन को ही होगा. उन पर हिंसा के आरोप लगेंगे. जैसा कि पहले भी हो चुका है. इस वक्त में जब पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन और महापंचायतों की सक्रियता उभार पर हो बीजेपी नेताओं के व्यक्तिगत मुलाकात जैसे कार्यक्रमों की चुनौतियां भी कम नहीं हैं. दूसरी तरफ यही किसान आंदोलन के लिए भी मुश्किल पैदा करेगा. सोमवार को मुजफ्फरनगर की बुढाना विधानसभा क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव सोरम में विरोध ने तनाव का रूप ले लिया.
भाजपा सांसद संजीव बलियान और उनका काफिला सोरम गांव में एक तेरहवीं में शामिल होने पहुंचा था. किसान पंचायतों में ऐलान हुआ है कि तेरहवीं में बीजेपी के नेताओं को नहीं बुलाया जाए. संजीव बलियान के आते ही किसान जय जवान जय किसान और भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाने लग गए. बस किसानों पर लाठी-डंडों से हमला हो गया. जिसमें छह सात किसान घायल हो गए. ग्रामीणों का आरोप है कि भाजपा सांसद संजीव बालियान के लोगों ने हमला किया जबकि संजीव बलियान ने ट्विट किया है कि लोकदल के नेताओं ने उनके साथ बदतमीजी की और गाली गलौज की जिस पर स्थानीय निवासियों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और वहां से भगा दिया. इसके बाद सोरम गांव में ऐतिहासिक चौपाल पर ग्रामीणों द्वारा पंचायत की गई. पंचायत के बाद ग्रामीण शाहपुर थाने पहुंच गए और संजीव बालियान के समर्थकों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर थाने का घेराव कर दिया.
आज पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह सोरम गांव गए. उनकी इस यात्रा को इस तरह प्रचारित किया गया कि 83 साल की उम्र में भी अजीत सिंह किसानों के बीच आ रहे हैं. उन्होंने ट्विट किया कि किसानों के साथ गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होगी. क्या पश्चिम यूपी में तनाव की संभावना तलाशी जा रही है? बेहतर है दोनों को एक दूसरे के रास्ते में नहीं आना चाहिए. कहीं ऐसा न हो एक दूसरे के विरोध करने के तरीके कुतर्क और तनाव में बदलते चले जाएं. शायद नरेश टिकैत इस बात को समझ रहे हैं. 22 तारीख को बुलंदशहर की महापंचायत में नरेश टिकैत ने कहा कि किसान गाज़ीपुर बार्डर पर जाना जारी रखें.
और आंदोलन को शांति पूर्ण तरीके से आगे बढ़ाएं. सरकार आंदोलन में हिंसा चाहती है और हिंसा की पूरी आशंका है. आंदोलन को सबसे पहले हिंसा कर दबाए जाने की कोशिश सरकार ने की. आगे भी ये कोशिश जारी रह सकती है. लेकिन आंदोलन में हिंसा नहीं होने देंगे.
आज सिंघु बॉर्डर पर पगड़ी संभाल दिवस मनाया गया है. शहीद भगत सिंह के परिवार के सदस्य इस मौके पर आमंत्रित किए गए थे. पगड़ी संभाल जट्टा.. इस गीत को आप जानते होंगे, पत्रकार लाला बांके दयाल ने इसकी रचना की है. 113 साल बाद यह गाना आज भी गूंज रहा है. 1907 में ब्रिटिश सरकार तीन किसान विरोधी कानून लेकर आई थी. दो कानून का संबंध राजस्व की वृद्धि से था और एक का ज़मीन अधिग्रहण से. बीबीसी हिन्दी में प्रो चमन लाल लिखते हैं कि अजीत सिंह ने इन कानूनों के विरोध में पंजाब में सभाएं करनी शुरू कर दीं. इन सभाओं में लाला लाजपत राय को बुलाया गया. इन सभाओं में भाषण देने के लिए अजीत सिंह पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था. आंदोलन इतना ज़ोर पकड़ा कि कानून रद्द करने पड़े. अजीत सिंह और लाला लाजपत राय को बर्मा की जेल में भेज दिया गया. लोकमान्य तिलक ने अजीत सिंह को किसानों का राजा कहकर एक ताज पहनाया था. उन्हीं की याद में आज के दिन को किसानों के आत्मसम्मान के रूप में मनाया गया. इस मौके पर शहीद भगत सिंह के परिवार से जुड़े अभय संधु, तेजी संधु, अनुस्प्रिया संधु और गुरजीत कौर को सम्मानित किया गया. किसान इस आंदोलन को उस आंदोलन से जोड़कर देख रहे हैं. ग्रामीण जीवन में पगड़ी इज़्ज़त का प्रतीक है. आज उसी पर हमला हो रहा है. सहजानंद सरस्वती 20वीं शताब्दी के बहुत बड़े किसान नेता थे. 22 फ़रवरी को उनका जन्मदिन था. आज उसे भी मनाया गया. किसानों से कहा गया कि वे अपनी अपनी पगड़ी पहनकर आएं जो उनके इलाके में पहनी जाती है.
किसान आंदोलन में सहजानंद सरस्वती को याद करना, सर छोटू राम को याद करना सामान्य घटना नहीं है. किसान आंदोलन को यह बात समझ आ गई है कि आंदोलन लंबा चलेगा. इसे कई उतार चढ़ाव से गुज़रना है इसलिए वे अपने प्रतीकों के चुनाव में काफी सावधानी बरत रहे हैं. उन प्रतीकों की स्थापना कर रहे हैं जिनका संबंध खेती किसानी से रहा है. ऐसा नहीं है कि सर छोटू राम को लोग भूल गए थे, बल्कि याद करने की औपचारिकता से निकालकर उन्हें वापस लोगों की स्मृतियों में स्थापित किया जा रहा है और आंदोलन का चेहरा बनाया जा रहा है. ज़िंदा किया जा रहा है.
अक्टूबर 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने रोहतक के सांपला गांव में दीनबंधु सर छोटू राम की प्रतिमा का अनावरण किया था. तब प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रधानमंत्री के बयानों को ट्विट करते हुए लिखा था कि चौधरी साहब ने किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम बनाया था. हमारी सरकार ने भी PM-AASHA शुरू किया है.
इसके तहत सरकार ने ये प्रबंध किया है कि अगर किसान को समर्थन मूल्य से कम कीमत बाज़ार में मिल रही है तो राज्य सरकार भरपाई कर सकें: PM
प्रधानमंत्री ने यही तो कहा न कि अगर किसान को समर्थन मूल्य से कम दाम मिलेगा तो राज्य सरकार भरपाई करे यानी प्रधानमंत्री भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी की बात कर रहे थे कि नहीं. यही तो आज किसान कह रहे हैं.
प्रियंका गांधी ने महापंचायत में कहा, “मेरे भाई राहुल गांधी ने शहीद किसानों के लिए मौन रखने के लिए कहा. सारा विपक्ष खड़ा हुआ पर सरकार का एक नेता नहीं खड़ा हुआ. ये अहंकारी और कायर प्रधानमंत्री भी है.ये पिछली सरकार को दोषी ठहराते हैं .शुक्र करिए कि पिछली सरकार ने कुछ बनाया था. आपने तो कुछ बनाया नहीं. जो पिछली सरकारों ने बनाया वो जनता के उद्योग इन्होंने बेच दिया. जब तक आप लड़ते रहेंगे तब तक मैं लड़ती रहूंगी भगवान श्री कृष्ण इस सरकार का अहंकार तोड़ेंगे इस सरकार का अहंकार हम तोड़ेंगे.”
इसके बाद प्रियंका गांधी ने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों की याद में दो मिनट का मौन रखा. मथुरा की महापंचायत में प्रियंका ने अपने भाषण में उन्हीं प्रतीकों चुना जिन प्रतीकों का चुनाव कभी या आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं. उनके ही प्रतीकों और तेवरों से प्रियंका गांधी ने घेरना शुरू किया. कहा कि ब्रज क्षेत्र की गौशालाओं का बुरा हाल है. गौवंश को न चारा मिल रहा है न पानी. सरकार ने गौशालाओं के नाम पर 200 करोड़ दिए, वो कहां गए. यहां 90 दिनों से किसान अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं. सरकार ने उनकी पिटाई की लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की. प्रियंका गांधी कृषि कानूनों के अलावा गन्ने के बकाया भुगतान और आलू किसानों को दाम न मिलने का मुद्दा भी उठा रही हैं. सरकार ने क़ानून बनाते वक्त किसी किसान से नहीं पूछा. ये कानून नोटों की खेती करने वाले ने बनाया है. ये क़ानून उन खरबपतियों के लिए बनाया गया है. आप अपने गोवर्धन पर्वत को संभाल कर रखिए कहीं वो न बेंच दें. इनके मित्रों के लाखों करोड़ों का क़र्ज़ माफ़ हुआ. किसान का एक रूपया नहीं माफ़ हुआ. आपकी सुनवाई नहीं हो रही. आपका मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है.
प्रियंका गांधी जब भाषण दे रही थीं तभी राष्ट्रीय स्वर्ण परिषद के लोगों ने राजस्थान सरकार के खिलाफ नारे लगाने शुरू किए. मामला था कि बलात्कार की शिकार एक पीड़िता को न्याय नहीं मिल रहा है. प्रियंका खुद उसे मंच पर ले आईं.
उधर हरियाणा के करनाल में जेल में बंद नौदीप कौर से मिलने आम आदमी पार्टी के विधायक हरपाल चीमा, सरबजीत कौर मनुके और नेता अनमोल गगन मान पहुंचे. कोरोना के कारण इन्हें मिलने नहीं दिया गया. आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि मार्च के महीने में पंजाब में किसान महा सम्मेलन करेगी. बाघा पुराना में एक महारैली होने जा रही है जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हिस्सा लेंगे. हरियाणा में कांग्रेस ने खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. पुड्डुचेरी में कांग्रेस विश्वास प्रस्ताव हार गई और सरकार चली गई. किसान आंदोलन जितना भी एकजुट दिखने की कोशिश करे उसका सामना अंतर्विरोधों से हो ही जाता है. आज पंजाब में इसका एक रूप दिखा. किले की घटना के मामले में दिल्ली पुलिस जिस लक्खा सिधाणा की तलाश कर रही है, जिस पर एक लाख का इनाम घोषित किया है वो आज पंजाब की एक रैली में दिखा.
बठिंडा के मेहराज में एक रैली बुलाई गई थी. मेहराज मुख्यमंत्री मेहराज कैप्टन अमरिंदर सिंह का पैतृक गांव भी है. इसी के करीब है लक्खा सिधाणा का गांव सिधाणा. किसान मोर्चा ने दीप सिद्धु और लक्खा सिधाणा से खुद को अलग कर लिया है लेकिन पंजाब में इन्हें काफी समर्थन है. मेहराज की इस रैली में सिधाणा ने मांग रखी है कि दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए लोगों को रिहा किया जाए. आज की इस रैली में नौजवानों की भीड़ देखी गई. इस रैली की घोषणा के बाद से बताया जा रहा था कि दिल्ली पुलिस ने अपनी रणनीति बना ली है ताकि सिधाणा को गिरफ़्तार किया जा सके. यहां तक कि पंजाब में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच स्पेशल सेल की टीम बठिंडा में डेरा डाले हुए है. इसके बावजूद लक्खा सिधाणा ने इस रैली में भाषण दिया उसके ज़िंदाबाद के नारे लगे और सारी तैयारी के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई. लक्खा केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को चेतावनी देता रहा. पर पुलिस जब गई थी तब गिरफ्तार क्यों नहीं किया? इसका जवाब आएगा भी नहीं. आता तो बेहतर रहता.
आज किसान आंदोलन को एक नई दिशा मिली है. किसान आंदोलन कह सकता है कि उसकी बात करने वाला अब आतंकवादी नहीं कहा जाएगा. इसके लिए बेंगलुरू की एक लड़की दिशा ए रवि ने कुर्बानी दी. भारत की आबो हवा की चिन्ता करने वाली इस लड़की ने सात दिनों तक बिना किसी गुनाह के सज़ा काटी है. व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के दम पर राजनीति करने वाले रिश्तेदार और समाज के लोग आज उस दिशा से नज़रें चुरा रहें होंगे.
Siker: किसान नेता (Farmer Leader) राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने मंगलवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस नहीं लिया तो इस बार आह्वान संसद घेरने (Parliament Gherao) का होगा और वहां चार लाख नहीं 40 लाख ट्रैक्टर जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने किसानों से तैयार रहने को कहा क्योंकि कभी भी दिल्ली जाने का आह्वान हो सकता है. टिकैत मंगलवार को राजस्थान के सीकर में संयुक्त किसान मोर्चा की किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ”कान खोल कर सुन ले दिल्ली, ये किसान भी वही हैं और ट्रैक्टर भी वही होंगे. अबकी बार आह्वान संसद का होगा. कहकर जाएंगे संसद पर. इस बार चार लाख नहीं 40 लाख ट्रैक्टर जाएंगे.”
Rakesh Tikait ने कहा कि किसान इंडिया गेट के पास के पार्कों में जुताई करेगा और फसल भी उगाएगा. साथ ही कहा कि संसद को घेरने के लिए तारीख संयुक्त मोर्चा तय करेगा. किसान नेता ने कहा, ”26 जनवरी की घटना के मामले में देश के किसानों को बदनाम करने की साजिश की गई… देश के किसानों को तिरंगे से प्यार है, लेकिन इस देश के नेताओं को नहीं.”
Rakesh Tikait ने कहा कि सरकार को किसानों की तरफ से खुली चुनौती है कि सरकार ने तीनों कृषि कानून (Farm Laws) वापस नहीं लिए और एमएसपी (MSP) लागू नहीं की तो बड़ी-बड़ी कंपनियों के गोदाम को ध्वस्त करने का काम भी देश का किसान करेगा. इसके लिए संयुक्त मोर्चा जल्द तारीख भी बताएगा.
महापंचायत को स्वराज आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम, किसान यूनियन के राष्ट्रीय महामंत्री चौधरी युद्धवीर सिंह सहित कई किसान नेताओं ने भी संबोधित किया. इससे पहले टिकैत ने चूरू जिले के सरदारशहर में भी किसानों की सभा को संबोधित किया.
Mathura: उत्तर प्रदेश के मथुरा (Uttar Pradesh’s Mathura) में किसान पंचायत के दौरान सोमवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने उस समय अपना भाषण बीच में रोक दिया जब एक रेप पीड़िता की मां ने न्याय की मांग करते हुए नारेबाजी की. यह महिला राजस्थान (Rajasthan) राज्य से है, जहां पर कांग्रेस पार्टी सत्ता में है. राजस्थान के भरतपुर में इस महिला की बेटी के साथ कथित तौर पर रेप हुआ था. भरतपुर, यूपी की सीमा से लगा हुआ है. यह महिला मथुरा में अपने रिश्तेदार के साथ रहती है और उसने प्रियंका के आने की बात सुनकर इस रैली में जाने का फैसला किया था.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) जब किसानों की रैली को संबोधित कर रही थीं, इसी दौरान महिला ने नारेबाजी करके उन्हें बीच में रोक दिया. प्रियंका ने इस महिला से बात की और उसे एक कोने में ले गईं. बाद में उन्होंने मौके से ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan CM Ashok Gehlot) को फोन लगाया और पीड़िता की मदद करने को कहा. जानकारी के अनुसार, गहलोत ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मीडिया सलाहकार (media advisor) ने इस घटना को लेकर ट्वीट करते हुए प्रियंका (Priyanka Gandhi Vadra) पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. शलभ मणि त्रिपाठी (Shalabh Mani Tripathi) ने ट्वीट में लिखा, ‘इन आंसुओं को न तो मीडिया और न ही प्रियंकाजी देख पाएंगी क्योंकि इस मां की निर्दोष बच्ची के साथ रेप राजस्थान में हुआ था और उसे प्रियंका की रैली के लिए यूपी आना पड़ा. राजस्थान में सबसे ज्यादा रेप होते हैं लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वहां नही जाते.’ गौरतलब है कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस समय यूपी में कांग्रेस का प्रभार संभाल रही है. वे राज्य का लगातार दौरा कर रही हैं और हाल के सप्ताहों में किसानों की रैली में भी शिरकत कर रही हैं.
Chandigarh: श्रम अधिकार कार्यकर्ता Nodeep Kaur ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) में दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि पिछले महीने सोनीपत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद पुलिस थाने में कई बार उन्हें बेरहमी से पीटा गया. पंजाब के मुक्तसर जिले की रहने वाली 23 वर्षीय कार्यकर्ता Nodeep Kaur ने यह भी दावा किया है कि उनकी चिकित्सकीय जांच भी नहीं करायी गयी जो आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 54 का उल्लंघन है.
Nodeep Kaur वर्तमान में हरियाणा के करनाल जेल में बंद हैं. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. अदालत मामले में अब 24 फरवरी को सुनवाई करेगी.
अपने वकील अर्शदीप सिंह चीमा और हरिंदर दीप सिंह बैंस के माध्यम से दायर जमानत याचिका में Nodeep Kaur ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या के प्रयास) समेत विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी में आरोपी बनाया गया.
अपनी याचिका में श्रम अधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि मामले में उन्हें ‘‘निशाना बनाया गया और गलत तरीके से फंसाया गया” क्योंकि वह केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए भारी समर्थन जुटाने में कामयाब रही थीं.
Nodeep Kaur मजदूर अधिकार संगठन (MAS) की सदस्य हैं. कौर ने बताया कि उन्होंने केंद्र के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में सोनीपत जिले के कुंडली में प्रदर्शन के लिए लोगों को एकत्रित किया. याचिका में आरोप लगाया गया कि किसानों के समर्थन में स्थानीय मजदूरों के जुटने से प्रशासन खफा था और प्रदर्शन को दबाने के लिए योजना बनायी गयी.
जमानत याचिका में कहा गया कि 12 जनवरी को याचिकाकर्ता और एमएएस (MAS) के सदस्यों ने कुछ मजदूरों के बकाया वेतन के भुगतान की मांग को लेकर एक फैक्टरी की ओर कूच किया. याचिका में उच्च न्यायालय को बताया गया कि उद्योगपतियों के संघ कुंडली औद्योगिक क्षेत्र द्वारा गठित एक समूह ने उनसे दुर्व्यवहार किया.
याचिका में दावा किया गया इसी बीच कुंडली पुलिस थाना के प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम वहां पहुंची और याचिकाकर्ता के बाल खींचकर घसीटते हुए उन्हें अपने साथ ले गयी. याचिका में कहा गया कि इससे प्रदर्शनकारी भड़क गये और जब पुलिस ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया तो स्थिति और खराब हो गयी. दोनों पक्षों के बीच संघर्ष हुआ, याचिकाकर्ता ने स्थिति को शांत कराने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
इसमें दावा किया गया कि पुलिस अधिकारियों ने सिर्फ याचिकाकर्ता Nodeep Kaur को गिरफ्तार किया. उन्हें पीटा गया, प्रताड़ित किया गया और उन्हें कई चोटें आयीं. याचिका में आरोप है कि किसी महिला पुलिसकर्मी की उपस्थिति के बिना ही उन्हें थाने में रखा गया और पुलिस अधिकारियों ने उनकी पिटाई की. हरियाणा पुलिस ने इससे पहले बताया था कि Nodeep Kaur को 12 जनवरी को सोनीपत में गिरफ्तार किया गया था. सोनीपत पुलिस के अधिकारियों ने यह भी कहा कि घटनास्थल पहुंचने पर पुलिस की टीम पर लाठी-डंडों से हमला किया गया और इस घटना में कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए.
Karnal: हरियाणा के करनाल जेल में बंद श्रम अधिकारों की कार्यकर्ता नवदीप कौर (Nodeep Kaur) के समर्थन में बहुत से लोग और राजनतिक पार्टी के नेता आ चुके हैं. मंगलवार को करनाल में आम आदमी पार्टी (AAP) के पंजाब के नेता कौर (Nodeep Kaur) से मिलने पहुंचे थे, जिसमें विधायक हरपाल चीमा, विधायक सरवजीत कौर और अनमोल गगन मान शामिल थीं लेकिन उन्हें कौर से मिलने नही दिया गया. इसके पीछे कोरोनावायरस (Corona Virus) को वजह बताया गया.
Nodeep Kaur से न मिलने देने के बाद आप के विधायक हरपाल चीमा ने खट्टर सरकार को हिटलर की सरकार बताया. वहीं, चीमा ने कहा कि नवदीप पंजाब की बेटी है, उससे मिलने आए और कोरोना का बहाना बताकर मिलने नही दिया गया. चीमा ने कहा कि ‘पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हरियाणा सरकार से बात करके नवदीप (Nodeep Kaur) को बाहर निकालना चाहिए था लेकिन कैप्टन साहब अपनी डियूटी निभाने में फेल साबित हुए हैं. लेकिन आप के नेता यहां पहुंचे हैं और हम अपनी बेटी के साथ हैं.’
हरपाल चीमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘देश के पीएम पूंजीपतियों का पीएम हैं और इनमें पूरी तरह से आज हिटलर की आत्मा आ चुकी है क्योंकि आज देश का किसान कह रहा है कि काले कानून (Farm Laws) रदद् करो लेकिन पीएम मोदी साहब को दिख नही रहा है.’ आप नेता अनमोल गगन मान ने भी सरकार पर गुस्सा निकाला और कहा कि इनका अंत आ गया है.
बता दें कि 23 साल की लेबर एक्टिविस्ट नवदीप कौर (Nodeep Kaur) पर तीन मामले चल रहे हैं जिनमें हत्या का प्रयास और जबरन वसूली के प्रयास के आरोप शामिल हैं. वह मजदूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं और पंजाब के मुक्तसर जिले के गियादढ़ गांव की निवासी हैं. हरियाणा पुलिस ने 12 जनवरी को सोनीपत जिले में एक औद्योगिक इकाई को कथित रूप से घेराव करने और कंपनी से पैसे की मांग करने के लिए उन्हें अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था. Nodeep Kaur को एक मामले में जमानत मिल चुकी है, लेकिन दूसरी याचिका खारिज हो जाने के चलते वो अभी जेल में ही हैं.
Mumbai: शिवसेना ने पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के आसमान छूते दामों को लेकर को लेकर मोदी सरकार (Modi Govt.) पर हमला बोला है. महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने के बजाय सरकार को देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतें कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके.
शिवसेना ने ईंधन के बढ़ते दामों पर बॉलीवुड कलाकारों की चुप्पी पर सवाल उठाया. शिवसेना ने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा कि पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) के दामों में कमी से यह सुनिश्चित होगा कि भगवान राम के भक्तों को खाना मिले. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम देखने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया है. मंदिर निर्माण के लिये चंदा इकट्ठा करने का अभियान चल रहा है.
ईंधन के दाम कम होने से राम भक्त भी खुश होंगे
शिवसेना ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की कीमत को नियंत्रित करना सरकार की जिम्मेदारी है. राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने के बजाय पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) के दाम नीचे लाइए. ताकि राम भक्तों को इससे खाना मिलेगा और भगवान राम भी इससे खुश होंगे. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने सवाल उठाए कि क्यों जब-तब प्रदर्शन करने वाली बीजेपी (BJP) अब ईंधन के बढ़े दामों को लेकर खामोश है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) लगता है ईंधन के मौजूदा बढ़े दामों के लिये पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने कहा था कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत ने अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात किया था जबकि गैस जरूरतों का 53 प्रतिशत हिस्सा आयातित था. शिवसेना ने कहा कि पिछली सरकारों ने इंडियन ऑयल(Indian Oil), ओएनजीसी (ONGC) और भारत पेट्रोलियम (Bharat Petroleum) जैसे सार्वजनिक उपक्रम स्थापित किये लेकिन मोदी उन्हें बेच रहे हैं और अब ईंधन के बढ़े दामों के लिये पिछली सरकारों पर दोष मढ़ रहे हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को कहा था कि पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) के दामों को तार्किक स्तर तक नीचे लाने के लिये केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा.‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया कि यूपीए सरकार (UPA Government) के दौरान पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) के बढ़े दामों पर अक्षय कुमार और अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेताओं ने अपनी राय व्यक्त की थी. लेकिन पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचने के बावजूद अब ये सितारे खामोश हैं. ये हस्तियां चुप्पी साधे हुए हैं क्योंकि उनसे ऐसे ही रहने को कहा गया है.
शिवसेना ने दावा किया कि इसका यह भी मतलब है 2014 से पहले अपनी राय व्यक्त करने, आलोचना करने की स्वतंत्रता थी. अगर कोई सरकार की नीतियों की आलोचना करता था तो उसे राजद्रोह से संबंधित धाराओं के तहत जेल में नहीं डाला जाता था. आज हमने पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के दामों में बढ़ोतरी पर नाराजगी जताने की आजादी तक खो दी है. इसलिये अक्षय कुमार और अमिताभ बच्चन को क्यों अनावश्यक रूप से दोष देना?
कांग्रेस ने महाराष्ट्र में हाल में अभिनेताओं पर निशाना साधते हुए पूछा था कि वे ईंधन की बढ़ी कीमतों को लेकर क्यों चुप हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने महाराष्ट्र में उनकी फिल्मों का प्रदर्शन बाधित करने की धमकी दी थी.
Mumbai: महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों (New corona cases In Maharashtra) के बीच रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से कोरोना के कायदों को सख्ती से पालन करने के अपील के बाद अब प्रशासन की ओर से कड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है. राज्य के अलग-अलग जिलों में प्रशासन ने प्रतिबंध भी लाए हैं ताकि मामलों पर काबू पाया जा सके. मुंबई, पालघर और जलगांव में शादी के कार्यक्रम में कोरोना (Corona) के नियमों का पालन नहीं किये जाने के बाद प्रशासन की ओर से कार्रवाई की गई. इसके तहत कहीं मैरिज हॉल को सील किया गया तो कहीं हॉल के मालिक के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई. राज्य में कोविड-19 (Corona) के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग पाबंदियाँ लगाई गई हैं.
अमरावती में सोमवार रात से 28 फरवरी तक एक हफ्ते के लॉकडाउन (Lockdown) का ऐलान किया गया है. अकोला जिले में शहर, मूर्तिजापुर और अकोट में 23 फरवरी से 1 मार्च तक लॉकडाउन होगा, जिले के दूसरे इलाकों में दुकान 9 से 5 खुली रह सकती हैं. होटल में केवल पार्सल सुविधा रहेगी. स्कूल, कॉलेज, सिनेमा यहां बंद रहेंगे. पुणे में स्कूल कॉलेज 28 फरवरी तक बंद करने का फैसला किा गया है. होटल-रेस्टोरेंट रात 11 बजे तक खुले रह सकते हैं. रात 11 से सुबह 6 बजे तक बेवजह घूमने पर कार्रवाई की जाएगी. नासिक में सोमवार रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक नाईट कर्फ्यू का ऐलान किया गया है. मास्क नहीं पहनने पर 1000 रुपये का जुर्माना होगा. नागपुर में 7 मार्च तक स्कूल कॉलेज बंद किए गए है. मुख्य बाजारों को शनिवार-रविवार को बंद किया जाएगा. सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक कार्यक्रमों पर 7 मार्च तक पाबंदी रहेगी.
राज्य के कैबिनेट मंत्री नितिन राउत ने कहा, ‘कल मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम सभी बढ़ते मामलों के लिए ज़िम्मेदार हैं. आजकल लोग बिना मास्क (Mask) घूम रहे हैं, भीड़ कर रहे हैं, जिसे देखते हुए हमने नागपुर के लिए अब कड़े निर्णय लिए हैं.’ राज्य में जहां कोरोना (Corona) के मामलों में बढ़ोतरी हुई है
वहीं स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अधिकांश मामले असिमटोमैटिक (जिसमें लक्षण नजर नहीं आते) हैं. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, राज्य में सबसे ज़्यादा मामले विदर्भ के अमरावती जिले में मिल रहे हैं. एक अन्य कैबिनेट मंत्री असलम शेख ने कहा कि नियमों का पालन नहीं होने के वजह से कोरोना (Corona) के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. फिलहाल हालात काबू में हैं, राज्य सरकार ने इससे पहले 3 लाख से ज़्यादा एक्टिव मामलों को भी संभाला है. जहां से मामले बढ़ रहे हैं, वहाँ से सैंपल जाँच के लिए NIV भेजे है, जिनकी रिपोर्ट अगले 5 से 8 दिनों में आएगी.
Toolkit Case: टूल किट मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने आरोपी Disha Ravi को एक और दिन की पुलिस कस्टडी (Police Custody) में भेजने का आदेश दिया है. दिल्ली पुलिस ने 5 दिन की पुलिस कस्टडी मांगी थी. पुलिस कस्टडी के दौरान आरोपी दिशा रवि के साथ आरोपी शांतनु (Shantanu Muluk) और आरोपी निकिता जैकब (Nikita Jacob) को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ होगी.
टूल किट मामले (Toolkit Case) में आरोपी दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट में सोमवार को पेश किया गया था. दिशा रवि का 3 दिन का न्यायिक हिरासत आज खत्म हो रही थी. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special cell) ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में शांतनु और निकिता जैकब दो आरोपी हैं. शांतनु को वहां की कोर्ट ने 10 दिन का ट्रांजिट बेल दिया है. वहीं निकिता जैकब को हाईकोर्ट से ट्रांजिट बेल मिला हुआ है. दिशा रवि ने उसके ऊपर लगाए गए सारे आरोप शांतनु और निकिता पर डाल दिए हैं. लिहाजा दिल्ली पुलिस के सामने सभी आरोपियों को आमने-सामने बैठा कर पूछताछ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
निकिता को पहले भी जांच अधिकारी ने नोटिस दिया था, लेकिन जांच में वह शामिल नहीं हुई और हाईकोर्ट चली गई. पुलिस ने कहा कि टूलकिट (Toolkit) पर कई हाइपर लिंक दिए गए जो किसी दूसरे पेज पर ले जा रहे हैं. 11 जनवरी को यह पूरी कहानी शुरू होती है. एमओ धालीवाल जो पोएटिक जस्टिस (Poetic Justice Foundation) का संस्थापक है, वह खालिस्तान का समर्थक है. टूलकिट (Toolkit) पर जो हाइपर लिंक है वो सभी भारत के खिलाफ बड़ी साजिश को दर्शाते हैं. इससे ज्यादा पब्लिक डोमेन में हम ज्यादा नही बोलेंगे.
दिल्ली पुलिस ने कहा 21 से 27 जनवरी तक शांतनु दिल्ली में मौजूद था. वहीं Disha Ravi के वकील ने दिल्ली पुलिस के 5 दिन के रिमांड का विरोध किया. वकील ने कहा कि 13 फरवरी को गिरफ्तार की गई है. 5 दिन पीसी (Police Custody) के बाद फिर दिन की पीसी मांग रहे है. इसी बीच मे 3 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दिशा रवि के वकील के मुताबिक, पहले निकिता और शांतुनु दिल्ली पुलिस के पास नही थे, लेकिन अब ऐसा नया क्या है कि जो आज न्यायिक हिरासत का नियम बदलकर फिर पुलिस कस्टडी मांग रहे है.
बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि इन दोनों के साथ पुलिस न्यायिक हिरासत में भी पूछताछ क्यों नही कर सकती है. पुलिस के पास यह अधिकार है लेकिन कल मेरे जमानत पर फैसला आने वाला है. Disha Ravi के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपने रिमांड पेपर में कहा है निकिता और शांतनु के साथ दिशा रवि के साथ बिठाकर पूछताछ करवाना बेहद जरूरी है. क्या दिल्ली पुलिस को इंतजार था कि जब निकिता और शांतनु जांच के लिए आएंगे तो फिर कोर्ट से दिशा रवि की पुलिस कस्टडी ले लेंगे। इसका मतलब आपको पहले से यह पता था कि आपको पुलिस कस्टडी मिल जाएगी.
Disha Ravi के वकील ने सवाल उठाया कि जब 5 दिन वह पुलिस की कस्टडी में थी तब इन्होंने क्या किया. मुझे एक बार भी बैगलोर लेकर नही गए. जहाँ दिल्ली पुलिस यह कह रही है कि क्राइम हुआ है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि पुलिस कस्टडी को सजा की तरह ही अपराधी क्यों लेता है. हो सकता है इस पुलिस कस्टडी में दिशा रवि (Disha Ravi) का ही कुछ फायदा हो जाए, पता नही लोग पुलिस कस्टडी का विरोध क्यों करते है।दिल्ली पुलिस के अनुसार, दिशा रवि ही केवल इस केस की हिस्सा नही है इनके साथ उन तमाम लोगों तक पहुचना है. जिन लोगों ने भारत के खिलाफ साजिश रचने की कोशिश की.
Lucknow: कृषि कानून बिल (Farm Laws) के विरोध को लेकर उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के किसान गुस्से में आ गए हैं. आज फिर एक किसान ने चार बीघा अपनी गेहूं की खड़ी फसल को नष्ट कर दिया है. इस किसान का कहना है कि कल कुलचाने गांव के किसान सोहित ने अपनी गेहूं की खड़ी फसल को नष्ट कर दिया था, उसी वक्त मैंने भी अपनी फसल नष्ट करने का एलान कर दिया था. किसान बहुत गुस्से में है और आगे अपनी खड़ी फसल में आग लगाने की बात भी कर रहा है. किसान ने 4 बीघा जमीन में लहलहाती फसल को ट्रैक्टर के ज़रिए नष्ट करके वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की है.
किसानों ने कृषि बिल (Farm Laws) का विरोध करने का नया तरीका ईजाद किया है, वे अपनी खड़ी फसल ट्रेक्टर चलाकर नष्ट करने लगे हैं. रविवार को भी जिले के चाँदपुर थाने के गाँव कुलचाना में एक किसान सोहित अहलावत ने अपनी 5 बीघा गेहूं की लहलहाती फसल को ट्रैक्टर के ज़रिए बर्बाद कर दिया था. सोहित ने बताया कि कृषि कानून बिल (Farm Laws) के विरोध में गेहूं की फसल को पूरी तरह से चौपट कर दिया है. इसी तरह आज बिजनौर जिले के नगीना तहसील के गांव तेलीपुरा के रहने वाले किसान टोनी ने अपनी खड़ी लहलहाती गेहूं की फसल के ऊपर ट्रेक्टर चलाकर नष्ट कर दिया है. टोनी कहते हैं, ‘जब तक मोदी सरकार (Modi Govt.) कृषि बिल (Farm Laws) को वापस नही लेती, तब तक इसी तरह से विरोध करते रहेंगे.’ किसान का ये भी कहना है कि अभी तो खड़ी फसल नष्ट कर रहे हैं, यदि जरूरत पड़ी तो एक साल की पूरी फसलों को आग के हवाले भी किया जाएगा.
इस बीच जिले के किसानों के द्वारा गेहूं फसल को जोतने के मामले को लेकर भाकियू युवा के प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर सिंह ने अपील की है कि कोई भी किसान खड़ी फसल को नष्ट न करे. दिगम्बर ने किसान कुलचाना के सोहित अहलावत, तेलीपुरा के किसान टोनी और मुजफ्फरनगर के भैसी गांव के किसान द्वारा गेहूं की फसल नष्ट करने वाले किसानों के प्रति दु:ख भी जताया है. दिगम्बर ने कहा, ‘राकेश टिकैत आदेश करो. टिकैत के आह्वान पर किसान अपनी खड़ी फसलो में आग भी लगा देंगे.’