नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ दिल्ली में Air Pollution से जुड़े मामले की सुनवाई की। लगातार चौथे सप्ताह जब अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के शहरों में Air Pollution पर दलीलें सुनीं, मामले में अपनी पहले की सुनवाई में कोर्ट ने वायु प्रदूषण कम करने के सरकार के दावों पर असंतोष जताया था।
Air Pollution को नियंत्रित करने के प्रवर्तन कार्य बल का गठन
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि उसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में Air Pollution को नियंत्रित करने के अपने निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक प्रवर्तन कार्य बल का गठन किया है।
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आयोग ने कहा कि उसने अपनी वैधानिक शक्ति का प्रयोग करते हुए पांच सदस्यों की एक प्रवर्तन कार्यबल का गठन किया है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 17 उड़न दस्ते का गठन किया गया है।
आयोग ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अगले 24 घंटों में उड़न दस्तों की संख्या बढ़ाकर 40 कर दी जाएगी। उक्त उड़न दस्तों ने दो दिसंबर से ही काम करना शुरू कर दिया है और 25 स्थलों पर औचक निरीक्षण किया है।
वायु गुणवत्ता आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि एनसीआर में स्कूल और कॉलेज अगले आदेश तक बंद रहेंगे, केवल परीक्षा और प्रयोगशाला प्रायोगिक आदि आयोजित करने के उद्देश्य को छोड़कर आवेदन के केवल ऑनलाइन मोड की अनुमति होगी।
केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि फ्लाइंग स्क्वॉड द्वारा कठोर निरीक्षण सहित विभिन्न उपायों के परिणामस्वरूप दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण मानदंडों के घोर उल्लंघन की पहचान हुई है। इसने यह भी कहा कि प्रवर्तन कार्य बल गैर-अनुपालन के मामलों में क्लोजर नोटिस जारी करता रहा है।