शारदीय नवरात्र का आज दूसरा दिन है, आज के दिन Maa Brahmacharini की पूजा का विधान है। कानपुर के देवी मंदिरों में भक्त माता के दर्शन करने पहुंच रहे हैं।
राजा हिमालय के घर पुत्री स्वरूप में जन्मी माता पार्वती का ही दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी है।
Maa Brahmacharini नाम देवी के कठोर तप की वजह से पड़ा
भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए देवी ने कठोर साधना, जप और तप किया। इस वजह से ही देवी का नाम ब्रह्मचारिणी है।
एक बार नारद जी ने देवी पार्वती को उनके जन्म का उद्देश्य समझाया।
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तब माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति स्वरूप में पाने की प्रण लिया, इसके लिए वे घने जंगल में जाकर एक गुफा में रहने लगीं, और शिव प्राप्ति के लिए कठोर तप और साधना में जुट गईं, इन्होंने हजारों वर्षों तक भगवान शिव की पूजा की।
शिव की साधना में लीन रहने वाली इस देवी ने कठोर ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन किया। उनकी इस जीवटता और दृढ़ निश्चय के कारण उनको मां ब्रह्मचारिणी कहा जाता है, जो व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता हैं उन्हें अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त होती है क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी, अपने तप और साधना से शिव जी को प्रसन्न करके अपने उद्देश्य में सफल हुईं थीं।
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मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति के अंदर हर तरह की परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है।
उस व्यक्ति के अंदर संयम, त्याग, तप, जप आदि जैसे गुण भी आने लगते हैं।
कानपुर से सुनील कुमार