रूस की Sputnik V (स्पूतनिक 5) वैक्सीन (Corona Vaccine) को Symptomatic (लक्षण वाले) कोविड-19 के खिलाफ 91.6 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है. लेंसेट में मंगलवार को प्रकाशित रिजल्ट के अनुसार स्वतंत्र विशेषज्ञों ने इस टीके (Sputnik V) को भरोसेमंद बताया है. गौरतलब है कि रूस ने दुनिया में सबसे पहले 11 अगस्त को ही कोरोना का टीका स्पूतनिक 5 (Sputnik V) तैयार कर लेने का ऐलान किया था. रूस ने इस वैक्सीन (Corona Vaccine) का नाम स्पूतनिक-5 रखा था कि जो उसके एक उपग्रह का भी नाम है. दावा किया गया था कि इस टीके से Covid-19 के खिलाफ स्थाय़ी इम्यूनिटी विकसित की जा सकती है.
इस वैक्सीन (Sputnik V) को रूस में अंतिम चरण के ट्रायल्स के परिणाम आने के पहले ही मंजूरी दे दी थी, इस कदम के कारण उसे विशेषज्ञों की आलोचना का सामना करना पड़ा है. अब 20 हजार लोगों पर किए गए इस वैक्सीन के फेज-3 के ट्रायल के विश्लेषण के अनुसार, टीके के दो डोज सिम्पटमेटिक कोविड-19 के खिलाफ 90 फीसदी से अधिक असरकारी पाए गए हैं.
यह परिणाम Sputnik V को फाइजर/बायोनटेक और माडर्ना के टीकों के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाले उन टीकों में शामिल करते हैं, जिन्होंने 90 फीसदी से अधिक प्रभावशीलता दिखाई है.
लेसेंट के अनुसार, स्पूतनिक V वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया की अनजाने में, जल्दबाजी में और पारदर्शिता के अभाव में आलोचना की गई थी. लेकिन यहां जो इसके परिणाम आए हैं, वे स्पष्ट हैं, इसके मायने हैं कि कोविड-19 के खिलाफ ‘जंग’ के लिए एक और वैक्सीन (Sputnik V) का विकल्प दुनिया के सामने है.
भारत में भी रूसी टीके स्पूतनिक वी के परीक्षण हुए थे. गौरतलब है कि रूस के कोरोना वायरस (Corona Virus) वैक्सीन (Sputnik V) का भारत में तीसरे चरण का ट्रायल रेड्डी लैबोरेटरी (Reddy’s Lab) कर रही है. रसियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) और रेड्डीज लैबोरेट्रीज (DRL) के बीच इसका समझौता हुआ था.
New Delhi: गृह मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) स्थल सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि मंगलवार रात तक के लिए बढ़ा दी है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. इन तीन बॉर्डर पर किसान केंद्र के नए तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ नंवबर से प्रदर्शन कर रहे हैं. इन स्थानों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में भी इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी. यह व्यवस्था 31 जनवरी को रात 11 बजे से आरंभ हुई और दो फरवरी को रात 11 बजे तक जारी रहेगी.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि टेलीकॉम सेवाओं के अस्थायी निलंबन (जन आपातकाल या जन सुरक्षा) नियम 2017 के तहत यह फैसला ‘‘सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने तथा जन आपातकाल से बचने” की खातिर लिया गया है. पहले, इन तीन सीमाओं तथा आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को 29 जनवरी रात 11 बजे से लेकर 31 जनवरी रात 11 बजे तक के लिए निलंबित किया गया था.
इससे पहले, किसानों की ट्रैक्टर परेड (tractor Rally) के दौरान हिंसा के मद्देनजर दिल्ली के कुछ इलाकों में 26 जनवरी को इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी तौर पर निलंबित किया गया था.
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने रविवार को 14 जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद करने की अवधि बढ़ाकर एक फरवरी शाम पांच बजे तक कर दी थी ताकि तीनों कृषि कानूनों (farm Laws) के विरोध में किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को देखते हुए ‘किसी भी तरह से शांति एवं कानून-व्यवस्था बाधित” न हो सके.
सरकार ने यहां एक बयान जारी कर अंबाला, कुरूक्षेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत, हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी, सिरसा, फतेहाबाद, चरखी दादरी, सोनीपत और झज्जर जिलों में एक फरवरी शाम पांच बजे तक मोबाइल इंटरनेट बंद रखने के निर्देश दिए.
New Delhi: Budget 2021: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की ओर से पेश किए गए Budget 2021 में डीजल और पेट्रोल (Petrol-Diesel) पर कृषि सेस लगाने का फैसला किया है. पेट्रोल पर ढाई रुपये प्रति लीटर और डीजल पर चार रुपये प्रति लीटर कृषि सेस लगाने का निर्णय लिया गया है. हालांकि इस सेस का उपभोक्ताओं को अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कृषि सेस (Imposition of Agriculture Infrastructure and Development Cess) को बढ़ाने के साथ ही बेसिक एक्साइज ड्यूटी और एडीशन एक्साइज ड्यूटी के रेट को कम कर दिया गया है. इसके कारण उपभोक्ता पर समग्र रूप से कृषि सेस का कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा.
इसके साथ ही अनब्रांडेड पेट्रोल (1.4 रुपये प्रति लीटर) और डीजल (1.8 रुपये प्रति लीटर) बेसिक एक्साइज ड्यूटी को आकर्षित करेगा. स्पेशल एडीशनल एक्साइज ड्यूटी (SAED) के रेट पेट्रोल (Petrol) के लिए 11 रुपये प्रति लीटर और डीजल (Diesel) के लिए आठ रुपये प्रति लीटर है. वित्त मंत्री ने बताया कि यह रेट ब्रांडेड पेट्रोल पर भी लागू हैं.
UP: ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में शनिवार को 12 साल की एक किशोरी के साथ एक व्यक्ति ने कथित तौर पर बलात्कार (Rape) किया. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस के अनुसार यह घटना तब हुई जब लड़की को उसकी मामी आरोपी के पास ले गई थी. पुलिस उपायुक्त (महिला एवं बाल सुरक्षा) वृंदा शुक्ला ने कहा कि महिला और पुरुष दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और उनको गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
वृंदा शुक्ला ने बताया, “लड़की अपने ननिहाल गई हुई थी. उसकी मामी उसे गलत इरादे से एक स्थान पर ले गई और लड़की को उस व्यक्ति को सौंप दिया जो उसका परिचित था. इसके बाद वह मौके से भाग गई.”
उन्होंने बताया, ‘‘उस व्यक्ति ने लड़की के साथ मारपीट की और उससे बलात्कार (Rape) किया. बाद में, उसने नाबालिग को किसी से घटना के बारे में जिक्र करने पर मारने की धमकी दी.” शुक्ला ने बताया कि इस मामले में दनकौर पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है.
New Delhi: कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान आंदोलन (Farmers Protest) के 67वें दिन भी दिल्ली और यूपी के सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर किसानों का हुजूम लगातार बढ़ता जा रहा है. हालांकि इलाके में सुरक्षा व्यवस्था 2-3 दिन में बेहद कड़ी की गई है. गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद आंदोलन की आंच औऱ तेज हुई है. रोजाना सैकड़ों लोग खासकर युवा सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर (Singhu, Ghazipur, and Tikri border) की ओर बढ़ रहे हैं. आंदोलनकारियों के बीच किसान एकता जिंदाबाद और जय जवान-जय किसान के नारे लगा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले से आए दो लोगों का कहना है कि वे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के रोने का वीडियो देखने के बाद किसान आंदोलन (Farmers Protest) के प्रदर्शनस्थल पर वापस लौटे हैं. टिकैत इस वीडियो में रोते हुए धरनास्थल से हटने से इनकार कर रहे हैं. गाजियाबाद प्रशासन ने उन्हें वहां से हटने को कहा था.
वहीं दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में इंटरनेट सेवा (Internet services) रोक दी गई है. सुरक्षा कारणों को देखते हुए ऐसा किया गया है. हरियाणा सरकार ने भी 17 जिलों में इंटरनेट सेवा 31 जनवरी शाम पांच बजे तक बंद कर दी है.
वहीं विपक्षी दलों द्वारा बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक के जरिये विरोधी नेताओं से संवाद किया.
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार अभी भी किसानों से बातचीत को तैयार है. सरकार की ओर से किसानों को 18 माह तक कृषि कानूनों (Farm Laws) को स्थगित कर चर्चा करने का प्रस्ताव भी अभी तक बरकरार है.
Bagpat: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बागपत (Bagpat) के बड़ौत (Baraut) तहसील में चल रही खाप पंचायत और किसानों के धरना (Farmers Protest) को यूपी पुलिस ने जबरन खत्म करा दिया है. तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसान वहां महापंचायत कर रहे थे. किसानों का यह धरना (Farmers Protest) दिल्ली-यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर महीने भर से चल रहा था. लेकिन बीती रात पुलिस आई और वहां, लाठियां बरसाने लगी. इसके बाद वहां लगे टेंट और तम्बू उखाड़ कर ले गई. इसके खिलाफ खाप में बहुत गुस्सा है.
पुलिस कार्रवाई के विरोध में बड़ौत में काफी संख्या में आसपास के गांव वाले आज मौजूद हैं. राठी खाप, धनकड़ खाप, धामा खाप, तोमर खाप ऐसी तमाम खाप के मुखिया यहां जुटे हैं और महापंचायत कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार को कृषि कानून (Farm Laws) वापस लेने होंगे. ये लोग किसानों पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं. आज सुबह से ही किसान पंचायत स्थल पर बड़ौत में जमा होने लगे थे.
मुजफ्फरनगर में महापंचायत के बाद अब किसान बड़ौत में एकजुट हैं. किसानों का हुजूम यहां से ये भी संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर जारी धरने को और मजबूती कैसे दी जाए? बड़ौत में खाप महापंचायत को देखते हुए प्रशासन ने वहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की है. इस बीच पुलिस के अधिकारी किसान नेताओं को समझाने की भी कोशिश कर रहे हैं. किसानों ने अब इसे सम्मान की लड़ाई बना लिया है.
Paush Purnima 2021 Date: पंचांग के अनुसार 28 जनवरी 2021 को पौष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (Purnima) तिथि है. पूर्णिमा की इस तिथि को पौष पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक दृष्टि से इस पूर्णिमा (Purnima) को विशेष फलदायी माना गया है. पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. इसके साथ ही दान और पूजा को श्रेष्ठ फलदायी माना गया है. खगोलशास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रमा पूर्ण आकार में दिखाई देता है.
पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) पर विशेष योग का भी निर्माण हो रहा है. इस दिन गुरुवार को ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान और दान का कार्य आरंभ कर सकते हैं. पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा पर गुरु पुण्य का योग बन रहा है. इसके साथ ही प्रीति योग, शुभ योग और स्वार्थसिद्धि अमृत योग भी बन रहा है.
शुक्र का राशि परिवर्तन
28 जनवरी को शुक्र का राशि परिवर्तन भी हो रहा है. शुक्र ग्रह इस दिन प्रात: 03 बजकर 18 मिनट पर धनु राशि से निकल कर मकर राशि में आ जाएंगे. जहां पर गुरु, शनि और सूर्य ग्रह के साथ युति बनाएंगे.
28 जनवरी 2021: पूर्णिमा तिथि 01 बजकर 18 मिनट से आरंभ.
29 जनवरी 2021: रात्रि 12 बजकर 47 मिनट पर पूर्णिमा तिथि का समापन.
इन बातों का ध्यान रखें
पौष पूर्णिमा (Purnima) के व्रत और पूजा के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दिन विधि पूर्वक पूजा आदि करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन की पूजा से चंद्रमा की अशुभता दूर होती है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. पूर्णिमा के दिन सफेद रंग की चीजों का दान करना चाहिए. पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) के व्रत में सत्यनारायण की कथा कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है. इस दिन पीपल की पूजा से मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) का आर्शीवाद मिलता है.
Health: भारतीय खानपान में अचार (Pickle) का विशेष महत्व है। घर में बनने वालों अचारों के साथ ही बाजार में बिक रहे अचारों का भी टेस्ट बेहद लजीज होता है। आम, नींबू, मिर्च, लहसुन के अलावा कुछ सब्जियों के भी अचार (Pickle) बनाए जाते हैं। अचार की खुशबू और स्वाद लंबे समय तक जीभ पर बनी रहती है। हालांकि कई बार आपको अचार खाते हुए मां या कोई बड़ा ये कह देता है ज्यादा अचार खाना ठीक नहीं या रोज-रोज अचार खाने से नुकसान होता है। आइये जानते हैं अचार हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर डालता है और यह सेहत के लिए कितना नुकसानदेह है।
अचार में काफी मात्रा में सोडियम होता है जो हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए अच्छा नहीं है। बाजार में मिलने वाले अचार में तेल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और उसमें प्रयोग किए जाने वाले मसाले भी अक्सर पके हुए नहीं होते, जिसके कारण कोलेस्ट्रॉल और अन्य समस्याएं हो सकती है। अचार बनाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए जिन प्रिजेरवेटिव्स का प्रयोग होता है, वे शरीर के लिए हानिकरक होते हैं और एसिडिटी या शरीर में सूजन आदि के लिए जिम्मेदार होते हैं। अचार में बहुत ज्यादा तेल, नमक और सिरके का इस्तेमाल होता है. यह सेहत के लिए नुकसानदेय साबित हो सकता है।
जहां एक तरफ अचार (Pickle) खाने के नुकसान हैं तो वहीं दूसरी तरफ अचार खाने के फायदे भी हैं.
अचार पाचन को आसान करता है लेकिन यह अच्छा तभी साबित होगा जब यह घर पर बना हुआ हो। अचार में विटामिन और मिनरल होते हैं। इसकी वजह अचार के डिब्बों को धूप में रखा जाना है। अचार में प्रयोग किए गए सिरके में उच्च मात्रा में एसिटिक एसिड होता है जो हीमोग्लोबिन लेवल को बढ़ाता है, डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायक है। लगातार अचार खाने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। यही नहीं अचार में विटामिन K भरपूर होता है। जो ब्लड क्लॉटिंग में मददगार है। यह चोट लगने पर उस घाव को भरने और खून के बहाव को रोकने में मददगार है।
New Delhi: राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान हुई हिंसा के एक दिन बाद, केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन (Farmers Protest) से दो किसान संगठन बुधवार को अलग हो गए. भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान जो कुछ भी हुआ उससे वह काफी दुखी हैं और उनकी यूनियन ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया है.
भाकियू (भानु) से जुड़े किसान नोएडा-दिल्ली मार्ग की चिल्ला सीमा पर प्रदर्शन कर रहे थे. ‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी’ के वी एम सिंह ने कहा कि उनका संगठन मौजूदा आंदोलन से अलग हो रहा है क्योंकि वे ऐसे विरोध प्रदर्शन में आगे नहीं बढ़ सकते जिसमें कुछ की दिशा अलग है.
किसानों की मांगों को रेखांकित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर मंगलवार को निकाली गयी ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान हिंसा के कारण अराजक दृश्य पैदा हो गए. बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिला पहुंच गए और उसकी प्राचीर पर उस स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है. ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली का आईटीओ (ITO) एक संघर्ष क्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी वाहनों को क्षतिग्रस्त करते हुए नजर आए.
New Delhi: दिल्ली में 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में जिस लक्खा सिधाना (Lakha Sidhana) का नाम आ रहा है, वह पंजाब का रहने वाला है। सिधाना कभी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम हुआ करता था। बाद में वह राजनीति में आया और फिर समाजसेवा के कामों में लग गया। पंजाब के बठिंडा का रहने वाला लक्खा (Lakha Sidhana) कबड्डी का खिलाड़ी भी रह चुका है। खेल से अपराध और फिर राजनीति में आने वाले लक्खा ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। अब दिल्ली हिंसा में भी सिधाना का नाम आ रहा है।
लक्खा सिधाना (Lakha Sidhana) का असली नाम लखबीर सिंह है। पंजाब के बठिंडा का रहने वाला लक्खा सिधाना डबल एमए है और कभी कबड्डी का भी एक अच्छा खिलाड़ी हुआ करता था। लक्खा पर हत्या, हत्या के प्रयास और मारपीट के कई आरोप लगे हैं।
पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने पहले अपनी पार्टी पंजाब पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) बनाई थी। इसी पार्टी की तरफ से सिधाना ने रामपुरा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि इसमें उसकी जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनाव के दौरान उस पर गांव भगता भाई में फायरिंग भी हुई थी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना के बाद सिधाना ने तत्कालीन अकाली मंत्री सिकंदर सिंह मलूका पर गंभीर आरोप लगाए थे।
सिधाना (Lakha Sidhana) पिछले कुछ साल से पंजाबी सत्कार कमेटी के साथ जुड़कर पंजाबी भाषा को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था। इसके अलावा उक्त गैंगस्टर पंजाब के यूथ को बड़े स्तर पर अपने साथ जोड़ रहा था।
कुछ समय पहले लक्खा (Lakha Sidhana) ने नेशनल हाईवे के साइन बोर्ड पर पंजाबी भाषा को तीसरे नंबर पर होने की वजह से उस पर कालिख पोत दी थी। सिधाना के पास दो महंगी लग्जरी गाड़ियां हैं। 25 जनवरी को सिधाना ने सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) में स्टेज पर चढ़कर युवाओं को कहा था कि जैसे युवा चाहते है, वैसी ही परेड होगी।
Deep Sidhu: गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की ओर से निकाली गई ट्रैक्टर रैली ने मंगलवार को अचानक झड़प का रूप ले लिया था. इसमें 86 पुलिसकर्मी घायल हुए. करीब दो महीने से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन के अचानक यूं बेकाबू होने की वजह खोजी गई तो कुछ किसान नेताओं ने दीप सिद्धू (Deep Sidhu) का नाम लिया. किसान नेताओं ने कहा कि दीप सिद्धू ने किसानों को भड़काया. अभिनेत्री गुल पनाग (Gul Panag) ने भी ट्वीट करके दीप सिद्धू पर आरोप लगाए. सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू की पीएम मोदी (PM Modi) और अभिनेता से नेता बने सनी देओल (Sunny Deol) के साथ तस्वीरें भी जमकर शेयर हुईं.
सामग्री की तालिका
सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू की पीएम मोदी (PM Modi) और अभिनेता से नेता बने सनी देओल (Sunny Deol) के साथ तस्वीरें भी जमकर शेयर हुईं.
जानें Deep Sidhu कौन हैं और वे इस आंदोलन से कैसे जुड़ गए.
दीप सिद्धू (Deep Sidhu) का जन्म पंजाब के मुक्तसर में हुआ है. वह मॉडल और अभिनेता है. किंगफिशर मॉडल हंट समेत उन्होंने मॉडलिंग की कई प्रतियोगिताएं जीती हैं. एक्टिंग की दुनिया में उन्होंने फिल्म ‘रमता जोगी’ से कदम रखा. इस फिल्म को मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र के बैनर विजेता फिल्म्स में बनाया गया था. इसके साथ ही वह लीगल एडवाइजर भी हैं.
उन्होंने राजनीति में 2019 से कदम रखा और गुरदासपुर से बीजेपी के नेता सनी देओल के लिए प्रचार किया था. जब किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) शुरू हुआ और सिद्धू इस आंदोलन में हिस्सा लेते दिखाई दिए तो कई किसान संगठनों के नेताओं ने उन पर बीजेपी (BJP) का एजेंट होने का आरोप भी लगाया, जिसे सिद्धू ने सिरे से नकार दिया.
जैसे ही किसान आंदोलन (Farmers Protest) शुरू हुआ Deep Sidhu सक्रिय हो गए. रास्तों को टोल फ्री करवाने और गांव-गांव जाकर किसानों को आंदोलन के लिए तैयार करने में सिद्धू (Deep Sidhu) ने भी अहम भूमिका निभाई. कई बार उन्होंने कई ऐसे अलगाववादी बयान दिए थे, जिसे किसान संगठन बिल्कुल पसंद नहीं करते थे.
वह किसान संगठन के नेताओं के खिलाफ भी बोलते थे कई बार तो आंदोलन के दौरान किसान नेताओं ने उन्हें स्टेज पर भी नहीं चढ़ने दिया. इस सबके बावजूद युवा किसानों में इनकी लोकप्रियता काफी अधिक है. किसानों से जुड़े रहने के लिए वह खुद जमीन पर तो सक्रिय रहते ही हैं, साथ ही डिजिटल का भी पूरा सहयोग लेते हैं. वह अक्सर फेसबुक लाइव के जरिए भी किसानों को संबोधित करते हैं.
किसान संगठनों की पुलिस से बातचीत चल रही थी और वह तय रूट से ही ट्रैक्टर परेड (Tractor Rally) निकालने वाले थे, लेकिन आरोप लगाया गया है कि एक रात पहले ही दीप सिद्धू (Deep Sidhu) और गैंगस्टर से नेता बने लक्खा सिधाना (Lakha Sidhana) कुछ किसानों से मिले और उन्हें भड़काया कि किसान संगठन सरकार से बातचीत कर रहे हैं, देखो कुछ नहीं निकला, दो महीने हो गए हैं. ये सरकार की बात मान लेते हैं. बातचीत से कुछ नहीं निकलने वाला, हम दिल्ली में घुसेंगे और लालकिले पर जाएंगे.
जब किसान बेरिकेट्स तोड़कर दिल्ली में घुसे ये भी मौजूद थे. लालकिले की प्राचीर से जब तिरंगे के बगल में ‘निशान साहिब’ का झंडा लगाया गया, तब सिद्धू (Deep Sidhu) उसी समूह में शामिल थे. पताका के साथ फेसबुक लाइव भी किया. उन्होंने फेसबुक लाइव में ये भी कहा कि हमने विरोध जताने के लिए अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए सांकेतिक तौर पर निशान साहिब का झंडा फहराया है.
किसान संगठनों ने दीप सिद्धू को ठहराया जिम्मेदार
किसान संगठनों ने दीप सिद्धू (Deep Sidhu) को हिंसा और झड़प के लिए जिम्मेदार ठहाराया है. उनका कहना है कि दीप ने किसानों के कुछ समूहों को भड़काया और किसान आंदोलन (Farmers Protest) को धार्मिक आंदोलन बना दिया है. बता दें कि दिल्ली में हुई झड़प में 83 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और 22 केस दर्ज हुए हैं साथ ही सरकारी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा है.
किसान मजदूर संघर्ष समिति के सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि हमने पहले ही ऐलान किया था कि हम आउटर रिंग रोड पर जाएंगे . संयुक्त किसान मोर्चे ने भी पहले यही ऐलान किया था . बाद में संयुक्त किसान मोर्चा पीछे हटा .हमने पुलिस के रोकने के बाद बैरीकेड तोड़े . हम तो पुलिस से कह रहे थे कि हम शांतिपूर्ण तरीक़े से आउटर रिंग रोड जाएंगे . लाल क़िले पर जाने के हम ज़िम्मेदार नहीं . लाल क़िले पर दीप सिद्धू (Deep Sidhu) गया . लाल किले पर जो हुआ उसका ज़िम्मेदार दीप सिद्धू है.
दीप सिद्धू (Deep Sidhu) को पुलिस ने क्यों नहीं रोका लाल किले पर . दीप सिद्धू सरकार का आदमी है . हम आउटर रिंग रोड से वापस आ गए थे . पुलिस का जांच में सहयोग करेंगे .मैं संयुक्त किसान मोर्चे से बात भी करूंगा . लाल किले पर जो हुआ उसका ज़िम्मेदार मैं नहीं हूं
New Delhi: गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर किसानों की ओर से निकाली गई ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) समेत छह किसान नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. नांगलोई थाने में जो FIR दर्ज है उसमें न सिर्फ डकैती की धारा लगाई गई है बल्कि उन 40 किसान नेताओं के नाम भी FIR में शामिल हैं जो सरकार के साथ वार्ता के लिए विज्ञान भवन जाते थे. इसी FIR में योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) का भी नाम है.
जानकारी के अनुसार, पुलिस (Delhi Police) ने 50 से ज्यादा लोगों को इस मामले में गिरफ्तार भी कर लिया है. नांगलोई पुलिस ने FIR में डकैती की धारा इसलिए जोड़ी है क्योंकि कुछ उपद्रवी नांगलोई में पुलिस से आंसू गैस के करीब 150 गोले भी छीन ले गए थे. इसके अलावा भी अलग अलग FIR में कई किसान नेताओं के नाम हैं.
गौरतलब है कि किसान संगठनों की ओर से गणतंत्र दिवस पर निकाली गई ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान लाल किला, नांगलोई सहित कई इलाकों में किसानों और पुलिस के बीच जोरदार झड़प हुई थी. किसानों ने बसों और पुलिस वाहन में तोड़फोड़ की. सरकारी वाहनों में भी उन्होंने तोड़फोड़ की, लाठियां चलाईं और पुलिस बल पर पथराव किया. हालात को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज, वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा था. हिंसा में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घायल हुए थे.
Chandigarh: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने नये कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान हुई हिंसा को मंगलवार को अस्वीकार्य बताया और किसानों से राष्ट्रीय राजधानी को खाली करने का आग्रह किया. सिंह ने कहा कि किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन से जो साख बनी थी उसे इस हिंसा से नुकसान होगा.
Shocking scenes in Delhi. The violence by some elements is unacceptable. It'll negate goodwill generated by peacefully protesting farmers. Kisan leaders have disassociated themselves & suspended #TractorRally. I urge all genuine farmers to vacate Delhi & return to borders.
सिंह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘दिल्ली में चौंकाने वाली घटनाएं. कुछ तत्वों द्वारा की जा रही हिंसा अस्वीकार्य है. किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से जो साख बनी थी इससे उसे नुकसान पहुंचेगा. किसान नेताओं ने इन घटनाओं से खुद को अलग कर लिया है और ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) को निलंबित कर दिया है. मैं सभी वास्तविक किसानों से दिल्ली खाली करने और सीमाओं पर लौटने का आग्रह करता हूं.”
लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ते व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए. पंजाब के मुख्यमंत्री ने सोमवार को किसानों से यह सुनिश्चित करने की अपील की थी कि ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) शांतिपूर्ण रहे.
तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) को निरस्त करने और अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान कई सप्ताह से दिल्ली के कई सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं. इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं.
New Delhi: किसानों ने ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान दिल्ली में जमकर हंगामा किया. कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारी किसान अपने नेताओं की बात भी नहीं सुन रहे हैं और बेकाबू हो गए हैं. हालांकि, किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का दावा है कि प्रदर्शन पर अब भी किसान नेताओं का नियंत्रण है. उन्होेंने कहा कि गड़बड़ी फैलाने की कोशिश करने वाली की पहचान है. राजनीतिक दलों के लोग हैं, जो आंदोलन (Farmers Protest) को खराब करने की कोशिश में जुटे हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) ने जब राकेश टिकैत से पूछा कि आरोप लग रहे हैं कि प्रदर्शन किसान नेताओं के हाथ से निकल चुका है, तो उन्होंने कहा कि हम सब शांतिपूर्ण तरीके से जा रहे हैं. जो लोग अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, वे चिह्नित हैं. ये राजनीतिक पार्टियों के लोग हैं, जो आंदोलन को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.
Mumbai: दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) का देश के दूसरे हिस्सों में भी असर देखने मिला. मुंबई के आज़ाद मैदान में किसान जहां पिछले 3 दिनों से कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे हैं, तो वहीं बेंगलुरु में भी बाइक और ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) निकाली गई.
बेंगलुरु में भी निकाली गई ट्रैक्टर और बाइक रैली
गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर मुंबई के आज़ाद मैदान में किसानों ने कृषि कानून (Farm Laws) का विरोध किया. पिछले तीन दिनों से हज़ारों की संख्या में महाराष्ट्र के किसान मुंबई में मौजूद हैं. मंगलवार को किसानों ने यहीँ पर झंडा फहराकर अपना आंदोलन (Farmers Protest) खत्म किया. इस मौके पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर नाना पटोले भी मौजूद रहे, जिन्होंने यह ऐलान किया कि कृषि कानून (Farm Laws) को महाराष्ट्र में लागू नहीं किया जाएगा. तो वहीं किसान नेता अजित नवले ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर महाराष्ट्र के किसान दिल्ली जाएंगे.
नाना पटोले ने कहा, ‘कृषि कानूनों को महाराष्ट्र में लागू नहीं किया जाए, इसलिए एक कमीटी बनाई गई है, हम किसानों के साथ हैं.’ वहीं ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी अजित नवले ने कहा, ‘1 फरवरी को संसद के घेराव करने की बात दिल्ली में चल रही है. अगर इसका निर्णय होता है, तो महाराष्ट्र के हज़ारों किसान भी इसमें शामिल होंगे, महाराष्ट्र पीछे नहीं रहेगा.’
उधर खुद को किसान नेता कहने वाले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा किसानों को नाराज़ नही करना चाहते थे. ऐसे में बेंगलुरु में अधिकारियों ने उनकी मदद की. बीच का रास्ता निकाला गया. सीमित संख्या में ट्रैक्टर और बाइक रैली निकालने की इजाज़त दी गई. किसानों के साथ कुछ राजनीतिक पार्टियां और दलित संगठन भी साथ हो लिए. अंग्रेज़ों के ज़माने की जेल जिसे अब फ्रीडम पार्क के नाम से जाना जाता है, वहां रैली ख़त्म हुई.
मुंबई और बेंगलुरु में जहां रैली को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म कर दिया गया, तो वहीं किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन (Farmers Protest) जारी रहेगा, क्योंकि किसानों ने अपनी मांगों को ज़रूर रखा है, लेकिन अबतक उन्हें कहीं भी राहत नहीं मिली है.
Mumbai: किसान महासभा के नेतृत्व में मुंबई के आजाद मैदान (Azad Maidan) में हो रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में किसान नेता अशोक ढवले ने केंद्र सरकार (Modi Government) को जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अडानी (Adani) और अंबानी (Ambani) को फायदा पहुंचाने के लिए यह तीन काले कानून (Farm Laws) लेकर आई है। लेकिन देश का किसान ऐसा होने नहीं देगा। उन्होंने महाराष्ट्र (Maharashtra) और देश के सभी किसानों से यह अपील की है कि वे अंबानी और अडानी की कंपनियों द्वारा बनाए गए सभी उत्पादों का बहिष्कार करें। ताकि उन्हें किसान एकता का पता चल सके। और सरकार यह तीनों किसान विरोधी कानून रद्द करने पर मजबूर हो जाए।
पुलिस (Mumbai police) के साथ मुंबई के मेट्रो सिनेमा (Metro Cinema) के पास एक घंटे से ज्यादा चली नोकझोंक के बाद किसान नेताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) को दिया जाने वाला ज्ञापन महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi Government) नेताओं की मौजूदगी में फाड़ दिया है। किसान नेताओं का कहना है कि वह अब राज्यपाल से मिलने नहीं जाएंगे। सब कुछ जानते हुए भी कोश्यारी गोवा मजा करने चले गए हैं अब सीधे राष्ट्रपति (President) को ज्ञापन दिया जाएगा।
किसान नेता अशोक ढवले इतने गुस्से में थे कि उन्होंने कहा कि कोश्यारी तुम्हारी होशियारी नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने महाराष्ट्र के किसानों का अपमान किया है। जब उन्हें पता था कि महाराष्ट्र के दूर-दराज के इलाकों से किसान पैदल चलकर मुंबई आ रहे हैं और उन्होंने खुद मिलने के लिए समय दिया था। ऐसे में वे गोवा क्यों चले गए।
किसानों के इस महा आंदोलन (Farmers Protest) में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) ने भी शिरकत की उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को ऐसा राज्यपाल कभी नहीं मिला है। जिसके पास कंगना से मिलने का वक्त है लेकिन किसानों से मिलने के लिए वक्त नहीं है। केंद्र सरकार ने यह कानून (Farm Laws) बनाकर डॉ. बाबा साहब आंबेडकर का भी अपमान किया है। संसद की प्रतिष्ठा का ख्याल ना रखते हुए इसे लाया गया है। अब किसानों का कहना है कि सरकार कानून वापस ले या ना ले लेकिन किसान इस सरकार और कानून दोनों को उखाड़ फेंकेगी। जिसकी शुरुआत हो चुकी है।
New Delhi: तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन आज लगातार 61वें दिन जारी है. इस बीच किसान संगठन गणतंत्र दिवस के मौके पर कल ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) निकालेंगे. इसके लिए तैयारी पूरी कर ली है.
इसके बाद किसान संगठनों ने आगे की योजना के बारे में भी बताया है. किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि एक फरवरी को दिल्ली में अलग-अलग जगहों से हमलोग संसद तक पैदल मार्च करेंगे. बता दें कि एक फरवरी को ही केंद्र सरकार आम बजट पेश करेगी.
किसान संगठनों ने साफ-साफ कहा है कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस नहीं लेगी हम आंदोलन (Farmers Protest) जारी रखेंगे. सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं ने कहा कि 26 जनवरी को सुबह 8 बजे परेड शुरू होगी जब तक आख़िरी ट्रैक्टर वापस नहीं आ जाता है तब तक परेड चलता रहेगा. भले इसमें दो दिन लग जाएं.
नेताओं ने कहा कि ट्रैक्टर पर कोई लिमिट नहीं होगी. जितने ट्रैक्टर आए हैं सब परेड में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि आंदोलन (Farmers Protest) पूरे देश में फैल चुका है अब सरकार के पास कोई चारा नहीं बचा है. आंदोलन तब तक चलेगा जब तक कृषि क़ानून (Farm Laws) वापस नहीं होते.
वहीं सरकार का कहना है कि हम कानून में बदलाव के लिए तैयार हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि हम कानूनों में परिवर्तन तक करने को तैयार हैं. इसके मायने यह नहीं लगाने चाहिए कि कानून में कोई खराबी है. लेकिन अगर परिवर्तन से बात बन सकती है और गतिरोध टूट सकता है. एक अच्छा माहौल हो सकता है तो सरकार को इसमें कोई अहम या ईगो नहीं है.
Rajasthan: राजस्थान के दौसा में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे हर कोई हैरान है। दरअसल, यहां एक ही परिवार की चार महिलाओं से दुष्कर्म (Rape) का मामला सामने आया है। इस घिनौनी वारदात को अंजाम देने का आरोप एक ही शख्स पर है। उसके खिलाफ महज तीन दिन में चार केस दर्ज हुए हैं। मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, दौसा के सूर्य मंदिर के पीछे रहने वाली चार महिलाओं ने दुष्कर्म (Rape) होने की जानकारी दी है। ये चारों महिलाएं एक ही परिवार से ताल्लुक रखती हैं। इनमें तीन सगी बहनें और एक बेटी शामिल हैं।
Bihar: राजधानी पटना (Patna) में एक युवक का शव मुखिया के दफ्तर से मिला है. गोपालपुर थाना क्षेत्र के संपतचक बैरिया स्थित बैरिया पंचायत के मुखिया रामनाथ यादव के कार्यालय से युवक का शव बरामद होने से आसपास के इलाकों में सनसनी फैल गयी. स्थानीय लोगों द्वारा घटना की जानकारी पुलिस को दिए जाने के बाद पुलिस (Patna Police) मौके पर पहुंची और पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है. मृतक की पहचान संपतचक बैरिया निवासी अनिल पंडित के 23 वर्षीय पुत्र रवि कांत कुमार के रूप में की गई है.
रविकांत की गला रेतकर और ईट पत्थर से कुचलकर कर हत्या (Murder) की गई है. घटना से गुस्साए मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों ने सड़क पर उतर कर पटना-मसौढ़ी मार्ग को जाम कर दिया है. सड़क जाम हंगामे की सूचना मिलते ही विभिन्न थानों की पुलिस मौके पर पहुंचकर आक्रोशितो को समझाने बुझाने में जुटी है. स्थानीय पुलिस द्वारा पूरे मामले से एफएसएल (FSL) की टीम को अवगत कराए जाने के बाद एफएसएल की टीम मौके पर पहुंच कर पूरे मामले की छानबीन में जुटी है.
मृतक के परिजनों ने बैरिया पंचायत के मुखिया रामनाथ यादव और उसके सहयोगी सनी कुमार पर हत्या (Murder) किए जाने का आरोप लगाया है. घटना के बाद से आरोपी मुखिया और उसका सहयोगी फरार बताया जाता है. पुलिस ने इस मामले में मुखिया के एक अन्य सहयोगी विपिन कुमार को गिरफ्तार कर लिया है जिससे कड़ी पूछताछ चल रही है.
बताया जाता है कि मृतक रविकांत कुमार पिछले एक वर्ष से रामनाथ मुखिया के यहां स्टाफ के रूप में काम कर रहा था. पिछले महीने मुखिया द्वारा उसे काम से हटा दिया गया था. घटना के संबंध में पूछे जाने पर मृतक की मां सुधा देवी और उसके भाई सनी कुमार ने मुखिया और उसके सहयोगी सनी कुमार पर हत्या (Murder) किए जाने का आरोप लगाते हुए पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है.
परिजनों ने बताया कि मुखिया के सहयोगी सनी कुमार द्वारा रविकांत का मोबाइल छीन लिया गया था, जिसे वापस दिए जाने की बात कह कर उसे कल कार्यालय बुलाया गया था. देर रात रविकांत मुखिया के कार्यालय पहुंचा और उसके बाद वह वापस घर नहीं लौटा. सोमवार की सुबह कार्यालय से उसका शव बरामद किया गया. हत्या (Murder) का कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है.
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक रविकांत का मुखिया की बेटी के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा था, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि प्रेम-प्रसंग को लेकर ही रविकांत की हत्या (Murder) की गई है.
मौके पर मौजूद संपतचक प्रखंड के अंचलाधिकारी मुकुल झा ने हत्या (Murder) की पुष्टि करते हुए पुलिस अधिकारियों द्वारा पूरे मामले की जांच किए जाने की बात दोहराई है. घटना को लेकर ग्रामीणों में खास आक्रोश व्याप्त है. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की गहन छानबीन में जुटी है.
New Delhi: केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने को कहा है. केंद्र ने इस बाबत सभी राज्यों औऱ केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है. देश में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण (Corona Vaccination) कार्यक्रम चल रहा है, लेकिन यह लक्ष्य के अनुरूप अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रहा है. भारत में अब तक 16 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका (Corona Vaccination) लग चुका है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पिछले हफ्ते राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को इस बाबत पत्र लिखा है. इसमें राज्यों को बताया गया है कि आपदा प्रबंधन कानून और आईपीसी की धाराओं के तहत ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा सकती है. गृह सचिव ने कहा है कि अफवाह और झूठी खबरों पर रोक के लिए ऐसे लोगों पर कार्रवाई जरूरी है. इसके साथ ही वास्तविक तथ्यों के आधार पर विश्वसनीय सूचनाओं के प्रसार की सलाह भी राज्यों को दी गई है. कोरोना टीकाकरण (Corona Vaccination को लेकर अफवाह फैलाने वाले संगठनों औऱ किसी व्यक्ति पर कानूनी प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों की मौत को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें चलाई जा रही हैं. जबकि इन मौतों का टीकाकरण से कोई संबंध नहीं पाया गया है. इन अफवाहों में लोगों से वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) न कराने और इससे जानलेवा खतरे जैसी बातें हैं. केंद्र सरकार की एजेंसियां ऐसी अफवाहों पर ध्यान न देने की सलाह लोगों को दे चुकी हैं. कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम भी टीकाकरण को प्रोत्साहन के लिए चलाए जा रहे हैं.