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Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बातचीत से निपटाए मसला, एक कमिटी का गठन हो।

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New Delhi: Farmers Protest के कारण दिल्ली बॉर्डर बंद किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (SC Hearing Today) ने केंद्र, दिल्ली, यूपी, हरियाणा व पंजाब को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट व दो अन्य की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया कि बॉर्डर सील कर दिया गया है। शाहीनबाग केस में दिए फैसले का हवाला देकर कहा गया है कि वहां से किसानों को हटाया जाना चाहिए और बॉर्डर खाली कराया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि दिल्ली के आसपास के किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) जल्दी ही राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा और ऐसे में अदालत चाहती है कि एक कमिटी का गठन हो जो दोनों पक्षों के बीच बातचीत से मामले को निपटाए।

Farmers Protest को लेकर आपसी बातचीत से निपटाएं मामला

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे (Chief Justice of India SA Bobde) ने सवाल किया कि आप बॉर्डर ओपन कराना चाहते हैं। याची ने कहा कि इस मामले में नोटिस जारी होना चाहिए। कोर्ट ने याची से कहा कि आप किसानों के संगठन को भी पार्टी बनाएं। हम नहीं जानते कि कौन से संगठन हैं। एडवोकेट जीएस मनी ने इस दौरान कहा कि इस मामले में आपसी बातचीत से मामले को निपटाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि ज्यादातर अर्जी सही तरह से नहीं रखा गया है।

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क्या किसानों को दिल्ली आने से रोका गया है?

चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) से कहा है कि किसने किसानों को दिल्ली आने से रोका है। क्या आपने रोका है? तब तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस ने उन्हें रोक रखा है। तुषार मेहता ने कहा कि सरकार किसानों से बात कर रही है। भारतीय किसान यूनियन और अन्य संगठन मौके पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन कुछ अन्य एलिमेंट ने भी प्रदर्शन में भाग ले लिया है। सरकार किसानों के खिलाफ कुछ भी नहीं कर रही है।

सरकार की बातचीत का प्रयास सराहनीय-SC

चीफ जस्टिस ने तब कहा कि आपने बातचीत की है लेकिन वह फेल हुआ है और फिर भी आप बातचीत के लिए तैयार हैं जो सराहनीय है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हम मामले में नोटिस जारी करते हैं और सुनवाई के लिए गुरुवार की तारीख तय करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों और उनके संगठनों की एक कमिटी का गठन किया जाएगा। सरकार के नामित व्यक्ति भी होंगे। Farmers Protest का ये मामला राष्ट्रीय महत्व का बन गया है और इसे बातचीत से हल किया जाना जरूरी है।

सरकार कर रही है प्लानिंग- तुषार मेहता

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। अदालत ने तुषार मेहता से कहा कि हम आपको बताना चाहते हैं कि Farmers Protest को लेकर हम कुछ प्लानिंग कर रहे हैं। हम एक कमिटी का गठन करने जा रहे हैं जो मामले में विवाद का निपटारा करेगा। इसमें भारतीय किसान यूनियन, भारत सरकार और अन्य किसान संगठनों के प्रतिनिधि होंगे। हम किसान संगठनों से कहेंगे कि वह इस कमिटी के पार्ट बनें क्योंकि ये मुद्दा जल्दी ही राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बनने जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने 5 पक्षों को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर केंद्र, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और यूपी को नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई के लिए गुरुवार की तारीख तय कर दी है साथ ही याचिाककर्ता से कहा है कि वह किसानों के संगठनों को पार्टी बनाए। याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने की गुहार लगाई है।

लॉ स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई

एक याचिकाकर्ता जो लॉ स्टूडेंट है उसकी ओर से कहा गया है कि Farmers Protest की वजह से सड़कों को ब्लॉक कर दिया गया है और इस कारण इमरजेंसी सर्विस और मेडिकल सर्विस प्रभावित हो रहा है। दिल्ली में कोविड (Covid) केसों का इजाफा हो रहा है। दिल्ली में अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं ताकि इलाज करा सकें वो सभी प्रभावित हो रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि लाखों लोग Farmers Protest में भाग ले रहे हैं जिनकी जिंदगी खतरे में है क्योंकि कोरोना वायरस की बीमारी फैली हुई है। इस कारण अंदेशा है कि कोरोना महामारी और ज्यादा फैल सकती है। इससे देश में खतरा हो सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रदर्शन करने वाले किसानों (Farmers Protest) को दिल्ली बॉर्डर से अन्य जगह पर शिफ्ट किया जाना चाहिए और बंद पड़े सड़कों को ओपन किया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों के बीच मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए। पुलिस प्रदर्शनकारियों के लिए जगह अलॉट किए थे लेकिन प्रदर्शनकारी वहां शिफ्ट नहीं हो रहे हैं।

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Sambhal UP: घने कोहरे के कारण कंटेनर और रोडवेज बस की भिड़ंत, 7 की मौत, 23 घायल

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उत्तर प्रदेश के संभल(Sambhal) जिले में कोहरे के कारण बड़ा हादसा हो गया। जानकारी के मुताबिक, कोहरे की वजह से एक रोडवेज बस तेज रफ्तार कंटेनर से भिड़ गई। हादसे में एक दर्जन यात्रियों की मौत होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस अब तक 7 मृतकों के शव निकाल चुकी है। बताया गया कि मौतों का आंकड़ा अभी बढ़ सकता है। मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।

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खबर के मुताबिक, संभल (Sambhal) के धनारी थाना इलाके के मुरादाबाद-आगरा हाइवे पर घने कोहरे के चलते यह हादसा हुआ। रोडवेज की बस दूसरी तरफ से आ रही तेज रफ्तार कंटेनर से टकरा गई। टक्कर काफी जबर्दस्त थी। हादसे के बाद शोर सुनकर स्थानीय लोग मौके पर जुट गए। पुलिस को खबर दी गई, जिसके बाद बस से मृतकों और घायलों को निकालने का काम शुरू किया गया। घटना की जानकारी मिलने के बाद एसपी चक्रेश मिश्र समेत रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची।

7 शव निकाले गए

एसपी चक्रेश मिश्र ने बताया कि अब तक बस से 7 शव निकाले जा चुके हैं। हालांकि, मौत का आंकड़ा अभी बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा हो सकती है। वहीं 23 से ज्यादा लोगों के घायल होने की भी सूचना है। पुलिस ने बताया कि घने कोहरे के कारण यह हादसा हुआ है। बस से घायलों और मृत लोगों के शवों को बाहर निकालने का काम जारी है।

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Supreme Court: होम्योपैथ डॉक्टर प्रिवेंटिव मेडिसिन दे सकते हैं, कोविड रोकने की बात नहीं।

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि आयुष मंत्रालय (Ministry Of Ayush) ने जो एडवाइजरी जारी की है उसके तहत ही होम्योपैथी (Homeopathic) के डॉक्टर कोविड (Covid) से बचाने के लिए इम्युनिटी बूस्टर (Immunity Booster)  दे सकते हैं। वह कोविड के इलाज का दावा करने वाले विज्ञापन नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दुनिया भर में कोविड के इलाज के लिए वैक्सीन (Vaccine) बनाने के लिए रिसर्च जारी है। होम्योपैथी प्रैक्टिशनर किसी भी हाल में ये दावा नहीं कर सकते कि होम्योपैथी अपने आप में कोविड का इलाज करने में सक्षम होगा, बल्कि आयुष मंत्रालय ने जो रेग्युलेशन जारी किया है वह भी इस बात से रोकता है।

केरल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक से SC का इनकार

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केरल हाई कोर्ट के आदेश में दखल से इनकार कर दिया जिसमें आयुष के डॉक्टरों को कोविड 19 (Covid-19) के इलाज के लिए मेडिसिन (Medicine) लिखने और विज्ञापन करने से रोका गया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने ये फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट में डॉक्टर एकेबी संभवना मिशन स्कूल ऑफ होम्यो फार्मेसी की ओर से अपील दाखिल की गई थी और केरल हाई कोर्ट के 21 अगस्त के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा कि आयुष मंत्रालय के नोटिफिकेशन के तहत होम्योपैथी प्रैक्टिशनर को इलाज की इजाजत दी जाए। दरअसल कोरोना फैलने के बाद आयुष मंत्रालय ने एक गाइडलाइंस जारी किया था। केरल सरकार ने 6 मार्च 2020 के इस गाइडलाइंस को लागू नहीं किया। याची ने कहा कि होम्योपैथी कोरोना कंट्रोल करने में सक्षम है। इसके लिए दवाई है जो इम्युनिटी बढ़ाता है।

सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि सरकार की जो गाइडलाइंस है उसके तहत एडवाइजरी थी कि कोविड की स्थिति में जो कमजोरी है होम्योपैथी के जरिये प्रिवेंटिव मेडिसिन दी जा सकती है। इसके लिए आयुष मंत्रालय की गाइडलाइंस जारी हुई थी और कहा गया था कि होम्योपैथी की दवा खाली पेट तीन दिन लेनी है और एक महीने बाद रिपिट करनी है। ये दवाई इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दी जानी है। इससे साफ है कि आयुष मंत्रालय ने होम्योपैथी के इस्तेमाल की इजाजत प्रिवेंटिव तौर पर की थी। आयुष मंत्रालय का जो नोटिफिकेशन है उससे साफ है कि होम्योपैथी प्रैक्टिशनर अपनी दवाई को इम्युनिटी बूस्टर तक ही सीमित रखेंगे। विज्ञापन के जरिये कोविड रोकने की बात नहीं कही जा सकती है क्योंकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता।

होम्योपैथी के जरिये कोविड रोकने की बात नहीं की जा सकती है। दुनियाभर में वैक्सीन के लिए रिसर्च जारी है ऐसे में ये बातें नहीं हो सकती कि उसे दवाई के जरिये अभी रोका जा सकता है। ऐसे में होम्योपैथी के प्रैक्टिशनर को कोविड के इलाज आयुष मंत्रालय के एडवाइजरी का पालन करना होगा। हाई कोर्ट ने सही कहा है कि होम्योपैथी प्रैक्टिशनर ये दावा नहीं करेंगे कि वह कोविड का इलाज कर देंगे। गाइडलाइंस कहता है कि कोविड के प्रभाव को कम कर सकता है क्योंकि होम्योपैथी के जरिये प्रिवेंटिव दवा की बात कही गई है जो इम्युनिटी बूस्टर का काम करती है।

इम्युनिटी की दवा दे सकते हैं होम्योपैथ डॉक्टर

हाई कोर्ट ने आयुष के डॉक्टर को कोविड 19 के इलाज के लिए मेडिसिन लिखने और उसके लिए विज्ञापन करने से मना कर दिया था। केंद्र सरकार के एडवाइजरी के मुताबिक वह इम्यून बूस्टर देने के लिए अधिकृत थे। 6 मार्च 2020 को केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर आयुष के डॉक्टर को इम्यून बढ़ाने के लिए दवा देने की इजाजत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के एफिडेविट दाखिल कर जवाब दाखिल करने को कहा था कि आयुर्वेद और होम्योपैथी व सिद्धा जैसे वैकल्पिक दवाइयों को किस हद तक किस तरह से कोविड के इलाज के लिए इजाजत दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब

21 अगस्त के केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आयुष के प्रैक्टिशनर इलाज के लिए दवा नहीं देंगे बल्कि वह इम्युनिटी बूस्टर देंगे। याचिकाकर्ता ने कहा कि 6 मार्च का केंद्र सरकार का नोटिफिकेशन है जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार होम्योपैथी सिस्टम को कोरोना के इलाज में व्यवहार में लाए जाने की बात कही थी। और इसी आधार पर नोटिफिकेशन लागू करने की याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा था कि आयुष के प्रैक्टिशनर सिर्फ इम्युनिटी बढ़ाने की दवा दे सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि आयुष के प्रैक्टिशनर कोविड के इलाज के लिए दवाई नहीं लिख सकते बल्कि इम्युनिटी बढ़ाने की दवा दे सकते हैं।

Narendra Singh Tomar से मुलाकात कर यूपी के भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने नए कृषि कानूनों का समर्थन किया।

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नई दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों (Farms Law) के खिलाफ किसान आंदोलन (Farmers Protest) का आज 20वां दिन है. इस बीच उत्तर प्रदेश के भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) से मुलाकात की. इन पदाधिकारियों ने नए कृषि कानूनों (Farms Law) पर अपना समर्थन जताया और एक ज्ञापन सौंपा.

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नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने ट्वीट करते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश से आए भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने आज कृषि भवन नई दिल्ली में मिलकर नए कृषि बिलों (Farms Law) के समर्थन में ज्ञापन दिया और कहा कि ये बिल पूरी तरह से किसानों के हित में हैं और इन्हें किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह के रिफॉर्म्स की अपेक्षा देश को बहुत पहले से थी, आज मोदी जी के नेतृत्व में यह अब पूरी हुई है. कुछ लोग इन बिलों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, किसी को भी गुमराह होने की जरुरत नहीं है.”

आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा- हम जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं

उधर सिंधु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान नेता इंद्रजीत ने मीडिया को बताया कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को लोग 20 दिसंबर को गांवों और प्रखंडों में श्रद्धांजलि देंगे. सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं ने कहा कि लड़ाई ऐसे दौर में पहुंच गयी है, जहां हम जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सोमवार को देश के 350 जिलों में हमारा प्रदर्शन सफल रहा, किसानों ने 150 टोल प्लाजा को ‘मुक्त’ कराया.

किसान नेताओं ने कहा कि अब तक विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 20 किसान ‘शहीद’ हो गए. प्रदर्शन शुरू होने के बाद से हर दिन औसतन एक किसान की मौत हुई है. हम वार्ता से नहीं भाग रहे, लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा.

किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को निरस्त नहीं करेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे. किसान नेताओं ने कहा कि वे बुधवार को दिल्ली-नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह अवरुद्ध करेंगे.

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Wistron India: आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में हिंसा के बाद बढ़ी ऐपल की चिंता।

ऐपल की कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर विस्ट्रन इंडिया (Wistron India) में कर्मचारियों के आंदोलन और हिंसा ने इसकी चिंता बढ़ा दी है. बेंगलुरू की नरसुपूरा यूनिट में वेतन को लेकर हुई हिंसा के बाद ऐपल ने यहां अपनी अतिरिक्त टीम भेजने का फैसला किया है. यह टीम हालात का जायजा लेगी और नुकसान का आकलन करेगी. कंपनी की टीम इस बात का पता लगाएगी आखिर हिंसा की वजह क्या थी? ऐपल ने कहा है कि वह अपने सप्लाई चेन में हर किसी के साथ गरिमा और बराबरी के व्यवहार के लिए प्रतिबद्ध है.

कुछ दिनों तक बंद रह सकती है आईफोन बनाने वाली यूनिट 

ऐपल के लिए आईफोन बनाने के लिए स्थापित विस्ट्रन (Wistron India) की नरसुपुरा यूनिट के राज्य सरकार और कंपनी की ओर से जांच पूरी होने तक बंद रहने के आसार हैं. यहां आईफोन एसई की असेंबलिंग की नई यूनिट की शुरुआत की गई थी. ऐपल एक अधिकारी ने कहा कि अभी यह कहा नहीं जा सकता कि विस्ट्रन की यह यूनिट कब तक बंद रहेगी.

श्रमिकों ने वेतन और बोनस न देने का लगाया आरोप 

शनिवार को नरसुपुरा यूनिट में उस वक्त हिंसा भड़क उठी जब कर्मचारियों ने रेगुलर वेतन और बकाया न दिए जाने का आरोप लगाते हुए पथराव शुरू कर दिया. उन्होंने यूनिट में खड़ी कुछ गाड़ियों में भी आग लगा दी. रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्मचारियों ने यहां बना कर रखे गए आईफोन एसई के जखीरों को लूटना शुरू कर दिया. विस्ट्रन ने कहा है कि उसने श्रम कानून से संबंधित किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है. वे राज्य सरकार की जांच एजेंसियों से पूरा सहयोग कर ही है. जबकि कर्मचारियों का कहना है कंपनी उनका नियमित वेतन नहीं दे रही है. साथ ही ओवरटाइम देने से भी इनकार किया जा रहा है.

विस्ट्रन (Wistron India) की इस यूनिट में आईफोन एसई मॉडल के फोन बनाए जाते हैं. एसई मॉडल के आईफोन के पहले फोन पहले ऐसे फोन है, जो भारत में पहली बार बनने शुरू हुए थे. अब आईफोन के चार और मॉडलों का यहां निर्माण हो रहा है.

Joe Biden: जीत पर मुहर लगाने के बाद बोले- लोकतंत्र बरकरार रहा

अमेरिका (America) के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने निर्वाचक मंडल द्वारा उनकी जीत पर मुहर लगाने के बाद अमेरिका के लोगों से कहा कि देश में ‘‘लोकतंत्र बरकरार रहा’’. उन्होंने कहा कि देश को दिशा निर्देशित करने वाले सिद्धांतों की अवहेलना का प्रयास किया गया लेकिन यह कमजोर नहीं पड़ा.

अमेरिकी लोगों की सेवा करने का वक्त है

डेलावेयर के विलमिंगटन में बाइडन (Joe Biden) ने अपने संबोधन में कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान के आरोपों-प्रत्यारोपों और निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के अपनी हार नहीं स्वीकारने को भूलकर अब अमेरिकी लोगों की सेवा करने का वक्त है. उन्होंने कहा, ‘‘पहले जो नहीं जानते थे , अब वे भी इससे वाकिफ हैं. अमेरिकी लोगों के दिलों में यह बात गहराई से बैठी है कि ‘लोकतंत्र बरकरार रहा है.’’ बाइडन (Joe Biden) ने कहा, ‘‘सच की जीत हुई. आपके मतों की गणना हुई और आपके द्वारा चुने हुए नेता ही देश का नेतृत्व करेंगे.’’

20 जनवरी को संभालेंगे राष्ट्रपति पद

बाइडन (Joe Biden) 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने वाले हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप की कार्रवाई ने अमेरिका के मूल लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना की, यहां तक कि सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण भी प्रभावित हुआ. उन्होंने कहा कि अमेरिका को दिशा निर्देशित करने वाले सिद्धांत हमेशा अक्षुण्ण बने रहेंगे. वहीं बाइडन ने कहा, ‘‘अमेरिका में जनता का शासन होता है और जनता ही किसी नेता को सत्ता की बागडोर संभालने का अधिकार देती है. अब हम जान चुके हैं कि सत्ता का दुरुपयोग करने वाले लोकतंत्र की रोशनी को बुझा नहीं सकते हैं.’’

Corona Vaccine को लेकर केंद्र की गाइडलाइंस जारी, जानें वैक्‍सीन आपको कब और कैसे मिलेगी?

भारत में कोरोना वायरस की वैक्‍सीन (Corona Vaccine) को मंजूरी मिलते ही टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्‍यों के लिए कोविड-19 टीकाकरण (Corona Vaccine) से जुड़ी गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इसके मुताबिक, पहले चरण के अभियान में सरकार करीब 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की तैयारी कर रही है। इनमें हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 साल से ज्‍यादा उम्र वाले लोग और को-मॉर्बिडिटीज वाले 50 साल से कम उम्र वाले लोग शामिल होंगे। डॉक्‍युमेंट के अनुसार, वैक्‍सीन (Corona Vaccine) लगने के बाद 30 मिनट तक लोगों को मॉनिटर किया जाएगा। आइए जानते हैं कि केंद्र सरकार ने कोरोना टीकाकरण के लिए कैसा प्‍लान बनाया है।

किसे पहले मिलेगी वैक्‍सीन?

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अनुसार, पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को टीका लगेगा। इनमें एक करोड़ हेल्‍थवर्कर्स, 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 साल से ज्‍यादा उम्र वाले 26 करोड़ लोग और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 50 साल से कम उम्र वाले लोग (1 करोड़) शामिल होंगे। हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को अस्‍पताल या क्लिनिक जैसी जगहों पर टीका लगेगा। बाकी ग्रुप्‍स के लिए अलग से इंतजाम किए जा सकते हैं। मोबाइल साइट्स भी ऑपरेट करने की तैयारी है।

कैसे होगी वैक्‍सीन पाने वालों की पहचान? कहां लगेगा टीका?

कोरोना वैक्‍सीन (Corona Vaccine) पहले चरण में किन्‍हें दी जानी है, इसके लिए सरकार मतदाता सूची खंगालेगी। इससे 50 साल से ज्‍यादा उम्र वाले आसानी से आइडेंटिफाई किए जा सकते हैं। गंभीर बीमारियों वाले लोगों का डेटा नैशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे या फिर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय से मिल जाएगा। टीकाकरण के लिए पोलिंग बूथों, कॉलेजों और कम्‍युनिटी हॉल्‍स का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा नगर निगम भवनों, पंचायत बिल्डिंग, कैंट हॉस्पिटल, रेलवे अस्‍पतालों, पैरामिलिट्री फोर्सेज के कैंपों को भी टीकाकरण साइट की तरह यूज कर सकते हैं।

कोविड वैक्‍सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Co-WIN) सिस्‍टम तैयार किया गया है। इस डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर वैक्‍सीन के स्‍टॉक और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन की रियल-टाइम अपडेट्स तो मिलेंगी ही। वैक्‍सीन के लिए किन्‍होंने रजिस्‍टर किया है और उन्‍हें कब वैक्‍सीन दी जानी है या टीका लगा या नहीं, ये सब Co-WIN में अपडेट होता रहेगा। वैक्‍सीन पाने के लिए आपको पहले से रजिस्‍टर करना होगा। ऑन-द-स्‍पॉट रजिस्‍ट्रेशन नहीं हो जाएगा। सरकार ने 12 तरह के पहचान-पत्रों को मान्‍यता दी है जिनके जरिए आप Co-WIN वेबसाइट पर रजिस्‍टर कर पाएंगे। इसके लिए वोटर आईडी, आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पेंशन डॉक्‍युमेंट जैसे दस्‍तावेज मान्‍य होंगे।

5 लोगों की टीम देगी वैक्‍सीन, अधिकतम सीमा तय

जहां कोविड वैक्‍सीन (Corona Vaccine) दी जाएगी, वहां तीन कमरे होना जरूरी है। एक वेटिंग रूम होगा, एक वैक्सीनेशन रूम और तीसरा ऑब्‍जर्वेशन रूम। तीनों जगह सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करना होगा। वैक्‍सीनेशन रूम में किसी महिला को वैक्‍सीन मिलते वक्‍त एक महिला स्‍टाफ मेंबर की मौजूदगी अनिवार्य होगी। गाइडलाइंस के अनुसार, टीकाकरण की एक साइट पर दिनभर में केवल 100 लोगों को टीका लगेगा। अगर लॉजिस्टिक्‍स की सुविधा अच्‍छी है तो इसे बढ़ाकर 200 भी किया जा सकता है। किसी भी केस में एक दिन में एक जगह पर 200 से ज्‍यादा लोगों को टीका नहीं लगेगा। वैक्‍सीन देने वाली टीम में एक वैक्‍सीन ऑफिसर और चार वैक्‍सीनेशन ऑफिसर्स होंगे।

वैक्‍सीन की सेफ्टी के लिए क्‍या हैं इंतजाम?

कोरोना वैक्‍सीन (Corona Vaccine) का टीकाकरण देश का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शामिल होने वाला है। राज्‍यों को एक जिले में एक मैनुफैक्‍चरर की वैक्‍सीन ही सप्‍लाई करने को कहा गया है ताकि अलग-अलग वैक्‍सीन मिक्‍स होने से बचा जा सके। वैक्‍सीन कैरियर, वायल्‍स और आइस पैक्‍स को सूरज की सीधी रोशनी से बचाने के सभी इंतजाम किए जाएंगी। जब तक कोई टीका लगवाने नहीं आता, तब तक वैक्सीन और डाइलुएंट्स को वैक्‍सीन कैरियर के भीतर लिड बंद करके रखा जाएगा।

Farms Law: कृषि कानून में सिविल कोर्ट जाने का रास्ता नहीं होना संवैधानिक अधिकार में दखल

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New Delhi: कृषि बिल (Farms Law) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) हो रहा है और इससे संबंधित तीनों कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है जिस पर अभी सुनवाई होनी है। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उस कानूनी प्रावधान को लेकर है जिसमें प्रावधान किया गया है कि मामले में सिविल कोर्ट (Civil Court) जाने का प्रावधान नहीं है। इस मामले में हालांकि सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह कोर्ट जाने का प्रावधान करने पर विचार कर रही है लेकिन फिलहाल जो कानून है उसमें कोर्ट का जूरिडिक्शन नहीं है और ये विवाद का बहुत बड़ा कारण बना है कानूनी जानकारों के मुताबिक कोर्ट जाने का अधिकार संवैधानिक अधिकार है।

कृषि कानून के जान लें प्रावधान

कृषि बिल (Farms Law) से संबंधित तीन कानून हैं। इनमें कृषक उपज ट्रेड और कॉमर्स (प्रोमोशन और सरलीकरण) क़ानून, 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (अमेंडमेंट) कानून 2020 है। इनमें कृषक उपज ट्रेड और कॉमर्स (प्रोमोशन और सरलीकरण) कानून, 2020 की धारा-13 को सबसे पहले देखना जरूरी है। इस धारा के तहत प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार या उनके अधिकारी या फिर राज्य सरकार या फिर उनके किसी अधिकारी या किसी और के खिलाफ इस कानून के तहत बेहतर मंशा से की गई कार्रवाई के मामले में कोई भी सूट, मुकदमा और अन्य कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाएगी। वहीं धारा-15 में प्रावधान किया गया है कि किसी भी सिविल कोर्ट का इस कानून के तहत जूडिरिडिक्शन नहीं होगा और इस कएक्ट के तहत जिस अथॉरिटी को अधिकृत किया जाएगा वही मामले में संज्ञान ले सकेगा। कानूनी जानकार बताते हैं कि इस मामले में एसडीएम और अडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के यहां अर्जी दाखिल किया जा सकेगा।

तो न्याय मिलना होगी दूर की कौड़ी

बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चेयरमैन रमेश गुप्ता ने बताया कि कानून में सिविल कोर्ट के जूरिडिक्शन को खत्म करना मुख्य परेशानी का सबब है और इसके लिए पीएम को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने लेटर भी लिखा है कृषि कानून (Farms Law) के तहत सिविल कोर्ट के जूरिडिक्शन को एसडीएम और एडीएम को सौंपा जा रहा है। कैसे सिविल कोर्ट के कार्यवाही के जूरिडिक्शन को एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंसी को सौंपा जा सकता है। क्योंकि एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंसी तो कार्यपालिका के कंट्रोल में होता है। संविधान का जो प्रावधान है उसके तहत जूडिशियरी को कार्यपालिका से अलग किया गया है। लेकिन इस कानून के तहत जो प्रावधान किया गया है वह संविधान के तहत मान्य नहीं है। इससे आम लोगों के हितों के साथ समझौता हो जाए और ब्यूरोक्रेसी के सामने न्याय मिलना दूर की कौड़ी होगी।

तो कृषि कानून से CPC हो गया निष्प्रभावी?

इस कानून (Farms Law) पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि ये नहीं भूलना चाहिए कि जूडिशियरी आम लोगों के अधिकार का रक्षक है। कार्यों के बंटवारे के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है। वैसे सरकार ने इस मामले में प्रस्ताव दिया है कि सिविल कोर्ट जाने का विकल्प दिया जा सकता है। किसानों के विरोध के बीच जो बातचीत चल रही है उसी के तहत केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि विवाद के संदर्भ में जो माजूदा व्यवस्था की गई है उसके अतिरिक्त सिविल कोर्ट जाने का विकल्प दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानून को चुनौती देने वाले एपी सिंह बताते हैं कि इस कानून ने सीपीसी के प्रावधान को ही इस कानून में निष्प्रभावी कर दिया गया। दरअसल जब जमीन विवाद या संपत्ति विवाद होता है तो सिविल प्रक्रिया की धारा यानी सीपीसी अप्लाई होता है और सिविल कोर्ट का जूरिडिक्शन बनता है लेकिन इस कानून में सिविल कोर्ट का दरवाजा ही बंद कर दिया गया है जो गैर संवैधानिक है।

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यहां फंस रहा है पेच

कोई भी कानून संविधान के प्रावधान से ऊपर नहीं हो सकता। कानून बनाकर कोर्ट का जूरिडिक्शन या विकल्प को खत्म नहीं किया जा सकता। इस मामले में कोर्ट का जूरिडिक्शन खत्म किया गया है। संविधान के तहत हर नागरिक को न्याय पाने का अधिकार है उससे कैसे वंचित किया जा सकता है। कोर्ट का अधिकार एसडीएम को नहीं दिया जा सकता क्योंकि एसडीएम न्यायिक अधिकारी नहीं बल्कि प्रशासनिक अधिकारी है। इस तरह से देखा जाए तो हर व्यक्ति को न्याय पाने का जो मौलिक अधिकार है उससे वंचित किया जा रहा है और ये संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ है।

विकल्प के तौर पर न तो ट्रिब्यूनल और न ही रिवेन्यू कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी बताते हैं कि इस मामले में केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है उसमें कई ऐसे मुद्दे हैं जो संवैधानिक है। संविधान के तहत कृषि राज्य का विषय है और राज्य सरकार इस पर कानून बना सकती है। लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार ने संसद के जरिये कानून बनाया जो सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनौती का विषय हो सकता है क्योंकि ये संविधान के प्रावधान के खिलाफ है। कृषक उपज ट्रेड और कॉमर्स (प्रोमोशन और सरलीकरण) क़ानून, 2020 की धारा-13 व 15 आदि को देखने से साफ है कि न्यायिक जूरिडिक्शन को ही खत्म कर दिया गया है। कानून में सिविल कोर्ट का रास्ता बंद किया गया है लेकिन उसके विकल्प के तौर पर न तो ट्रिब्यूनल बनाया गया और न ही रिवेन्यू कोर्ट आदि का जूरिडिक्शन दिया गया। बल्कि कहा गया है कि एसडीएम या ए़डीएम का जूरिडिक्शन होगा।

संविधान का बेसिक स्ट्रेक्चर जान लीजिए

संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट है कि हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है उससे किसी को वंचित नहीं किया जा सकता। यहां जो कानून बनाया गया है उसमें सिविल कोर्ट का जूरिडिक्शन खत्म कर कोई वैकल्पिक ट्रिब्यूनल का ऑप्शन नहीं है और ये देखा जाए तो संविधान के तहत हर नागरिक को न्याय पाने का जो अधिकार है उससे वंचित करने जैसा है। वैसे ही कोई भी प्रावधान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिट के अधिकार में दखल नहीं दे सकता। ये तमाम ऐसे मद्दे हैं जो संवैधानिक व्यवस्था में दखल जैसा है और सुप्रीम कोर्ट के सामने ये मसला उठना चाहिए और उठेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट संविधान का गार्जियन होता है।

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Farmers Protest: दिल्ली के सभी नाकों पर आज किसानों का अनशन, कल करेंगे हाईवे जाम

New Delhi : दिल्ली के बॉर्डर पर लगातार 19वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) जारी है। कृषि सुधार वाले तीनों नए कानूनों (Farms Law) को वापस लेने की जिद पर अड़े किसानों ने भारत बंद (Bharat Band) और सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद अपने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है। इसके तहत किसान आज देशभर के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने करेंगे। साथ ही किसान अपनी मांगें पूरी कराने के लिए भूख हड़ताल(Hunger Strike) भी करेंगे। सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर आंदोलन में शामिल हर संगठन से एक-एक नेता सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन पर बैठेगा। आंदोलन (Farmers Protest) की अगली रणनीति का एलान शाम को किया जाएगा। 

किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता बंदोबस्त किए जा रहे हैं। इंटेलिजेंस इनपुट्स के मुताबिक टीकरी और सिघु बॉर्डर पर भीड़ बढ़ती जा रही है। किसानों की संख्या बढ़ने के साथ ही सुरक्षा बल के जवानों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। टीकरी बॉर्डर पर फ्रंट लाइन ड्यूटी पर आरएएफ, उसके बाद आईटीबीपी और उसके बाद सीआरपीएफ की टुकड़ी लगाई गई है। साथ में दिल्ली पुलिस को भी तैनात किया गया है।

हाईवे अब मंगलवार को बंद होगा


राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार कक्काजी ने कहा कि एक दिन के अनशन की वजह से किसानों ने दिल्ली जयपुर हाईवे बंद करने का निर्णय एक दिन आगे बढ़ा दिया है। हाईवे अब मंगलवार को बंद होगा। जयपुर-दिल्ली हाईवे जाम करने के लिए राजस्थान, हरियाणा बॉर्डर पर रविवार को बड़ी संख्या में किसान पहुंच गए हैं। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को अपने आवास पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सोम प्रकाश के साथ किसानों को मनाने पर मंथन किया। इसके अलावा गृहमंत्री ने पंजाब के भाजपा नेताओं के साथ भी एक अलग बैठक की। 

उधर, सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि सोमवार को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन रहेगा। इसके अलावा सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन होंगे और दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जैसा चल रहा है जारी रहेगा। 

पंजाब के डीआईजी (कारागार) ने किसानों के समर्थन में दिया इस्तीफा 


पंजाब के उपमहानिरीक्षक (कारागार) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने किसानों के समर्थन में इस्तीफा दे दिया है। जाखड़ ने रविवार को कहा, मैं अपने भाइयों के लिए लड़ूंगा। उन्होंने बताया कि शनिवार को राज्य सरकार के पास इस्तीफा भेज दिया है। 

अगले दौर की वार्ता जल्द 


केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के अपना प्रदर्शन तेज करने के बीच केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को कहा कि सरकार जल्द ही एक तारीख तय कर किसान संघ के नेताओं को अगले दौर की वार्ता के लिए बुलाएगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और 40 किसान संघों के प्रतिनिधियों के बीच पहले हुई पांच दौर की वार्ता बेनतीजा रही थीं।

केंद्र सिर्फ कॉरपोरेट के लिए काम कर रही: राकेश टिकैत


भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार सिर्फ उद्योगपतियों की हितैषी है और कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए ही काम कर रही है। जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, कानून से पहले गोडाउन निर्माण पूरा होना इस बात का संकेत है कि सरकार की योजना कुछ और ही है।

Jammu & Kashmir: सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में दो आतंकी ढेर, एक जिंदा पकड़ा गया

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जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन तेज कर रखा है. कश्मीर (Kashmir) में सुरक्षाबलों ने आतंकियों की साजिश को नाकाम कर दिया. सुरक्षाबलों ने संयुक्त ऑपरेशन में दो आतंकियों को मार गिराया जबकि एक आतंकी को गिरफ्तार किया है. आतंकियों के पास से हथियार और गोलाबारूद बरामद हुआ है.

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सुरक्षाबलों को आतंकियों के पास एक एके -47 रायफल, 300 राउंड एम्युनेशन, 6 मैगजीन, एक यूबीजीएल, 12 ग्रेनेड, दो मोबाइल सेट और एक सैटेलाइट फोन बरामद हुआ है. 

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Farmers Protest: आंदोलन तेज करने के लिए किसानों की एक दिन की भूख हड़ताल।

Farmers Protest: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आंदोलन (Farmers Protest) तेज कर दिया है. पिछले महीने के अंत से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हजारों किसान एक दिन की भूख हड़ताल (Hunger Strike) पर बैठे हैं.

किसानों का कहना है कि जब तक नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. 

केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) सोमवार और तेज होगा. नवंबर महीने के अंत से दिल्ली के बॉर्डर पर डेट हजारों किसानों की एक दिन की भूख हड़ताल (Hunger Strike) शुरू हो गई है. टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर समेत अन्य जगहों पर किसान नेताओं के साथ भारी संख्या में किसान अनशन पर हैं. भूख हड़ताल (Hunger Strike) के साथ किसान देशभर के जिला मुख्यालयों का घेराव भी करेंगे. सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बावजूद, किसानों का कहना है कि जब तक नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. वहीं, केंद्रीय मंत्री कैलाश शर्मा का कहना है कि किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत की तैयारी हो रही है. इस मसले का हल बातचीत से ही निकलेगा.  

खुदकुशी करने वाले किसानों की पत्नियां भी बनेंगी किसान आंदोलन (Farmers Protest) का हिस्‍सा।

Delhi: दिल्‍ली के टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) पर अब उन किसानों की विधवाएं (Farmers Widows) भी किसान आंदोलन (Farmers Protest) में दिखाई देंगी जिन्‍होंने कृषि संकट के चलते अपनी जान दे दी। अब 16 दिसंबर को ये महिलाएं तीन कृषि कानूनों (Farms Law) के विरोध में प्रदर्शन करने वाली हैं। इसका मकसद पंजाब के किसानों की समस्‍याओं की ओर पूरी दुनिया का ध्‍यान दिलाना है।

बीकेयू उग्राहन के प्रमुख जोगिंदर सिंह उग्राहन ने बताया, ‘पंजाब में खराब कृषि मॉडल की वजह से बहुत बड़ी संख्‍या में किसान अपनी जान दे रहे हैं। अफसोस की बात है कि दुनिया का ध्‍यान इस ओर नहीं है क्‍योंकि सभी को लगता है कि पंजाब के किसान बहुत अमीर हैं। अब जब देश में ऐतिहासिक कृषि आंदोलन (Farmers Protest) चल रहा है इन विधवाओं ने फैसला किया है कि पंजाब में खेती की असलियत पूरी दुनिया को बताई जाए।’

उग्राहन का कहना था कि इन विधवाओं (Farmers Widows)में तो कुछ ऐसी हैं जिनके बच्‍चे अभी छोटे हैं लेकिन उनके परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्‍य ने कर्ज के बोझ या खेती से होने वाले आर्थिक नुकसान के चलते आत्‍महत्‍या कर ली। इनके लिए अभी तक की सरकारों की खराब कृषि नीतियां जिम्‍मेदार हैं। वह कहते हैं, ‘हालांकि पंजाब में बहुत से किसानों ने आत्‍महत्‍या की है लेकिन राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इनकी चर्चा नहीं होती। इसलिए इन महिलाओं ने आगे आने का फैसला किया है।’

लेकिन किसानों की विधवाएं के कृषि कानूनों (Farms Law) के विरोध में प्रदर्शन करने से एक बड़ा सवाल ये भी उठता है की अगर पुरानी नीतियाँ सही थी तो उन्हें (किसानों को) खुदकुशी जैसा क़दम उठाने की ज़रूरत ही क्यों पड़ी?

Amla Benefits: इम्यूनिटी बढ़ाता है आंवला, जानें आंवला खाने के 10 फ़ायदे।

Amla एक ऐसा सूपर फूड है, जो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। आंवले में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है। आंवले की खास बात ये है कि इसको कई तरह से खाया जा सकता है।

कुछ लोग आंवले का मुरब्बा खाते हैं, तो वहीं कुछ लोग आंवले का जूस, चटनी या अचार बनाकर अपनी पंसद अनुसार सेवन करते हैं। सर्दियों में गुड़ के साथ आंवले का सेवन करने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है और कई बीमारियों से बचाव भी होता है। सर्दियों में आंवले का सेवन करने से इम्यूनिटी सही बनी रहती है जिससे सर्दी-खांसी से बचा जा सकता है।

आइए आपको बताते हैं कि क्यों आपको आंवला जरूर खाना चाहिए।

Amla के फायदे:

1. इम्यूनिटी मजबूत करता है

10 health benefits of amla
इम्यूनिटी मजबूत करता है Amla

आंवले में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। ये शरीर की इम्यूनिटी पावर मजबूत करने में मदद करता है जिससे शरीर बाहरी संक्रमण से बचा रहता है।

2. दिल के लिए फायदेमंद

10 health benefits of amla
दिल के लिए फायदेमंद है Amla

आंवले में पाया जाने वाला विटामिन-सी दिल की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। जो लोग बैड कोलेस्ट्रोल की समस्या से जूझ रहे हैं, उनको आंवले का सेवन जरूर करना चाहिए।

3. त्वचा को खूबसूरत बनाए

10 health benefits of amla
त्वचा को खूबसूरत बनाए Amla

त्वचा की खूबसूरती को बनाए रखने के लिए भी विटामिन सी जरूरी होता है। विटामिन सी के सेवन से स्किन टाइट रहती है। त्वचा पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती हैं। त्वचा में ग्लो बना रहता है। इसके लिए आप चाहें तो दही में आंवले का पाउडर मिलाकर चेहरे पर लगा सकते हैं।

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4. सूजन कम करता 

10 health benefits of amla
सूजन कम करता है Amla

शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स हार्ट और स्किन के साथ शरीर की इम्यूनिटी पर भी बुरा असर डालते हैं। दरअसल, फ्री रेडिकल्स शरीर की सूजन के लिए भी जिम्मेदार होते हैं, जो कई सारी बीमारियों को जन्म देने का काम करते हैं। लेकिन आंवले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज कर शरीर की सूजन को दूर करने में मदद करते हैं।

5. कैंसर से बचाव में

10 health benefits of amla
कैंसर से बचाव में फ़ायदा पहुँचाय आंवला

आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें एंटी-कैंसर गुण भी होता है। एक शोध के अनुसार, आंवला कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है। ये कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

6. अल्सर की रोकथाम में

10 health benefits of amla
अल्सर की रोकथाम में फ़ायदा पहुँचाय Amla

आंवले का जूस पेप्टिक अल्सर में बहुत कारगर साबित होता है। हर सुबह इसके सेवन से आराम मिलता है।

7. वजन कम करने में

10 health benefits of amla
वजन कम करने में आंवला बहुत गुणकारी

आंवला शरीर में मौजूद गंदगी को साफ करने और वजन कम करने में भी फायदेमंद होता है। रोजाना इसके सेवन से शरीर में गंदगी जमने नहीं पाती है।

8. कब्ज की समस्या में 

10 health benefits of amla
कब्ज की समस्या में आंवला

आंवले में भरपूर मात्रा में डाइट्री फाइबर मौजूद होते हैं। इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होने पाती है और पाचन क्रिया में भी ये काफी फायदेमंद होता है।

9. हाई ब्लड प्रेशर में

10 health benefits of amla
हाई ब्लड प्रेशर में आंवला

आंवला उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में कारगर होता है। इसके साथ ही ये दिमाग और शरीर दोनों को राहत देने का काम करता है। आंवला पाउडर, शहद के साथ मिलाकर खाना बहुत फायदेमंद होता है।

10. आंख की रौशनी में

10 health benefits of amla
आंख की रौशनी में फ़ायदा पहुँचाय आंवला

आंवले में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण आँखों के रेटीना के लिए काफी फायदेमंद होता है। ये विटामिन सी का बहुत अच्छा माध्यम होता है। ये आंखों में होने वाली जलन को कम करता है साथ ही रौशनी बढ़ाने में भी कारगर होता है।

AIKSCC: किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश में लगी है सरकार

New Delhi: पिछले 17 दिनों से जारी किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर केंद्र सरकार द्वारा खालिस्तानी और माओवादियों के समर्थन के आरोप पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि हम किसानों के इस आंदोलन को बदनाम करने के लगातार कदमों की कड़ी निन्दा करते हैं. संगठन (AIKSCC) का कहना है कि असल में सरकार किसानों की समस्या, तीन खेती के कानून (Farms Bill) और बिजली बिल 2020 (Electricity Bill 2020) की वापसी को हल नहीं करना चाहती और वह अपने जिद्दी रवैये को छिपाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है.

किसान नेताओं ने कहा कि पहले केन्द्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का यह आन्दोलन (Farmers Protest) राजनीतिक दलों द्वारा प्रोत्साहित है. फिर उसने कहा कि यह विदेशी ताकतों द्वारा प्रोत्साहित है, इसके बाद उसने कहा कि यह पंजाब का आन्दोलन है, जिसमें खालिस्तान पक्षधर ताकतें भाग ले रही हैं. इसके बाद कहा कि किसानों की यूनियनें वार्ता से बच रही हैं, जबकि यूनियनों ने सभी वार्ताओं में भाग लिया, किसी वार्ता में जाने से मना नहीं किया और विस्तार से सरकार को अपना पक्ष समझाया और कहा कि वह साफ करे कि वह कानून वापस लेगी या नहीं. सच यह है कि सरकार के पास किसानों से बात करने के लिए कुछ है ही नहीं.

किसान संगठनों के नेताओं ने आगे कहा कि इस बात पर गौर करना जरूरी है कि इस आन्दोलन पर शुरु में पंजाब में दमन हुआ फिर पंजाब के किसानों को अपनी राजधानी दिल्ली पहुंच कर अपनी सरकार से बात करने के लिए अपने ऊपर बेरहम हमले का सामना करना पड़ा, बैरिकेड लगे थे, सड़कें काटी गयीं, ठंड में पानी की बौछार की गयी और आंसू गैस फेंके गये. अब सरकार दोष मढ़ रही है कि आन्दोलन तेज क्यों किया जा रहा है और दमन तथा गैरकानूनी गिरफ्तारियों के खिलाफ बयान क्यों दिया जा रहा है. यह बात स्पष्ट नहीं है कि सरकार अपने नागरिकों को बदनाम करके क्या हासिल करना चाहती है. देश के किसान सरकार से जानना चाहते हैं कि क्या ये विदेशी व भारतीय कारपोरेट को बढ़ावा देने की योजना का हिस्सा है. 

किसानों ने बहुत विस्तार से यह बात समझाई है कि भारतीय व विदेशी कारपोरेट को भारतीय खेती में बढ़ावा देने से, उन्हे निजी मंडिया स्थापित करने देने से और किसानों को ठेके की खेती में शामिल करने से सरकारी मंडियों की वर्तमान सुरक्षाएं भी समाप्त हो जाएंगी. इससे लागत के दाम बढ़ेंगे, किसान कर्जदार होंगे और जमीन से बेदखल होंगे. ये कानून किसानों को वर्तमान अधिकारों पर भी हमला कर देंगे जिसमें वर्तमान एमएसपी भी शामिल है. सरकार के प्रस्ताव में ऐसा कोई सूत्र नहीं है जो किसानों को और कर्जों के लदने से बचा सके, जिससे लागत के मूल्य घट सकें, जिससे एमएसपी सभी किसानों को सभी फसलों का मिल सके, जिससे राशन व्यवस्था जारी रह सके और जिससे खाने की जमाखोरी व कालाबाजारी रोकी जा सके.

आश्चर्य नहीं है कि सरकार ने जो दस्तावेज ‘पुटिंग फामर्स फस्र्ट’ जारी किया है, उसके पृष्ठ 16 पर लिखा है कि ये कानून कारपोरेट के कृषि व्यवसायियों को आगे कर देगा. वह लिखता है ‘कल्पना कीजिए कि इन सुधारों के साथ कृषि व्यवसायियों के लिए कितने सारे नए अवसर खुल जाएंगे.

एआईकेएससीसी (AIKSCC) ने इस बात पर जोर दिया है कि तीनों कृषि कानून व बिजली बिल 2020 (Electricity Bill 2020) वापस लिया जाना समस्या का एकमात्र समाधान है और सरकार से आग्रह किया है कि वह ऐसा तुरंत करे.

Bengaluru: मनमाने तरीके से सैलरी काटने पर भड़के कर्मचारी, कंपनी में जमकर की तोड़फोड़।

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Bengaluru: कर्नाटक में बेंगलुरु के करीब आईफोन(IPhone) का मैन्युफैक्चरिंग करने वाली एक कंपनी के कर्मचारियों ने वेतन से संबंधित मसले को लेकर शनिवार को उपद्रव मचाया। ये कर्मचारी विस्ट्रॉन कॉर्पोरेशन (Wistron Corporation) के लिए काम करते हैं, जिसका मुख्यालय ताइवान में है। पुलिस ने शुरुआती जानकारी के हवाले से बताया कि कोलार जिले के नरसापुरा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इकाई के कर्मचारियों ने परिसर में कारों को पलट दिया और फर्नीचर को क्षतिग्रस्त किया।

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कर्नाटक में बेंगलुरु (Bengaluru) के करीब विस्ट्रान के कोलार (Kolar) जिले के नरसापुर प्लांट (Narsapur Plant) में शनिवार सुबह कर्मचारियों के विरोध ने हिंसक रूप ले लिया. नाराज कर्मियों ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की. कार्यालय पर पथराव किया और कंपनी के बोर्ड और कुछ वाहनों में आग लगा दी.

एक ट्रेड यूनियन लीडर ने कहा कि प्लांट में ज्यादातर कर्मी संविदा पर हैं, लेकिन उन्हें समय पर भुगतान नहीं किया जाता है. कर्मचारी वेतन में कई प्रकार की कटौतियां किए जाने से भी नाराज हैं.  हिंसा की घटना सामने आने पर को भारी पुलिसबल मौके पर पहुंचा और हल्का लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया.  

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि वेतन संबंधी मसलों को लेकर कर्मचारियों ने पथराव किया, खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए। गाड़ियों, फर्नीचर, कंप्यूटर और लैपटॉप को नुकसान पहुंचाया। कंपनी के सूत्रों के मुताबिक, हिंसक घटना में कई कर्मचारी शामिल थे। संपर्क करने पर कंपनी (Wistron Corporation) की ओर से घटना और ‘वेतन मसलों’ पर तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी गई। ट्रेड यूनियन के एक नेता ने बताया कि अनुबंध पर रखे गए अधिकतर कर्मचारियों को समय पर तनख्वाह नहीं दी जाती है और वेतन में कटौती को लेकर उनकी चिंताएं हैं।

वेतन को लेकर नाराज थे कर्मचारी

सूत्रों के मुताबिक, कर्मचारी इस बात से नाराज थे कि उन्हें जॉइनिंग के समय जिस वेतन का दावा किया गया था, वह नहीं दिया जा रहा है। कंपनी के एक कर्मचारी ने बताया कि एक इंजिनियरिंग स्नातक को 21 हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया गया था लेकिन उसका वेतन अचानक कम करके 16000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया। हाल के महीनों में उसकी सैलरी और कम करके 12 हजार रुपये कर दी गई।

वहीं गैर-इंजिनियरिंग ग्रेजुएट्स की सैलरी भी 8 हजार रुपये तक कम की गई है। कर्मचारी ने बताया कि हमारे खातों में जमा की जा रही वेतन राशि लगातर काम होती जा रही है। कई कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें अपने सैलरी अकाउंट में 500 रुपये से भी कम प्राप्त हुए हैं। शुक्रवार की रात कर्मचारियों ने अपनी सैलरी के बारे में चर्चा की थी। शनिवार को ऑफिस से जाते वक्त वे उग्र हो गए और तोड़फोड़ की।

विस्ट्रॉन कॉर्पोरेशन (Wistron Corporation) ऐप्पल (Apple) के लिए आईफोन 7(Iphone7), लेनोवो(Lenovo), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) समेत अन्य के लिए आईटी उत्पाद बनाती है। तकरीबन 2900 करोड़ रुपये का निवेश करने और 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार देने के प्रस्ताव पर विस्ट्रॉन (Wistron Corporation) को राज्य सरकार ने नरसापुरा इंडस्ट्रियल एरिया में 42 एकड़ जमीन दी थी।

कर्नाटक सरकार ने हिंसा की निंदा की है, साथ ही कर्मचारियों को उनका बकाया दिलाने का वादा भी किया है. कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डॉ. सी अश्वतनारायण ने ट्वीट कर कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती. ऐसे किसी भी मुद्दे को सुलझाने के लिए उचित मंच हैं. अश्वतनारायण राज्य के आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स मंत्री भी हैं.  उन्होंने कहा कि अराजकतत्वों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी. साथ ही यह भरोसा भी दिया कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी और उन्हें बकाया भुगतान दिलाया जाएगा.

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Covid-19: संक्रमितों की संख्या 98.26 लाख के पार, 24 घंटों में 30,000 नए मामले सामने आए।

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New Delhi। कोविड-19 (Covid-19) का प्रभाव पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। कई देशों में संक्रमण (Covid-19) को रोकने के लिए फिर से लॉकडाउन को अपनाया जा रहा है। भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है, हालांकि पहले की अपेक्षा इससे होने वाले संक्रमितों की संख्या और मौतों के आंकड़ों में गिरावट आई है। भारत में पिछले 24 घंटों में 442 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं इस दौरान कोरोनावायरस (coronavirus) के 30,006 नए मामले सामने आए हैं। 

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, यहां शनिवार को कुल मामलों (Covid-19) की संख्या 98 लाख 26 हजार 775 तक पहुंच गई है। जबकि देश में अब तक 1 लाख 42 हजार 628 लोगों की मौत हो चुकी है।

देश में 13 दिनों से लगातार 40 हजार से कम कोरोना (Covid-19) पॉजिटिव केस आ रहे हैं। जबकि एक समय में यह संख्या 90 हजार तक थी। अच्छी बात यह भी कि संक्रमितों और मौतों की संख्या की अपेक्षा ठीक होने वालों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बीते दिन 33,494 मरीज कोरोना से ठीक हुए हैं।

आंकड़ों पर नजर डालें तो, अब तक, 93,24,328, लोग ठीक हो चके हैं और पिछले 24 घंटों में 33,494 से अधिक लोग ठीक हुए हैं। वर्तमान में 3,59,819 सक्रिय मामले हैं। रिकवरी दर 94.89 प्रतिशत है और मृत्यु दर 1.45 प्रतिशत है।

Amit Shah: बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष के काफिले पर हुए हमले की जांच के आदेश दिए

इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार कोविड-19 के (Covid-19) लिए अब तक कुल 15 करोड़ 26 लाख 97 हजार 399 नमूनों का परीक्षण किया गया है। इनमें से 10 लाख 65 हजार 176 नमूनों की शुक्रवार को जांच की गई।

देश में सर्वाधिक संक्रमित राज्य की बात करें तो, महाराष्ट्र 18,72,440 मामलों के साथ अब तक सबसे खराब स्थिति वाला राज्य बना हुआ है। दैनिक नए मामलों में 72 प्रतिशत से अधिक 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों – केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में दर्ज किए गए हैं।

महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश समेत कुछ राज्यों में कोरोना वायरस (Corona Virus) के एक्टिव केस, मृत्यु दर और रिकवरी रेट का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। वहीं एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का नौवां स्थान है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है।

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नोएडा, मेरठ, हापुड़ Toll Plaza पर किसानों का कब्जा, जबरन कराया फ्री, पुलिस बल की तैनाती

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New Delhi: तीनों नए कृषि कानूनों (Farms Law) को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों ने न केवल सरकार का संशोधन प्रस्ताव  ठुकरा दिया है बल्कि आज से अपना आंदोलन (Farmers Protest) भी तेज कर दिया है. शनिवार को सभी टोल फ्री करने के किसान संगठनों के आह्वान का असर दिल्ली से सटे यूपी के गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद और मेरठ व हापुड़ में देखने को मिला. गौतम बुद्ध नगर के सभी टोल प्लाजा (Toll Plaza)पर किसानों ने सुबह ही कब्जा कर लिया और उसे जबरन फ्री करवा दिया. इसे देखते हुए प्रशासन ने वहां भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की है.

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इधर, पुलिस की भारी तैनाती के बीच दादरी के लोहाली गांव के पास स्थित एनएच-91 के टोल प्लाजा पर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने कब्जा करते हुए, टोल प्लाजा (Toll Plaza) को फ्री कर दिया.  हालांकि, इस दौरान पुलिस के आलाधिकारी किसानों को समझाते हुए नजर आए मगर किसान अपनी बातों पर अड़े रहे. टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर कब्जा करने वाले किसान भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता हैं.

किसान संगठनों के आह्वान पर जनपद हापुड़ के तीनों टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर भी किसान नेताओं ने आज कब्जा कर लिया और उसे फ्री करा दिया. टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. किसान नेता तीनों कानून को वापस लेने की मांग पर वहां हंगामा कर रहे हैं.

बता दें कि कई बार केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता हुई लेकिन सभी वार्ता बेनतीजा रही. वार्ता विफल होने के बाद अब किसानों ने आंदोलन को और ज्यादा तेज कर दिया है. 14 दिसंबर को  किसानों ने देशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी है. किसानों का साफ तौर पर कहना है कि किसान विरोधी कानून को किसी भी तौर पर लागू नहीं होने दिया जाएगा.

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Piyush Goyal: लेफ्टिस्टों और माओवादी के हाथों में चला गया है किसान आंदोलन

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New Delhi: किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल(Piyush Goyal) ने कहा है कि अब यह आंदोलन (Farmers Protest) ज्यादातर लेफ्टिस्टों (Leftists) और माओवादियों (Maoists) के हाथ में चला गया है। ये वामपंथी दल (Left party)अपना एजेंडा चलाना चाहते हैं। गोयल (Piyush Goyal) ने किसानों से अपील की है कि वे उनके बहकावे में ना आकर सरकार (Government) से बातचीत करें। किसानों के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं और सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।

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कुछ थोड़े लोगों के लिए पूरे देश के किसानों का नुकसान नहीं

गोयल ने कहा कि वामपंथी किसानों को भड़का रहे हैं। गोयल ने उस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि क्या सरकार तीनों कृषि कानून वापस लेगी जिसकी किसान मांग कर रही है। गोयल ने साफ कहा कि इस बिल से देश के सभी किसानों को बेहद फायदा पहुंचने वाला है। कुछ थोड़े से लोगों के लिए पूरे देश के किसानों के फायदे का नुकसान नहीं किया जा सकता।

MSP, चर्चा सब कुछ पर सरकार दे रही है आश्वासन

किसान बिल के किसी भी मसले पर अगर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार से आकर बातचीत करे। सरकार इसके लिए तैयार है। जहां तक एमएसपी का सवाल है लोकसभा से लेकर सरकार की ओर से किसानों को पूरा आश्वासन दिया गया है कि इसे वापस नहीं लिया जाएगा। यह जारी रहेगा। इस बार 23 फीसदी ज्यादा किसानों का अनाज खरीदा गया। गोयल ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि किसान देशहित में इस कानून को समझेंगे। इससे उन्हें तमाम तरह की बंदिशों से आजादी मिलेगी। अगर उनकी फसल के दाम कहीं भी ज्यादा मिल रहे हैं वे वहां जाकर खरीद सकते हैं।

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Dushyant Chautala: सरकार को अल्टिमेटम, किसानों को एमएसपी नहीं दिला सका तो इस्तीफा दे दूंगा

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Dushyant Chautala: कृषि कानून (Farms Law) को लेकर जारी किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बीच अब हरियाणा सरकार में खतरा मंडराता दिख रहा है। सीएम मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के नेतृत्व वाली सरकार में सहयोगी जेजेपी नेता और डेप्युटी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने सरकार को अल्टिमेटम दे दिया है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि किसानों को एमएसपी (MSP) जरूर मिलना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर वह इसे (MSP) सुरक्षित न रख सकें तो इस्तीफा दे देंगे।

हरियाणा सरकार में चल रही खिट-पिट को लेकर दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने गुरुवार को पहली बार चुप्पी तोड़ी। चौटाला ने खुलेआम खट्टर सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, ‘हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों को एमएसपी (MSP) मिलनी ही चाहिए। केंद्र सरकार ने जो लिखित प्रस्ताव दिए, उसमे एमएसपी (MSP) शामिल है। मैं जब तक डेप्युटी सीएम हूं तब तक किसानों के लिए एमएसपी (MSP) सुनिश्चित करने पर काम करूंगा। अगर मैं यह नहीं कर पाया तो इस्तीफा दे दूंगा।’

लिखित आश्वासन मिलने पर आंदोलन जारी रखने का तुक नहीं

चौटाला ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को एमएसपी (MSP) की लिखित गारंटी स्वीकार कर लिया है। लिखित आश्वासन मिलने पर आंदोलन (Farmers Protest) जारी रखने का कोई लॉजिक नहीं है। चौटाला ने कहा कि वह किसान पहले हैं और अगर किसान को उसकी प्रत्येक फसल के लिए एमएसपी (MSP) सुनिश्चित नहीं करा सका तो सबसे पहले इस्तीफा दे दूंगा।

जेजेपी का एक धड़ा दुष्यंत से असंतुष्ट

हालांकि जेजेपी विधायकों का एक धड़ा दुष्यंत से संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है। पार्टी में किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बीच हरियाणा में बीजेपी से समर्थन वापस लेने की चर्चा भी शुरू हो गई है। 10 में से 7 जेजेपी विधायक पहले ही कृषि कानून (Farms Law) के खिलाफ किसान आंदोलन (Farmers Protest) का समर्थन कर चुके हैं।

चौटाला-खट्टर की लंच डिप्लोमेसी

गुरुवार को चौटाला ने सीएम मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) और कैबिनेट के दूसरे साथियों के लिए चंडीगढ़ में अपने आवास पर लंच रखा। इसके बाद चौटाला ने मीडिया से कहा कि उन्होंने किसान प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने वाले केंद्रीय मंत्रियों और स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहे अन्य लोगों से बात की है।

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हमने किसानों को एमएसपी सुनिश्चित कराया

डेप्युटी सीएम ने कहा, ‘सबसे जरूरी और सबसे बड़ी मांग चौथी चीज-एमएसपी को जोड़ना था। हरियाणा में हमने यह सुनिश्चित किया है। राजस्थान ने किसानों को एमएमसपी नहीं दिलाई और वहां बाजरा सड़कों पर बिक रहा है। पंजाब ने भी किसानों को एमएसपी सुनिश्चित नहीं कराई। हरियाणा में हमने सुविधाएं दीं और आप देखेंगे कि भविष्य में भी हम गेहूं की खरीद और अच्छे तरीके से करेंगे।’

जहां तक एमएसपी (MSP) की बात है डॉ. अजय चौटाला पहले ऐसे थे जिन्होंने केंद्र सरकार को किसानों के लिए इसे सुनिश्चित करने को कहा था। मुझे उम्मीद है कि जब लिखित आश्वासन दिया चुका है तो आंदोलन (Farmers Protest) को आगे ले जाने का कोई तुक नहीं बनता।

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BJP: बीजेपी ने नए कृषि कानूनों के पक्ष में माहौल बनाने की व्यापक प्लानिंग की

New Delhi:  बीजपी (BJP) ने देश भर में कृषि कानून (Farms Law) के पक्ष में माहौल बनाने के लिए व्यापक प्लानिंग की है। इसमें सोशल मीडिया (Social Media) में हैशटैग ट्रेंड करने से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस और किसान सम्मेलन शामिल हैं। 16 दिसंबर तक के कार्यक्रम तय किए गए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा (JP Nadda) की तरफ से पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्षों को और प्रभारियों को कार्यक्रम की डिटेल भेजते हुए कहा गया है कि वह कार्यक्रम सुनिश्चित कर हर दिन की डिटेल भी भेंजे।

बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने आरोप लगाया कि विपक्ष मासूम किसानों (Farmers) को बहका रहा है। उन्होंने कहा कि क्या किसान आंदोलन (Farmers Protest) स्थल पर एसी, टीवी लगाकर आंदोलन कर सकता है? चाहर ने कहा कि यह विपक्ष (Opposition) का षडयंत्र है।

सोशल मीडिया पर हैशटैग ट्रेंड कराएगी बीजेपी

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी(BJP)  शुक्रवार से लेकर 16 दिसंबर तक सोशल मीडिया (Social Media) में हैशटैग ट्रेंड करवाकर कृषि कानूनों (Farms Law) के फायदे बताएगी। सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि केंद्र की तरफ से दिए गए हैशटैग का व्यापक प्रचार कर इसे ट्रेंड कराना है। 14 से 16 दिसंबर तक किसान सम्मेलन-जनजागरण किया जाएगा। इसमें कृषि कानून (Farms Law) के संबंध में देश भर में 100 प्रमुख जगहों पर किसान सम्मेलन आयोजित कर जनजागरण अभियान के जरिए इसके फायदे बताए जाएंगे। केंद्र सरकार की तरफ से तैयार पर्चों को भी अलग अलग माध्यमों से घर घर पहुंचाने के लिए कहा गया है।

12 से 16 दिसंबर तक देश के सभी जिलों और प्रमुख जगहों पर सभी सहकारी संस्थाओं, एपेक्स लेबल कोऑपरेटिव संस्थाएं, एपीएमसी, मंडियां, जिला सहकारी संस्थाएं, विभिन्न प्रकार के डेयरी उत्पादों की संस्थाओं में जनसंपर्क अभियान और चर्चा का कार्यक्रम भी तय किया गया है। एक बीजेपी नेता के मुताबिक हमने सिख भाई-बहनों के लिए अलग से एक पुस्तिका भी छापी है जिसे वितरित किया जाएगा और ईमेल के जरिए भी भेजा जाएगा। 14 दिसंबर तक प्रदेश प्रवक्ताओं से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छोटी छोटी बैठकें लेने को भी कहा गया है।

किसानों के कंधों पर रखकर चलाई जा रही बंदूक

बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने कहा कि विपक्ष कृषि कानूनों को लेकर दुष्प्रचार कर रहा है और झूठ फैला रहा है। हमारा मकसद किसानों को सचाई बताना है। उन्होंने कहा कि हम किसानों का हित देख रहे हैं और विपक्षी दल राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी (BJP) नेता ने कहा कि टैंट के अंदर (आंदोलन स्थल पर) एसी, टीवी लगा रखे हैं, क्या किसान आंदोलन (Farmers Protest) करने एसी लेकर जा सकता है? उन्होंने कहा कि यह सरकार के खिलाफ बहुत बड़ा षडयंत्र हैं। वे ताकतें जिनका जनाधार खिसक गया हैं, जो पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) की लोकप्रियता से घबराए हैं उन्होंने किसानों के कंधों पर बंदूक रखी है। ये लोग किसान और जवान दोनों को लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं। चाहर ने कहा कि विपक्ष ने किसानों के मन में पहले दिन से ही भ्रम डालना शुरू किया। जब संसद चल रही थी तब विपक्ष कुछ नहीं बोला, लगता है विपक्ष लंबे वक्त से इस षडयंत्र को रच रहा था।