नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से कथित तौर पर 51.92 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में फाइव कोर इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
मुख्य आरोपियों के देश छोड़कर जाने की आशंका है।
CBI ने प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में अमरजीत सिंह कालरा, उसके पिता सुरिंदर सिंह कालरा, जगजीत कौर कालरा और सुरिंदर कौर कालरा को आरोपी बनाया गया है। कंपनी इलेक्ट्रॉनिक वाल्व और ट्यूब का निर्माण करती थी, और इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल सामान का निर्यात करती थी।
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आरोपी ने क्रेडिट सुविधा (credit facilities) लेने के लिए 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा का दरवाजा खटखटाया था। बाद में, कंपनी (Firm) बकाया चुकाने में विफल रही और खाते को जून 2019 में गैर-निष्पादित संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया। बैंक ने पाया कि राजस्व खुफिया निदेशालय ने फरवरी 2019 में छापेमारी की थी और कंपनी के प्रमोटर और निदेशक विदेश में थे।
कंपनी के वित्त के एक फोरेंसिक ऑडिट (forensic audit ) से पता चला कि बैंक से उधार ली गई धनराशि का उपयोग निदेशकों द्वारा व्यक्तिगत संपत्ति के कथित निर्माण के लिए किया गया था। वे कंपनी की सहयोगी कंपनियों के बीच फंड को घुमाने में शामिल थे। निर्यात बिलों और चालानों में भी विसंगतियां पाई गईं।
अप्रैल 2019 में एक निरीक्षण के दौरान, बैंक ने पाया कि कंपनी की इकाई बंद थी। स्वतंत्र निदेशकों ने कंपनी के प्रबंधन के अनैतिक व्यवहार के बारे में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में शिकायत दर्ज की थी।
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एनएसई ने कंपनी की प्रतिभूतियों में कारोबार को निलंबित कर दिया। प्रबंध निदेशक को छोड़कर, सभी प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों ने इस्तीफा दे दिया था।